प्रयागराज (ब्यूरो)कभी कभी जीवन में ऐसे मोड़ भी आते हैं जब इंसान के जीवन में अचानक बदलाव हो जाता है। वह समाज के बारे में सोचने लगता है और वह भी बिना किसी स्वार्थ के। हम ऐसे ही लोगों की कहानी कहने जा रहे हैं जिन्होंने अपने त्याग और बलिदान से खुद को महादानी साबित किया है। इनके जीवन में ऐसी घटनाएं हुई कि उसके बाद इन्होंने रक्तदान करना शुरू कर दिया। अब ये लोग किसी पहचान के मोहताज नही हैं।

बोले किसी को तो आगे आने होगा
प्रतियोगी छात्र डॉ। जय सिंह यादव सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे हैं। अब तक वह 27 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं। उनको ब्लड डोनेशन को लेकर मोटिवेशन वर्ष 2004 में हुआ था। जब तेलियरगंज में रहते थे और एक परिचित का बच्चा बाथरूम में फिसलकर गिर गया। इस घटना में उसका काफी ब्लड निकला। तब उन्होंने बच्चे की हालत देखकर ब्लड दिया। उन्होंने देखा कि सगे संबंधी भी रक्तदान से बचना चाहते हैं। यह देखकर उन्होंने नियमित तौर पर ब्लड डोनेशन का संकल्प लिया।

मां के लिए बन गए ब्लड डोनर
बिजनेसमैन दिग्विजय मिश्रा अपनी मां के लिए रक्तदाता बन गए। बताते हैं कि मां रीता मिश्रा को पेट की शिकायत है। इसलिए अक्सर उनका हीमोग्लोबिन घट जाता है। इलाज के लिए ब्लड की आवश्यकता पड़ती है। पहली बार 14 साल पहले ऐसा हुआ तो उन्होंने देखा कि एक यूनिट देने वाला कोई नही मिला। ऐस में वह खुद आगे आए और आज जिनको वह जानते भी नही उनके लिए भी ब्लड देने चले जाते हैं। अब तक वह 28 बार ब्लड दे चुके हैं।

जान बचाने के बाद मिली प्रेरणा
रेलवे में जॉब करने वाले अनूप कुमार बिंद अब तक 26 बार रक्तदान कर चुके हैं। बताते हैं कि पहली बार 2017 में ब्लड डोनेट किया था। दारागंज में पढ़ाई के दौरान हॉस्टल में रहते थे उस समय डेंगू वायरस बहुत तेजी से फैला था। हॉस्टल में एक भईया को 8 यूनिट प्लेटलेट की आवश्यकता थी तब हमने जीवन का पहला रक्तदान कर एक युवा साथी की जान बचाई। तब से प्रण कर लिया जब तक स्वस्थ रहूंगा हर 3 महीने में रक्तदान करता रहूंगा। शुक्रवार को पुन: रक्तदान को तैयार हूं।

पूरे परिवार को कर दिया मोटीवेट
एमएलएन मेडिकल कॉलेज एमबीबीएस पूरा कर चुके जयपुर में एमडी की पढ़ाई कर रहे डॉ। सूर्यभान कुशवाहा भी अब तक 26 बार ब्लड डोनेशन कर चुके हैं। वह बताते हैं कि एमबीबीएस के दौरान एक सर्जरी में मरीज को एक यूनिट की आवश्यकता थी। उसके परिजन तैयार नही हुए तो खुद उन्होंने ब्लड डोनेट किया। तब से वह इस दिशा में लगातार प्रयासरत हैं। अपनी संस्था ह्यूमिनिटी इंडिया ट्रस्ट की ओर से अब तक 80 कैंप लगवा चुके हैं। उनकी प्रेरणा से भाई कमलभान, उदयभान, विजय भान, बहन नीतू और चचेरा भाई रीतेश भी लगातार ब्लड डोनेट कर रहे हैं। हाल ही मे ंउन्हें कमिश्नर विजय विश्वास पंत ने इस कार्य को लेकर सम्मानित भी किया था।

रक्तदान की लगा चुके हैं सेंचुरी
संस्था ब्लू क्रास आर्गनाइजेशन क डायरेक्टर डॉ। राजीव मिश्रा अब तक 102 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं। 2001 में भाई अशोक मिश्रा को ब्लड देने के बाद उन्हें रक्तदान का महत्व पता चला। तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नही देखा। इस मुहिम को लेकर राजीव ने अब तक कन्याकुमारी, तमिलनाडु मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, केरला, राजस्थान, गोवा, मणिपुर की राजधानी इंफाल, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड की राजधानी कोहिमा सहित अब तक 77000 किमी की यात्रा कर ब्लड डोनेट किया है। उन्हें अब तक 11 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। हाल ही में कमिश्नर विजय विश्वास पंत ने उन्हें सम्मानित भी किया था।