प्रयागराज ब्यूरो । कहीं आप अपने हाइजीन को लेकर अधिक सेंसेटिव तो नहीं है। मसलन बार बार हाथ धोना, दूसरे से हाथ मिलाने के बाद फिर से हाथ को धोना और दरवाजे पर लॉक लगाने के बाद उसे बार बार चेक करना। अगर ऐसी आदते हैं तो डॉक्टर से जरूर सलाह ले लीजिए। क्योंकि यह ओसीडी (आब्सेसिव कम्पल्सिव डिसआर्डर) के लक्षण हैं। आमतौर पर यह गंभीर बीमारी है लेकिन इसे लोग व्यवहारिक तौर पर देखकर सनक का नाम देते हैं और इलाज से बचते हैं। लंबे समय तक इलाज नही कराने से यह बीमारी जीवन को बुरी तरह से प्रभावित करने लगती है।

महीने भर में डेढ़ सौ मरीज

ओसीडी के मरीज कम नही हैं। यह एक कॉमन बीमारी है और भीड में इसके कई पेशेंट होते हैं। काल्विन अस्पताल की मनोचिकित्सा ओपीडी में एक माह में डेढ़ सौ से अधिक मरीज ओसीडी के होते हैं। इनको दवा देने के साथ काउंसिलिंग भी की जाती है। डॉक्टर ऐसे मरीजों के व्यवहारिक इलाज पर भी जोर देते हैं। जिसमें परिवार और यार दोस्तों का अधिक योगदान होता है।

इन लक्षणों से रहना होगा सावधान

- बार बार हाथ धोना।

- किसी से हाथ मिलाने के बाद हाथों को साफ करना।

- दूसरे व्यक्ति को छूने से बचना।

- दरवाजे पर लॉक लगाने के बाद उसे बार बार जाकर चेक करना।

- पंखा बंद करने के बाद उसे देखने जाना कि बंद है कि नही।

- किसी चीज को एक स्थान पर रखने के लिए बार बार परेशान होना।

- किसी मंदिर के सामने से गुजरने पर विचलित हो जाना। मन में अजीब ख्याल आना और सोचना कि कही मेरे साथ कुछ बुरा तो नही होगा।

सेरोटोनिन है असल फसाद की जड़

यह एक तरह का हार्मोन है और यह आंत, प्लेटलेट्स और मस्तिष्क में पाया जाता है। जब इसकी बॉडी में कमी होने लगती है तो ओसीडी के लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं। सेरोटोनिन को हैप्पी हार्मोन भी कहते हैं क्योंकि यह सुख और दुख की अनुभूति भी कराता है और भावनाओं और अवसाद पर नियंत्रण रखने का काम करता है। इसकी कमी होने से व्यक्ति तनाव का शिकार होने लगता है। आइए जानते हैं कि सेरोटोनिन से होने वाले लाभ-

- अवसाद को कम करना

- चिंता को दूर करना

- घाव को तेजी से भरने देना

- उल्टी आने पर उसे रोकना

- हड्डियों को मजबूत बनाना

इन तरीको ंसे बढ़ता है हार्मोन

- खुश रहना

- शांति बनाए रखना

- अपने काम पर ध्यान बनाए रखना

- चिंता की जगह चिंतन करना

- भावनात्मक रूप से अस्थिरता रखना

यह एक कॉमन बीमारी है। ओपीडी में रोजाना पांच से दस मरीज आते हैं। इनकी काउंसिलिंग करने के साथ दवाएं दी जाती हैं। ओसीडी से पीडि़त लोगों का उपहास उड़ाने के बजाय उनको व्यवहारिक और मानसिक सपोर्ट दीजिए। इससे उनकी हालत में निश्चित तौर पर सुधार होगा।

डॉ। राकेश पासवान, मनोचिकित्सक