16,155
लोगों की नौ दिनों में आई कोरोना पाजिटिव रिपोर्ट
79
लोगों की नौ दिन में कोरोना से मौत का किया गया दावा
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लोगों की बॉडी फाफामऊ कोरोना घाट पर नौ दिन में जलाई गई
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बॉडी घाट पर अधिक जलाई गई नौ दिन में दावे के सापेक्ष
कोरोना से मौत का दावा से कहीं ज्यादा फाफामऊ कोरोना घाट पर रोज जलाई जा रही बॉडी
mukesh.chaturvedi@inext.co.in
कोरोना से मौत के प्रशासनिक दावे व घाट पर जलाई जा रही बॉडी में जमीन और आसमान के फर्क हैं। पिछले नौ दिनों की स्थिति ही काफी चौंकाने वाली रही। फाफामऊ कोरोना घाट पर इन नौ दिनों में तकरीबन 218 बॉडी जलाई गई। मगर, प्रशासन द्वारा कोरोना से मौत की संख्या महज 79 बताई गई। इधर दो तीन दिनों में कोरोना से मरने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है। मौत को लेकर पब्लिक में बनी आशंका की 'दैनिक जागरण आई- नेक्स्ट' ने पड़ताल की। इस तफ्तीश में जो बातें सामने आई वह हैरान करने वाली रहीं। फाफामऊ घाट पर लकड़ी विक्रेता, स्थानीय निवासियों और बाडी जलाने में लगे कर्मचारियों से बात की गई। इन सभी ने जो बात बतलाई वह कोरोना से मौत के प्रशासनिक दावे पर सवाल खड़े कर रहे हैं। सवाल यह है कि कोरोना से मरने वालों की संख्या इतनी कम है तो इस घाट पर इतनी ज्यादा तादाद में बॉडी क्यों जलाई जा रही है।
घाट पर ऐसे पहुंची रही बॉडी
फाफामऊ गंगा घाट पर सीढ़ी से नीचे उतरते ही दाहिनी तरफ नए रेलवे पुल के नीचे कोरोना से मरने वालों की बॉडी जलाने के प्रबंध किए गए हैं। कोविड से मरने वालों की बॉडी यहां तक एम्बुलेंस द्वारा लाई जाती है। इसके बाद यहां असुरक्षित तरीके से एम्बुलेंस से बॉडी उतार कर जमीन पर रखी जाती है। जमीन पर रखी गई इस बॉडी को जलाने के लिए वहां पहले से कुछ लोग मौजूद होते हैं। यही लोग लकड़ी आदि रखकर बॉडी को जलाते हैं। कोरोना से मरने वालों के तमाम परिजन भी बॉडी के पास खड़े रहते हैं। इन्हें रोकने व टोकने की जहमत कोई नहीं उठाता। एक व्यक्ति तो चला ही गया होता है, उसके पीछे कई और अपनी जान खतरे में डालते हुए वहां बॉडी जलने का इंतजार करते रहते हैं। कुछ ही ऐसे लोग होते हैं जो रेलवे के पुराने पुल के नीचे गाडि़यों में या गाड़ी से उतर कर खड़े रहते हैं। यहां घाट पर चौबीसों घंटे लकड़ी बेचने वाले व कुछ दुकानदार सहित माम लोग रहते हैं। बॉडी को जलवाने के लिए कुछ कर्मचारियों व पुलिस के जवानों की ड्यूटी लगाई गई है। पुलिस के जवान व ये कर्मचारी सुरक्षा की दृष्टि से ज्यादातर सीढि़यों के पास ऊपर ही बैठे रहते हैं।
रिपोर्टर के सवाल पर मिले जवाब
रिपोर्टर- बाइक से फाफामऊ घाट पहुंचा और कोरोना से मरने वालों की जलाई जाने वाले बॉडी की पड़ताल शुरू किया
रिपोर्टर- देखा तो घाट के पास पहुंचते ही पुल के पास स्थित दुकानें व मंदिरों पर तमाम लोग मौजूद थे
रिपोर्टर- द्वारा लोगों से सवाल किया गया कि यह अलग-अलग स्थानों पर मृतकों की बॉडी क्यों जलाई जा रही है?
