- करोड़ों खर्च होने के बाद फालो नहीं हो रहा एटीसीएस सिस्टम, फिक्स मोड पर काम कर रहे हैं सिग्नल
- स्मार्ट सिटी मिशन के अनुसार, जब तक स्मार्ट नहीं होंगी पब्लिक व पुलिस तब तक शो पीस बना रहेगा एटीसीएस
स्मार्ट सिटी के चौराहों पर लगने वाले जाम और सिग्नल्स पर होने वाली समय की बर्बादी की जिम्मेदार स्मार्ट पुलिसिंग व स्मार्ट पब्लिक का न होना है। यह हम नहीं स्मार्ट सिटी मिशन प्रयागराज के जिम्मेदार अफसर का कहना है। दरअसल स्मार्ट सिटी के तहत सभी चौराहों पर करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद एटीसीएस (अडाप्टिव ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टमम) लगाया गया है। बावजूद इसको लागू नहीं किया जा रहा है। इसकी जगह ट्रैफिक विभाग सिग्नल्स को फिक्स मोड पर रन करा रहा है। फिर चाहे चौराहे पर रश हो या न हो सिग्नल अपनी मियाद जरूर पूरी करते हैं। इससे पब्लिक का अनावश्यक समय बर्बाद होता है और कभी-कभी जाम भी लगता है।
मैन लेस चौराहों का है प्रस्ताव
देश की सभी मेट्रो सिटीज में अडाप्टिव ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम लगाया गया है। जिसके तहत चौराहों पर टै्रैफिक सिस्टम आटोमेटिक रन करता है और कम से कम जाम लगता है। लेकिन प्रयागराज में ऐसा नहीं है। यहां अधिकतर चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस के जवानों की तैनाती होती है और ट्रैफिक लाइट अपने ढर्रे पर काम करती है। पिछले कुछ समय में ट्रैफिक सिग्नल वाले चौराहे की संख्या बढ़ी है लेकिन सिस्टम की स्मार्टनेस में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
एसटीसीएस क्या है
शहर के 34 चौराहों पर स्मार्ट सिटी मिशन की ओर से एसटीसीएस लगाया गया है। इसमें चौराहों की ट्रैफिक लाइट्स आटोमेटिकल चेंज होती है और टाइम ड्यूरेशन भी रश के हिसाब से काम करता है। ताकि चौराहों पर जाम न लगे और लोगों का अनावश्यक समय बर्बाद होने से बचाया जा सके।
लोग भी हैं समस्या का जिम्मेदार
- स्मार्ट सिटी मिशन का कहना है कि चौराहों पर लगने वाले जाम और समय की बर्बादी के लिए लोग भी जिम्मेदार हैं।
- उनके सिग्नल जंप करने और स्टाप लाइन के नियमों का पालन नहीं करने से सिग्नल्स को फिक्स मोड पर डाल दिया गया है।
- एटीसीएस पर डालने के बाद सिग्नल आटोमेटिकल रश काउंटिंग करेगा और रेड, ग्रीन और यलो मोड पर चला जाएगा।
- अगर कोई इस बीच सिग्नल जंप करता है या नियम का पालन नहीं करता तो सिस्टम में एरर आने लगेगा।
यही कारण है कि अभी सभी जगहों पर एटीसीएस का पालन नहीं कराया जा रहा है।
कैसे पहचानेंगे एटीसीएस
किस चौराहे पर एटीसीएस काम कर रहा है यह पता लगाना काफी आसान है। अगर सिग्नल्स पर टाइमिंग शो नहीं कर रही है तो मान लीजिए कि वह चौराहे एटीसीएस मोड पर चल रहा है। यहां पर रश के हिसाब से सिग्नल्स और टाइमिंग चेंज हो रही है। रोजाना शहर के कुछ चौराहों पर इस सिस्टम को थोड़ी देर के लिए लागू कर टेस्टिंग की जाती है।
इसलिए खुश है ट्रैफिक विभाग
बता दें कि पिछले सालों में प्रयागराज में एक साल में रोड एक्सीडेंट की संख्या 6 हजार के आसपास थी। लेकिन अब इसमें 90 फीसदी की कमी आ गई है। यानी दस फीसदी लोग ही रोड एक्सीडेंट का शिकार हो रहे हैं। इन आंकड़ों को लेकर पुलिस विभाग प्रसन्नता जाहिर कर रहा है। उनका कहना है कि थोड़ी परेशानी जरूर हो रही है लेकिन लोग मौजूदा ट्रैफिक सिस्टम से सेफ हैं।
तब चालू होगा एटीसीएस
- शहर के चौराहों पर एटीसीएस सिस्टम चालू करने के लिए लोगों को एक चौराहे से दूसरे चौराहे के बीच अपनी स्पीड को 30 से 40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पर रखना होगा।
- ऐसा करने से उनको दूसरे चौराहे पर पहुंचने के बाद ग्रीन सिग्नल का अधिक इंतजार नहीं करना होगा।
- लोगों को चौराहों पर स्टाप लाइन के पीछे व्हीकल लगाना होगा।
- सिग्नल जंप करने से बचना होगा, वरना एटीसीएस प्रॉपरली काम नहीं करेगा।
- ट्रैफिक विभाग के सर्वे की रिपोर्ट पर 34 चौराहों पर सिग्नल्स लगाने की मांग की गई थी। इन चौराहों पर एटीसीएस लगाया गया है।
- स्मार्ट पुलिसिंग होगी तभी ट्रैफिक सिस्टम स्मूद होने में मिलेगी हेल्प।
- एटीसीएस में ऑनलाइन चालान की व्यवस्था है। ऐसे में जो भी सिग्नल जंप करेगा उस पर तत्काल फाइन लग जाएगा।
एटीसीएस सिस्टम शहर के 34 चौराहों पर लगाया गया है। यह सिस्टम स्मार्ट पुलिसिंग के साथ बेहतर वर्क कर सकता है। हालांकि अभी अधिकतर चौराहे फिक्स मोड पर काम कर रहे हैं। एटीसीएस लागू होने से जिधर रश अधिक होगा उधर अधिक देर तक ग्रीन सिग्नल होगा और जाम को लगने से बचाया जा सकेगा। यह सिस्टम देश की सभी मेट्रो सिटीज में लगाया गया है।
विपिन कुमार, असिस्टेंट मैनेजर, स्मार्ट सिटी मिशन प्रयागराज