प्रयागराज (ब्यूरो)।अतीक अब इस दुनिया में नहीं है। उसका भाई अशरफ और एक बेटा मारा जा चुका है। दो बेटे जेल में बंद हैं और दो बेटे बाल सुधार गृह में दिन काटने को मजबूर हैं। पत्नी फरारी काट रही है। इसके बाद भी उसके नाम का डंका आज भी बज रहा है। अभी भी उसके खिलाफ मुंह खोलने वालों की संख्या बेहद कम है। इसी के चलते पुलिस अपने मुखबिर नेटवर्क के जरिए अतीक के माफिया नेटवर्क को क्रैक नहीं कर पा रही है। पुलिस के पास आनलाइन ट्रैकिंग का सहारा है लेकिन, इसका भी पूरा फायदा वह नहीं ले पा रही है क्योंकि माफिया के गुर्गे और उसकी पत्नी पुलिस से एक कदम आगे चल रही है। इसी का नतीजा है कि शनिवार को उमेश पाल के साथ उनके दो सरकारी गनर को मौत के घाट उतार दिये जाने के चार महीने बीत गये और पुलिस को अतीक की पत्नी शाइस्ता का कोई सुराग नहीं मिला। उमेश पाल हत्याकांड में वांटेड होने के चलते पांच लाख के इनामी फरहान और गुड्डू मुस्लिम का कोई सुराग नहीं है। पुलिस ने अब इसका तोड़ निकाल लिया है। वह उन सभी का सत्यापन करने जा रही है जिन्होंने खुद अतीक या उसके गुर्गों की दूसरे केसेज में जमानत ली थी।

दबाव से नतीजे का इंतजार
उमेश पाल हत्याकांड के चार महीने और खुद अतीक और अशरफ की हत्या के 60 दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस के पास अतीक की पत्नी से जुड़ी कोई सूचना नहीं मिल पायी है। अपने स्तर पर पुलिस अतीक के पूरे नेटवर्क को खंगाल चुकी है। ताबड़तोड़ कार्रवाई और छापेमारी हो चुकी है। ईडी टीम के सक्रिय हो जाने के बाद भी कोई ऐसा सामने नहीं आया जो पुलिस को उमेश पाल हत्याकांड में नामजद लोगों का सुराग दे सके। इसी के चलते इस केस में चार्जशीट भी डिले होती जा रही है। अभी तक जितने भी लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गयी है, ज्यादातर का नाम षडय़ंत्र में शामिल होने के चलते ही है। नामजद किये गये लोग या तो मारे जा चुके हैं या फिर फरार हैं। इसी के चलते पुलिस ने वेरीफिकेशन का रास्ता अख्तियार करने का फैसला लिया है। उम्मींद है कि इससे कोई न कोई रिजल्ट जरूर सामने आयेगा।

पुलिस जुटाएगी पूरा डिटेल
अतीक गैंग के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई करने के बाद पुलिस के राडार पर अब जमानतदार हैं। ये वो लोग हैं जिन्होंने अतीक गैंग के सदस्यों की जमानत ली है। इन्हीं जमानतदारों की बदौलत गैंग के तमाम सदस्य खुली हवा में सांस ले रहे हैं और अपराध को अंजाम दे रहे हैं। ऐसे में अब जमानतदारों की बारी है। पुलिस इन जमानतदारों के बारे में पूरा ब्यौरा जुटाएगी। माना जा रहा है कि ये जमानतदार गैंग की बी टीम के तौर पर काम करते रहे हैं। माफिया अतीक और अशरफ के गैंग में काम करने वाले सदस्यों की फेहरिस्त लंबी है। तीस से ज्यादा लिस्टेड सदस्य हैं। तमाम ऐसे हैं जो गाहे बगाहे चर्चा में आते रहते हैं। आबिद प्रधान, आशिफ उर्फ मल्ली, फरहान, गुड्डू मुस्लिम, मो। मुस्लिम, अनीस समेत तमाम ऐसे नाम हैं, जो अतीक गैंग से जुड़े बताए जाते हैं। इनके खिलाफ धूमनगंज, करेली, खुल्दाबाद, अतरसुइया, पूरामुफ्ती थाने में कई मुकदमे दर्ज हैं। हैरत तो इस बात की है, इन नामी अपराधियों को कई मामलों में जमानत मिली है। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि इन नामी अपराधियों की जमानत लेने वाले आखिर कौन लोग हैं। जो अपराध और अपराधी दोनों के बारे में जानते हुए भी जमानत ले लेते हैं। अब ऐसे जमानतदारों का ब्यौरा जुटाने के लिए पुलिस कार्रवाई कर रही है। पुलिस इन जमानतदारों के काम धंधे का भी ब्यौरा जुटाएगी।

जमानतदार यानी गैंग की बी टीम
अतीक मानकर चल रही है कि जमानत लेने वाले लोगों में ऐसा कोई नहीं है जिसकी छवि पूरी तरह से साफ सुथरी होगी। संभावना जताई जा रही है कि जमानतदारों की टीम को खुद अतीक ने ही खड़ा किया था। मकसद था कि जमानतदार खोजने न पड़ें। संभावना इस बात की भी है कि इन जमानतदारों को अतीक ने ही आगे बढ़ाया हो। इस संकेत के आधार पर माना जा रहा है कि पुलिस जमानतदारों की जड़ खोदेगी। पता लगायेगी कि उनकी वास्तविक हैसियत जमानतदार बनने से पहले क्या थी और अब क्या हो चुकी है। इससे पुलिस को तगड़ी लीड मिलने की संभावना है जो पुलिस का काम आसान बना सकता है। इसके जरिए यह भी पता चल जाएगा कि वर्तमान समय में ये किसके टॅच में हैं और उनका सोशल स्टेटस और एक्टिविटी क्या है। माना जा रहा है कि यह डिटेल जुटाने के बाद पुलिस नेक्स्ट स्टेप पर काम यानी इनके खिलाफ कार्रवाई का रोडमैप तैयार करेगी। इससे टीम बी पर दबाव बनेगा और पुलिस अपने लक्ष्य को हासिल कर सकेगी।