लोग- जवाब दिए कि अंदर साइड गंगा घाट के किनारे जलाई जाने वाले बॉडी स्वाभाविक मौत से मरने वालों की है
रिपोर्टर- फिर यह नए रेलवे पुल के नीचे तमाम लोगों की बॉडी कैसी जलाई जा रही और यहां भीड़ क्यों है
लोग- बताए कि रेलवे पुल के नीचे गंगा घाट से दूर कोरोना से मरने वालों की बॉडी जलाई जा रही है
रिपोर्टर- फिर वहां इतने लोग भीड़ क्यों लगाए हैं ऐसे तो उन्हें भी कोरोना हो सकता सकता है
लोग- कहना था कि एम्बुलेंस से बॉडी सीधे वहीं ले जाते हैं ऐसे में मृतकों के परिजन भी बॉडी जलवाने पहुंच जाते हैं
रिपोर्टर- प्रतिदिन यहां कोरोना से मरने वालों की करीब कितनी बॉडी जलाई जाती होगी?
लोग- भाई अखबारों में जो हम सब पढ़ते हैं उससे कहीं ज्यादा कोरोना से मौत हो रही, वैसे वे उन कर्मचारियों से पूछो
रिपोर्टर- लोगों द्वारा सीढ़ी के पास बैठे कुछ कर्मचारियों के पास पहुंचा और रोज जल रही बॉडी के बारे में पूछा
कर्मचारी- आप कौन है? बताने पर पहले वह कुछ बोलने से कतराता रहा, काफी कुरेदने पर वह जुबान हिलाया
रिपोर्टर- से नाम न छापने की शर्त पर उसके द्वारा नौ दिनों में डेट वार जलाई गई बॉडी की संख्या बताया
कर्मचारी- ने दावा किया कि घाट पर डेट वार जलाई जाने वाली जो संख्या बता रहे हैं वह सही है
रिपोर्टर- द्वारा कर्मचारी से पूछताछ के बाद घाट पर लकड़ी बेचने वाले कुछ लोगों से भी इस सिलसिले में बात की गई
लकड़ी विक्रेता- जवाब दिए कि वे कर्मचारी जो बात बता रहे हैं वह बिल्कुल सही है, यहां बाडी रोज दर्जनों की संख्या में जलती है।
रिपोर्टर- आप लोग जितनी बॉडी जलने की बात बता रहे हैं वह काफी ज्यादा हैं, प्रशासन तो कोरोना से मौत बता रहा है।
लकड़ी विक्रेता- अब कौन क्या बता रहा हम सब नहीं जानते, यहां घाट पर तो कोरोना से मरने वालों की कतार लगी हुई है
अब रात में भी जला रहे बॉडी
घाट पर की गई पड़ताल में मालूम चला
कि इधर दो दिनों से रात में भी कोरोना से मरने वालों की बॉडी जलाई जाने लगी है। शुक्रवार की रात करीब 11 बजे तक यहां बॉडी जलाई गई है। घाट पर मौजूद लोग कहते हैं इसके पहले तो इस घाट पर सुबह से देर शाम तक ही बॉडी जलाया करते थे। कहते हैं कि इन नौ दिनों में सबसे ज्यादा बॉडी 16 तारीख को जलाई गई। जिसकी संख्या 50 के करीब रही।
पॉजिटिव व डेथ और जलाई गई बॉडी
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डेट पाजिटिव डेथ बॉडी जली
8.4.2021 1129 04 15
9.4.2021 1419 06 16
10.4.2021 1682 07 11
11.4.2021 1628 08 19
12.4.2021 1704 09 23
13.4.2021 2142 12 19
14.4.2021 1891 10 30
15.4.2021 2324 12 35
16.4.2021 2236 11 50
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दिन-09 16,155 79 218
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नोट- घाट पर जलाई गई कुल बॉडी की संख्या वहां मौजूद लोगों व कुछ कर्मचारियों द्वारा बताई गई है। इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं है।
यह संख्या बता पाना मुश्किल है। मेला आई ट्रिपलसी में सारा डाटा है। मेरी खुद तबीयत खराब है। दो तीन दिन से मैं खुद घाट नहीं गया और न ही अपडेट हूं। वैसे सारा कुछ पेपरलेस हो गया है। ऐसे में पूरा डाटा काउंट कराने में वक्त लगेगा। इंतजार करिए सब कुछ बता देंगे।
गंगाराम गुप्ता
अपर जिलाधिकारी नजूल/प्रभारी कोरोना बॉडी