भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और इलाहाबाद विकास प्राधिकरण मिलकर करेंगे सौंदर्यीकरण
ALLAHABAD: कुंभ मेला को दिव्य बनाने के लिए पूरे शहर में विकास कार्यो की श्रृंखला चलाई जा रही है। इसी तैयारी में अब इलाहाबाद विकास प्राधिकरण ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के साथ मिलकर इलाहाबाद जंक्शन के सामने स्थित मुगलकालीन खुसरोबाग को वाराणसी के प्रसिद्ध सारनाथ की तर्ज पर विकसित करने की योजना बनाई है।
पत्थरों की बेंच के साथ साइनेज
वाराणसी के सारनाथ में जिस तरह से आकर्षक पत्थरों की बेंच बनाई गई है, ठीक उसी तरह खुसरोबाग परिसर में भी अनगिनत पत्थरों की बेंच बनवाई जाएगी। इसके अलावा हर दस कदम की दूरी पर साइनेज बोर्ड लगाए जाएंगे। इसके साथ ही फसाड़ लाइटिंग की व्यवस्था की जाएगी।
बनी सहमति, शुरू होगा कार्य
विकास प्राधिकरण और पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के आला अधिकारियों की जून के अंतिम सप्ताह में बैठक हुई थी। बैठक में खुसरोबाग के अंदर सौंदर्यीकरण और बाहर सड़क चौड़ीकरण को लेकर मंथन किया गया। विभाग के अधिकारी एससी त्रिपाठी की मानें तो परिसर के अंदर सौंदर्यीकरण का कार्य जुलाई के अंतिम सप्ताह से शुरू कराने पर सहमति बनी है।
खुसरोबाग का इतिहास
- इलाहाबाद जंक्शन के सामने स्थित खुसरोबाग करीब 115 बीघा में स्थित है। वर्ष 1605 में निर्मित इस ऐतिहासिक बाग के भीतर बलुए पत्थरों से बने भव्य मकबरों में मुगल बादशाह जहांगीर के बड़े पुत्र शहजादा खुसरो व उसकी मां शाह बेगम की कब्रें हैं। जनश्रुति के अनुसार यह स्थान प्रथम भारतीय स्वाधीनता संग्राम की घटनाओं से जुड़ा हुआ था।
त्रिवेणी पुष्प के अलावा ऐतिहासिक महत्व के स्थल खुसरोबाग में भी सौंदर्यीकरण कराने की योजना बनाई गई है। इसमें सारनाथ में लगे पत्थरों की बेंच की तरह ही बेंच लगाई जाएगी। साइनेज बोर्ड के अलावा लाइटिंग की बेहतरीन व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए जल्द ही योजना के मुताबिक कार्य शुरू कराया जाएगा।
भानुचंद्र गोस्वामी, उपाध्यक्ष, इलाहाबाद विकास प्राधिकरण