- सिटी के कई रास्तों पर महिलाओं के लिए नहीं है टॉयलेट, फ्रेश होने के लिए तय करना पड़ता है लंबा सफर

- दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट की टीम ने सिटी के चार तय रास्तों का लिया जायजा

- महिलाओं का दर्द आया सामने- बोलीं घर से ही फ्रेश होकर निकलती हूं, बीच रास्ते से लौटना हो जाती है मजबूरी

PRAYAGRAJ:

शहर के अधिकांश मार्गो पर महिलाओं के लिए टॉयलेट की व्यवस्था नहीं है। घर से किसी काम या फिर नौकरीपेशा महिलाओं को हमेशा इस बात का डर सताता रहता है कि उन्हें अगर बीच रास्ते में टॉयलेट की जरूरत पड़ी तो वे कहां जाएंगी। मजबूरी में काम छोड़कर उन्हें घर की ओर ही लौटना पड़ता है। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट की टीम ने मंगलवार को सिटी के चार रास्तों पर बने शौचालय व दूरी का रियलिटी चेक किया तो यह सच्चाई सामने आई। यहां से गुजर रही महिलाओं ने अपना दर्द बताया।

जानसेनगंज से चंद्रलोक चौराहा (दूरी डेढ से पौने दो किलोमीटरर)

दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट की टीम ने तय रास्तों में जानसेनगंज चौराहा से लेकर चंद्रलोक सिनेमा पेट्रोल पंप तक चेक किया। इस पूरे डेढ से पौने दो किलोमीटर की दूरी में एक भी शौचालय नहीं मिला। यहां टॉयलेट के लिए भटक रही अरूणा जायसवाल पेट्रोल पंप पर बने शौचालय के गेट का ताला खोलवाने के लिए कर्मियों से रिक्वेस्ट करती नजर आई। कर्मचरियों ने सार्वजनिक शौचालय इस्तेमाल करने की नसीहत दी। वहां मौजूद रिपोर्टर ने पूछताछ की तो पता चला कि वह पेशे से टीचर हैं और वह स्कूल से वापस लौट रही हैं। लेकिन टॉयलेट न होने से उन्हें इस मार्ग पर परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आसपास के लोगों से पूछताछ में महिला को पता चला कि राजश्री टंडन मंडपम के पास सार्वजनिक शौचालय है। यहां पहुंचने पर टॉयलेट की गंदगी देख इस्तेमाल करने की उनकी हिम्मत नहीं हुई।

राजश्री टंडन मंडपम से लेकर घंटाघर चौराहा (एक से डेढ किलोमीटर की दूरी)

इस राह पर शिल्पा सिंह को भी शौचालय नहीं मिला। लोगों से पूछताछ के बाद उन्हें पता चला कि जानसेनगंज तरफ मुड़ने पर कुछ दूरी पर एक सार्वजनिक शौचालय है। लेकिन यहां भीड़ के चलते वह इसका इस्तेमाल नहीं कर सकी। उन्होंने वहां मौजूद रिपोर्टर को बताया कि यह रास्ता महिलाओं के शॉपिंग के लिए जाना जाता हैं। बावजूद महिलाओं के लिए यहां कोई अलग से टॉयलेट की व्यवस्था नहीं है। बताया कि स्वरूप रानी अस्पताल पार्क है जहां महिलाओं के लिए टॉयलेट बनवाया जा सकता है।

चौक से लेकर राम भवन चौराहा तक (एक से डेढ किलोमीटर की दूरी)

चौक एरिया से लेकर राम भवन चौराहा तक सिर्फ एक शौचालय बना हुआ है। जो मोहम्मद अली पार्क के पीछे है। शौचालय के लिए यहां पहुंची ममता बिजली का लटकता हुआ तार देख इसके इस्तेमाल की हिम्मत नहीं जुटा सकी। बता दें इस रास्ते में प्रयागराज की मेयर अभिलाषा गुप्ता नंदी का घर भी है। महिला ने बताया कि इस पूरे मार्केट में एक शौचालय होने के चलते महिलाओं के साथ यहां आने वाले हर लोगों को दिक्कत होती है।

रामबाग चौराहा से लेकर बैहराना चौकी तक (डेढ से पौने दो किलोमीटर दूरी)

इन तीनों रास्तों के बाद आखिरी में रामबाग एरिया के तय रास्तों का रियलिटी चेक किया गया। इस रास्ते पर एक शौचालय रामबाग लेबर चौराहा के पास मिला। यहां मधु जैन नामक महिला अपने परिवार की सदस्य के साथ शौचालय ढूंढते हुए नजर आई। जानकारी पर रामबाग लेबर चौराहे पर बने शौचालय पर पहुंची तो वहां का नजारा देखकर उनका मन खिन्न हो गया। बताया कि शौचालय की दीवारों पर लगे फिल्मों के पोस्टर, गेट पर लटके फटे हुए कपड़ों और दरवाजों में कुंडी नहीं होने से यूज नहीं कर सकी।

अक्सर जानसेनगंज से चंद्रलोक सिनेमा तक आना-जाता रहता है। इस रास्ते पर एक भी शौचालय नहीं हैं। घर से निकलने से पहले फ्रेश होकर निकलती हूं। इसको रोकना नई बीमारी को दावत देने जैसा है।

अरुणा जायसवाल, टीचर

चौक एरिया महिलाओं की खरीदारी का पसंदीदा जगह है। यहां कई बार आना-जाना लगा रहता है। शहर स्मार्ट हो रहा है। लेकिन जरूरत की चीजें आज भी स्मार्ट नहीं हो रही है। इसी चक्कर में पानी कम पीकर निकलना पड़ता हैं।

मधु जैन

मार्केटिंग के साथ कोचिंग के लिए रामबाग का रास्ता अपनाना पड़ता है। रास्ते में टॉयलेट की व्यवस्था नहीं है। चिकित्सक के परामर्श के बावजूद पानी कम पीकर चलने की आदत बन गई है।

ममता यादव

शौचालय का मुद्दा काफी बड़ा है। मुश्किल घड़ी में कंट्रोल करना कितना मुश्किल होता है। यह महिलाओं से बेहतर कोई नहीं जानता हैं। जब तक आवाज नहीं उठाया जाएगा। तब तक यह प्राब्लम दूर नहीं होगी।

शिल्पा सिंह

ज्यादा देर तक टॉयलेट रोकने से सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। इससे युटीआई यानी यूरिन ट्रैक्ट इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है और इससे संबंधित कई बीमारियां भी शरीर को लिफ्ट सकती है। किडनी पर भी असर पड़ सकता है। भविष्य में किडनी से संबंधित कई बीमारियां जन्म ले सकती हैं। गॉल ब्लैडर में भी दिक्कत आती है।

डा। अरूण गुप्ता, त्वचा विशेषज्ञ (बीएचएमएस)