देर से आता है कंट्रोल रूम से फोन, बंद चल रहे हैं हॉस्पिटल और क्लीनिक
दवाओं की सही जानकारी न मिलने पर संक्रमित नहीं करा पा रहे इलाज
कोरोना मरीजों को डॉक्टर की तलाश में परेशान होना पड़ रहा है। उन्हें कहीं से भी दवाओं की जानकारी प्राप्त नहीं हो पा रही है। तमाम चिकित्सकीय संगठनों की ओर से भी इस दिशा में उचित कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। ऐसे में संक्रमितों का इलाज देरी से शुरू होता है। मरीजों को यह तक पता नहीं होता कि उन्हें कौन सी दवा लेनी है और उसकी कितनी डोज यूज करना है। कोरोना काल में तमाम अस्पताल और क्लीनिक भी बंद चल रहे हैं जिनका लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है।
केस नंबर एक
दोस्त ने की मदद
लूकरगंज के रहने वाले अमित बीस दिन पहले पाजिटिव हो गए थे। आरटीपीसीआर रिपोर्ट पाजिटिव आने के बाद वह इलाज नहीं शुरू कर पाए। कंट्रोल रूम से उन्हें उचित एडवाइज नहीं मिली। आरआरटी टीम भी घर नहीं पहुंची। ऐसे में फोन पर उनके एक दोस्त ने मदद की और एक परिचित डॉक्टर से बातकर उन्हें दवा की जानकारी दी। तब जाकर इलाज शुरू हो सका।
केस नंबर दो
नहीं मिला उचित रिस्पांस
सिविल लाइंस के व्यापारी रितेश ने लक्षण आने पर जांच कराई तो एंटीजन पाजिटिव आया। इसके बाद वह घर पर आकर आइसोलेट हो गए। परिजनों ने काढ़ा बनाकर दिया लेकिन उससे अधिक फायदा नहीं पहुंचा। अगले दिन उन्हें दवाओं की जानकारी पता करनी चाही तो मदद नहीं मिली। फोन पर एक डॉक्टर से बात की लेकिन उन्होंने ने भी उचित रिस्पांस नहीं दिया। ऐसे में एक डॉक्टर से ऑनलाइन फीस जमाकर परामर्श लेना पड़ा। तब उनका इलाज शुरू हो सका।
केस नंबर तीन
बताई गई दवाओं से नहीं हुआ फायदा
करेली के रहने वाले जफर के साथ भी ऐसा ही हुआ। उनको भी पाजिटिव होने के बाद किसी डॉक्टर से सलाह नहीं मिली। पड़ोस के अस्पताल में भी डाक्टर ने आना बंद कर दिया तो उनको झटका लगा। किसी तरह हेल्प लाइन नंबर से डॉक्टर से बात हुई लेकिन उनकी बताई दवाओं से अधिक फायदा नहीं हुआ। दूसरी बार नए डॉक्टर ने कॉल उठाया। उन्होंने नई दवाएं बताई। यहां भी फायदा नहीं होने पर उनको एक परिचित के जरिए डॉक्टर से उचित इलाज मिल सका।
महज एक नंबर हुआ जारी
इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन की ओर से कुछ दिन पहले बीस डॉक्टर्स के नंबर जारी किए गए थे। इससे लोगों को काफी सहूलियत मिल रही थी। हाल ही में एएमए ने सभी नंबर बंद करके एक सिंगल नंबर हेल्प लाइन जारी की है। लोगों का कहना है कि अक्सर नंबर पर कॉल तो लग जाती है लेकिन डॉक्टर उपलब्ध नहीं हो पाते। कई बार उनके असिस्टेंट फोन उठाते हैं और बाद में कॉल करने को कहते हैं। एएमए के पदाधिकारियों का कहना है कि एक बार में पांच डॉक्टर्स कॉल पर होते हैं इसलिए किसी का कॉल रिजेक्ट होने का सवाल नही उठता।
ऐसे लोगों को मिलेगी सहायता
पाजिटिव मरीजों को तत्काल दवाओं की जानकारी दी जानी चाहिए।
उनके लक्षणों के बारे में पता किया जाना चाहिए।
लोगों को आक्सीजन लेवल और बुखार नापने के बारे में बताया जाना चाहिए।
एएमए के अलावा अन्य संगठनों को आगे आकर अपनी हेल्प लाइन बनाकर उसका प्रचार प्रसार करना चाहिए।
इंटरनेट पर बताए जा रहे इलाज से नुकसान भी पहुंचता है इसलिए लोगों को दवाओं की डोज के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए।
लोगों को जितना जल्दी हो सके इलाज शुरू हो, देर होने पर खतरा बढ़ जाता है।
प्रशासन की राय पर हमने आईसीसीसी में कॉल सेंटर शुरू किया है। जिसका नंबर 9783520230 है। इसमें चार शिफ्ट में बीस डॉक्टर लगाए गए हैं। लोगों को इस पर इलाज की जानकारी दी जा रही है। अगर लाइन बिजी है तो थोड़ी देर बाद कॉल करना चाहिए।
डॉ। राजेश मौर्या
सचिव, एएमए