इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के कार्य परिषद की मीटिंग में हुआ फैसला
कार्य परिषद की मीटिंग में एकेडमिक काउंसिल में परीक्षा से भर्ती के फैसले को पलटा
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PRAYAGRAJ: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में कार्य परिषद ने एकेडमिक काउंसिल के फैसले को मंगलवार को पलट दिया। एकेडमिक काउंसिल की ओर से शिक्षक भर्ती यानी असिस्टेंट प्रोफेसर्स की भर्ती में लिखित परीक्षा कराने का निर्णय लिया था। जिसे कार्य परिषद ने बदलते हुए सीधे इंटरव्यू से भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का फैसला लिया है। कार्य परिषद की मीटिंग के दौरान उठे मुद्दे पर परिषद के मेंबर्स ने सुझाव दिया कि यूजीसी की गाइड लाइन के अनुसार असिस्टेंट प्रोफेसर पदों पर भर्ती के लिए प्रस्तावित 100 नम्बर की लिखित परीक्षा की जरूरत नहीं है। ऐसे में इसे हटाया जा सकता है। जिसके बाद सर्वसम्मिति से निर्णय लिया गया है कि भर्ती सीधे इंटरव्यू से होगी।
टीचर्स के 595 पदों पर होनी है भर्ती
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के नार्थ हाल में मंगलवार को कुलपति प्रो। संगीता श्रीवास्तव की अध्यक्षता में मीटिंग हुई। जिसमें टीचर्स के कुल 595 और कर्मचारियों के 632 पदों पर भर्ती को मंजूरी भी दे दी गई। ऐसे में जल्द ही विज्ञापन जारी करके भर्ती प्रक्रिया पूरी की जाएगी। मीटिंग में फैकल्टी रिक्रूटमेंट सेल (एफआरसी) ने रोस्टर का प्रजेंटेशन दिया। साथ ही रिक्त पदों की जानकारी भी सभी मेंबर्स के साथ शेयर की। यूनिवर्सिटी की पीआरओ डॉ। जया कपूर ने बताया कि यूनिवर्सिटी में टीचर्स के कुल 595 पद रिक्त है। इसमें असिस्टेंट प्रोफेसर 357, एसोसिएट प्रोफेसर 168 और प्रोफेसर के 78 पद रिक्त हैं। इन पदों पर भर्ती के लिए यूजीसी की गाइड लाइन के अनुसार प्रक्रिया पूरी की जाएगी। वहीं कर्मचारियों के 632 रिक्त पदों के अन्तर्गत ग्रुप ए में 32, ग्रुप बी 73 और ग्रुप सी 527 पद हैं। इसके अलावा यह भी निर्णय लिया गया कि हिंदी टाइपिस्ट, हिंदी अनुवादक और हिंदी अफसर के पदों के लिए नए सिरे से विज्ञापन करके नियुक्ति की जाएगी।
मीटिंग में लिए गए कई अहम फैसले
कार्य परिषद की मीटिंग में कई अन्य मुद्दों पर भी अहम फैसले लिए गए है। जिसमें साइंस एंड सोसाइटी डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डा। रोहित मिश्र की सेवा समाप्त करने का भी निर्णय लिया गया। डाक्टर रोहित की योग्यता पर सवाल उठने पर इसकी जांच के लिए पूर्व में कार्य परिषद ने कमेटी गठित की थी। इसके साथ ही इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन विभाग की डाक्टर ऋचा मिश्रा को कार्य परिषद से सस्पेंड कर दिया। वह कुलपति की अनुमति के बगैर देश से बाहर (आस्ट्रेलिया) चली गईं। जुलाई में विश्वविद्यालय खुलने के बाद भी वह नहीं लौटीं। ऐसे में इसे नियमों का उल्लंघन मानते हुए तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया। कार्य परिषद की मीटिंग में पांच वर्ष से अनुपस्थित रसायन विज्ञान विभाग के कई लैब असिस्टेंट के खिलाफ जांच बैठा दी गई है।