कुल नौ किलोमीटर भी नहीं है दूरी
शहर के कोविड अस्पतालों से फाफामऊ घाट तक एंबुलेंस का भाड़ा पांच हजार रुपये। दूरी लगभग नौ किलोमीटर है। कोरोना से मृत व्यक्ति का शव एंबुलेंस में रखने के लिए दो सहायकों का चार्ज अलग है। चौंकिए मत। सौदा यहीं खत्म नहीं होता। फाफामऊ घाट पर भी चढ़ावा देना पड़ेगा। वहां गंदगी और अव्यवस्थाएं हैं वह अलग। कोविड महामारी के बीच जान गवां रहे लोगों के स्वजन से यह उगाही प्राइवेट एंबुलेंस वाले कर रहे हैं और प्रशासन चुप है। सरकारी एंबुलेंस सभी को मिल नहीं पा रही है।
जैसा परिवार वैसा मांगा जा रहा भाड़ा
इन दिनों कोरोना संक्रमितों और उनके स्वजन के सिर पर पहाड़ टूट रहा है। वहीं एंबुलेंस संचालक कोरोना से होने वाली मौतों पर शवों का सौदा कर मालामाल होने की जुगत लगा रहे हैं। जैसा परिवार, वैसा ही भाड़ा। कर्मचारी नेता अश्वनी कुमार श्रीवास्तव के बड़े भाई का कोरोना से निधन नौ अप्रैल को हो गया। लेवल थ्री कोविड अस्पताल के कोरोना रोगी प्रवेश द्वार पर लगी निजी एंबुलेंस के चालक ने उनसे फाफामऊ घाट तक के लिए पांच हजार रुपये मांगा। सुनकर अश्वनी चौंक पड़े। फिर कहा गया कि गाड़ी में शव रखने के लिए दो लड़के लगेंगे उन्हें भी 500-500 रुपये देना पड़ेगा। किसी तरह दाम कम कराकर बात बनी।
नहीं मिल रही सरकारी एंबुलेंस
कोविड अस्पताल के बाहर ही खड़े कटरा निवासी कृपाल सिंह ने बताया कि उनके एक रिश्तेदार की कोरोना से मौत हो गई है। सरकारी एंबुलेंस नहीं मिल रही, प्राइवेट एंबुलेंस वाले चार हजार रुपये मांग रहे हैं। कहते हैं कि मरीज की मौत कोरोना से हुई है, इसलिए शव ले जाने में पूरी किट भी पहननी पड़ती है उसका पैसा लगता है। कृपाल ने बताया कि दूसरे एंबुलेंस का इंतजाम कर रहे हैं। कोविड अस्पताल के बाहर निजी एंबुलेंस संचालकों की इस मनमानी पर कोई भी अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है। हालांकि, उगाही की बात उजागर होने पर निजी एंबुलेंस को वहां से हटाने के लिए पुलिस कर्मी और होमगार्ड लगा दिए गए। मंगलवार को इन पुलिस व होमगार्ड के जवानों ने गेट पर निजी एंबुलेंस खड़ी नहीं होने दी।