प्रयागराज ब्यूरो ।

- दोनों बड़े भाइयों को भी असद ने छोड़ा पीछे, इनाम घोषित होने की खानदानी परंपरा
क्कक्र्रङ्घ्रत्रक्र्रछ्व: असद से पहले उसके परिवार में अतीक अहमद, चाचा खालिद अजीम उर्फ अशरफ बड़ा भाई उमर और दूसरे नंबर का भाई अली अहमद पर इनामी घोषित किए जा चुके हैं। उमेश पाल हत्याकांड से पहले तक इनमें सबसे बड़ा इनामी असद का चाचा अशरफ और माफिया अतीक अहमद का बड़ा बेटा उमर था। उमेश पाल व उसके दो गनर की हत्या में जिस असद अहमद की पूरे सूबे की पुलिस को तलाश है, वह जरायम की दुनिया में अपने अब्बा अतीक अहमद और चाचा पूर्व विधायक अशरफ से भी आगे निकल गया है। यही नहीं उसने अपने दो बड़े भाइयों को भी पीछे छोड़ दिया है। सिर पर ढाई लाख का इनाम घोषित होने के बाद वह अपने परिवार में सबसे कुख्यात अपराधी बन गया है। रविवार को इनाम की राशि बढ़ाए जाने के बाद उसका नाम यूपी पुलिस की मोस्ट वांटेड सूची में भी दर्ज हो गया है। हालांकि माफिया अतीक अहमद व उसके परिवार पर इनाम घोषित होने का खानदानी परंपरा चली आ रही है। सभी अपराधी हैं और इन पर समय समय पर इनाम घोषित हो चुका है।


अतीक की कहानी व जुर्म की दुनिया
देश की सियायत में कई ऐसे नेता हैं, जिन्होंने जुर्म की दुनिया से निकलकर राजनीति की गलियों में कदम रखा और वे राजनीति में आकर भी अपनी माफिया वाली छवि से बाहर नहीं निकल पाए। उनके कारनामों ने हमेशा उन लोगों को सुर्खियों में बनाए रखा। यूपी की सियासत का एक ऐसा ही नाम है अतीक अहमद। अतीक अहमद का जन्म 10 अगस्त 1962 को हुआ था। मूलत वह उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जनपद के रहने वाले है। पढ़ाई लिखाई में उनकी कोई खास रूचि नहीं थी। इसलिये हाई स्कूल में फेल होने के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी। कई माफियों की तरह ही अतीक अहमद ने भी जुर्म की दुनिया से सियासत की दुनिया रुख किया था। पूर्वांचल और इलाहाबाद में सरकारी ठेकेदारी, खनन और उगाही के कई मामलों में उनका नाम आया। 17 साल की उम्र में पहला मुकदमा दर्ज हुआ था। उस वक्त जवानी की दहलीज पर कदम रखते थे। वो मुकदमा था हत्या का था। बात 1979 की है। उसके बाद अतीक ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। साल दर साल उनके जुर्म की किताब के पन्ने भरते गये। अतीक पर लगभग डेढ सौ के करीब मुकदमा दर्ज है। जानकारों की माने तो मायावती सरकारी में अतीक पर 2008 में इनाम घोषित हुआ था।

प्रयागराज ब्यूरो । असद से पहले उसके परिवार में अतीक अहमद, चाचा खालिद अजीम उर्फ अशरफ बड़ा भाई उमर और दूसरे नंबर का भाई अली अहमद इनामी घोषित किए जा चुके हैं। उमेश पाल हत्याकांड से पहले तक इनमें सबसे बड़ा इनामी असद का चाचा और माफिया अतीक अहमद का भाई अशरफ था। राजू पाल हत्याकांड की जांच में जुटी सीबीआई ने उसके खिलाफ कोर्ट से वारंट जारी कराया था और इसके बाद से ही वह लगातार फरार चल रहा था। इसके बाद उसके खिलाफ एक लाख का इनाम घोषित किया गया था। तीन जुलाई 2020 को नाटकीय ढंग से पुलिस ने उसे कौशाम्बी के हटवा स्थित उसकी ससुराल से गिरफ्तार कर लिया था। हालांकि चर्चा यही रही थी कि एनकाउंटर के डर से उसने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था।


उमर पर सीबीआई ने घोषित किया था दो लाख का इनाम
फरवरी 2020 में सीबीआई ने असद के सबसे बड़े भाई मोहम्मद उमर पर दो लाख का इनाम घोषित किया था। उमर लखनऊ के प्रॉपर्टी डीलर मोहित जायसवाल को अगवा कर देवरिया जेल में ले जाकर पीटने के मामले में अपने पिता व उसके अन्य गुर्गों संग नामजद था और दिसंबर 2018 में एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही फरार चल रहा था। लंबे समय तक तलाश करने के बाद भी पता न चलने पर सीबीआई ने उस पर दो लाख का इनाम घोषित किया था। जिसके बाद पिछले साल अगस्त में उमर ने सीबीआई कोर्ट में सरेंडर कर दिया था।

50 हजार का इनामी बनाया गया था अली
इससे पहले असद का दूसरे नंबर का भाई अली अहमद भी इनामी घोषित किया जा चुका है। प्रॉपर्टी डीलर जीशान अहमद उर्फ जानू पर जानलेवा हमले और पांच करोड़ की रंगदारी मांगने के मामले में दिसंबर 2021 में उसके खिलाफ करेली थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था। इसके बाद से ही अली लगातार फरार चल रहा था। इस पर उसके खिलाफ पहले 25 हजार और फिर आईजी रेंज प्रयागराज ने 50 हजार का इनाम घोषित किया था। पिछले साल 30 जुलाई को पुलिस को चकमा देकर अली ने इसी मामले में कोर्ट में सरेंडर कर दिया था।