प्रयागराज (ब्यूरो)।माफिया अतीक और अशरफ की हत्या जिगाना और गिरसान पिस्टल से की गई थी। हत्यारे कोई चूक नहीं चाहते थे। ऐसे में तुर्किए की इन दोनों पिस्टल का इस्तेमाल किया गया था। एक देशी पिस्टल भी इस्तेमाल की गई थी। विधि विज्ञान प्रयोगशाला ने हत्याकांड में इन दोनों विदेशी पिस्टल के अलावा देशी पिस्टल के इस्तेमाल की पुष्टि की है। साथी ही विसरा रिपोर्ट भी पूरी हो गई है। दोनों रिपोर्ट सोमवार को हत्याकांड की विवेचना कर रहे विशेष जांच दल (एसआइटी) को मिल गई। अब एसआइटी इन दोनों रिपोर्ट का इस्तेमाल अपनी विवेचना में करेगी।
कॉल्विन अस्पताल में 15 अप्रैल की रात माफिया अतीक और अशरफ की हत्या कर दी गई थी। मौके से लवलेश तिवारी, अरुण मौर्य और सनी सिंह को गिरफ्तार किया गया था। इनके कब्जे से जिगाना, गिरसान और एक देशी पिस्टल मिली थी। तीनों असलहों को जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोग शाला भेजा गया था। जांच के बाद बैलिस्टिक रिपोर्ट दी गई है कि अतीक और अशरफ के शरीर में मिली गोलियां गिरसान और जिगाना पिस्टल से दागी गई थीं। दो गोलियां देशी पिस्टल की भी थीं। इस रिपोर्ट को एसआइटी अपनी विवेचना में शामिल करेगी।
डीवीआर की रिपोर्ट होगी अहम साक्ष्य
अतीक अशरफ हत्याकांड में सीसीटीवी कैमरे की रिकार्डिंग तीनों आरोपियों के खिलाफ अहम भूमिका निभाएगी। रिकार्डिंग में कोई छेड़छाड़ तो नहीं की गई है इसकी पुष्टि के लिए कैमरे के डिजिटल वीडियो रिकार्डर (डीवीआर) को विधि विज्ञान प्रयोग शाला भेजा गया है। एसआइटी को अभी इसकी जांच रिपोर्ट का इंतजार है। अदालत में डीवीआर की रिपोर्ट तीनों आरोपियों के खिलाफ मजबूत गवाह का काम करेगी।

दोनों के फायर कभी मिस नहीं होते।
जानकारों की मानें तो पेशेवर हत्यारे कई विदेशी ब्रांड का इस्तेमाल करते हैं। पर उनकी पसंद कोल्ट, गिरसान और जिगाना होती है। गिरसान और जिगाना पिस्टल के फायर कभी मिस नहीं होते हैं। ट्रिगर दबने के बाद फायर होना तय होता है। शायद इसी लिए अतीक और अशरफ को मारने के लिए इन दोनों विदेश पिस्टल का इस्तेमाल किया गया। दोनों पिस्टल तुर्किए की कंपनी की हैं।

दिल्ली नेटवर्क पर कोई जांच नहीं
हत्यारोंपियों से पूछताछ में एसआइटी को पता चला कि उन्हें दोनों पिस्टल दिल्ली से मिली है। कुख्यात गैंगस्टर जितेंद्र गोगी ने पिस्टल दिया था। ऐसे में ये जानकारी कई अहम सवाल छोड़ गई। मगर शायद जांच लंबी हो जाने की वजह से हत्यारोपियों को पिस्टल देने वालों तक जांच की आंच नहीं पहुंच सकी।