प्रयागराज (ब्यूरो)। धूमनगंज इलाके में बसपा विधायक रहे राजू पाल की 25 जनवरी 2005 की हत्या की गई थी। राजू पाल को हमलावरों ने गोलियों से भून दिया था। इस मामले में माफिया अतीक अहमद व उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ सहित अन्य के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज हुआ था। इस मामले में जिला पंचायत सदस्य उमेश पाल गवाह थे। वर्ष 2017 में उमेश पाल ने एक मुकदमा दर्ज करया था। जिसमें उसने कहा था कि इमली फांसी के पास उसे दो गाडिय़ों से पहुंचे लोग रोक लिए। इसके बाद कुछ लोग उतरे और गाड़ी में जबरदस्ती बैठा लिए। जिस गाड़ी में उसे बैठाया गया उसमें अतीक अहमद व दो और लोग भी थे। गाड़ी से उसे लेकर अतीक अपने कार्यालय ले गए। जहां उसे पीटा गया और बयान बदलने का दबाव बनाया गया। नहीं मानने पर बिजली के करंट भी लगाए गए। इस घटना को अतीक अहमद ने उस वक्त अंजाम दिया था जब वह जमानत पर रिहा हुए थे। गवाह को धमकाने के मामले में दर्ज मुकदमा एमपीएमएलए कोर्ट में विचाराधीन था। सरकार की तरफ से अतीक की जमानत को निरस्त किए जाने जाने की मांग कोर्ट द्वारा की गई थी। इसी मामले में सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान विशेष न्यायाधीश ने अतीक अहमद की स्वीकृत जमानत को निरस्त कर दिया है।
अतीक अहमद को पूर्व में मिली जमानत गवाह को धमकाने पर कोर्ट ने निरस्त कर दिया है। जमानत रिहा होने के बाद अतीक द्वारा किए गए अपराध को कोर्ट ने गंभीर प्रकृति का माना है।
गुलाबचंद्र अग्रहरि जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी