प्रयागराज ब्यूरो । आपकी उम्र तीस साल से अधिक है तो हर छह माह में ब्लड प्रेशर की जांच कराते रहना जरूरी है। क्योंकि अचानक कोई लक्षण दिखा तो संभलना मुश्किल हो सकता है। ये हम नही कह रहे हैं। आईसीएमआर-इंडिया डायबिटिक की हालिया रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। जिसमें कहा गया है कि हर चौथा व्यस्क हाई बीपी का शिकार है और उसे इसके बारे में जानकारी नही है। वहीं प्रयागराज के आंकड़ों पर जाएं तो यहां भी अनुमानित चार लाख से अधिक ब्लड प्रेशर के मरीज हो चुके हैं। जिनमें से कुछ को चिंहित भी किया जा चुका है।

घातक है लक्षण नजर अंदाज करना

वर्तमान में प्रयागराज में 4 लाख से अधिक बीपी के मरीज हैं और इनमें से केवल 12 फीसदी ही अपना इलाज करा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के एनसीडी सेल की ओर से चलाए गए कार्यक्रम के तहत अब तक 13 हजार हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को चिंहित कर उनका इलाज किया जा रहा है। इनमें कई मरीजों को पता ही नही था कि वह बीपी के शिकार हैं। वह लक्षणों को नजर अदंाज कर रहे थे। जब शिविर में पहुंचे तो जांच के बाद इसका पता चला। इन मरीजों का विभाग की ओर से लगातार फालोअप किया जा रहा है।

- थकान

- सिरदर्द

- चक्कर आना

- घबराहट

- सीने में दर्द

- पसीना आना

- यूरीन या नाक से खून आना

कारण

- ज्यादा नमक का सेवन

- अधिक वजन

- फैमिली हिस्ट्र्री

- शराब व सिगरेट का अधिक सेवन

- अधिक तनाव लेना

कब होना है एलर्ट

आमतौर पर लोग अपना ब्लड प्रेशर यदा कदा ही चेक कराते हैं। लेकिन जब चेकिंग के दौरान मानक 140/90 से अधिक आता है तो एलर्ट होने की नौबत आ जाती है। इसे हाईपरटेंशन की सिचुएशन कहा जाएगा। लेकिन जब यही मानक 180/120 के मानक को पार कर जाता है तो मरीज खतरे के निशान के ऊपर चला जाता है। तब उसका इलाज पूरे प्रोटोकाल के साथ शुरू करना जरूरी होता है।

हाई बीपी से होने वाली समस्या

- हार्ट फेल्योर

- किडनी फेल्योर

- ब्रेन हैमरेज

- पैरालिसिस, सांस लेेने में दिक्कत, पैरों सूजन और अधिक थकान

ऐसे कर सकेंगे हाईबीपी से मुकाबला

- रेगुलर जांच के साथ पूरे प्रोटोकाल के साथ दवाएं लेते रहना।

- प्रॉपर एक्सरसाइज और बैलेंस्ड डाइट लेते रहना।

- खाने में नमक का कम यूज करना।

- शराब और सिगरेट से दूरी बनाएं।

- कोलेस्ट्राल को कंट्रोल करना जरूरी।

- वजन अधिक है तो उसे कम करना जरूरी।

- बेवजह का तनाव मत लें, ऐसी जगहों से खुद हट जाएं।

वर्जन

हाई बीपी के मरीजों की संख्या तो बढ़ रही है। उनको चिंहित कर फालोअप किया जा रहा है। सबसे बड़ी समस्या जो लोग दवा बंद कर देते हैं। उनको सर्च करने में समय लगता है। लोग अभी हाई बीपी को लेकर जागरुक नही हैं1

डॉ। राजेश सिंह, नोडल एनसीडी सेल स्वास्थ्य विभाग प्रयागराज