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PRAYAGRAJ: श्रावण मास की हर तिथि का अपना एक अलग महत्व है। इसी महीने में पंचमी तिथि को नागपंचमी या गुडि़या पर्व के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में इस बार शनिवार को नागपंचमी पर भगवान शिव की विशेष आराधना का अलग ही महत्व है। सनातन धर्मावलंबी यम-नियम से भगवान भोलेनाथ व उनके प्रमुख श्रृंगार नागदेव का पूजन करेंगे। शिवालयों व नाग मंदिरों में अनुष्ठान होगा। भक्त सर्प का पूजन कर उनके प्रकोप से मुक्ति की कामना करेंगे। वहीं, इस बार नागपंचमी पर अखाड़ों में होने वाले दंगल और कुश्ती का आयोजन नहीं हो सकेगा। हालांकि अखाड़ों में अखाड़ा पूजन और हनुमान जी का पूजन करके परंपरा की औपचारिकता निभाई जाएगी।

सुबह 5.42 से पूजन का शुभ मुहूर्त

नागपंचमी पर पूजन शुभ मूहूर्त पर करने से भगवान शिव की विशेष कृपा होती है। ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि पंचमी तिथि शनिवार को दिन में 1.53 बजे तक रहेगी। पूजन का विशेष मुहूर्त सुबह 5.42 बजे से 8.33 बजे तक है। नागपंचमी पर व्रत रखकर भगवान शिव व नाग का पूजन करने वाले व्यक्ति को वर्षभर सर्पभय से मुक्ति मिल जाती है। नागपंचमी के साथ हिंदू धर्म के पर्वो की शुरुआत हो जाएगी।

इन नागों की होती है पूजा

पाराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक ज्योतिर्विद विद्याकांत पांडेय बताते हैं कि नाग पंचमी पर आठ नागों की पूजा करने का विधान है। इसमें अनंत, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख नामक नाग की पूजा की जाती है। पूजा के लिए नागदेव का चित्र चौकी के ऊपर रखें। इसमें हल्दी, रोली, अक्षत (चावल) और पुष्प अर्पित करके नाग देवता की पूजा करें। उन्हें कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर अíपत करें। पूजा के बाद सर्प देवता की आरती उतारकर नागपंचमी की कथा सुनना अथवा कहना चाहिए।

काल सर्पदोष से मुक्ति के लिए यह करें

कुंडली में काल सर्पदोष से मुक्ति के लिए नागपंचमी पर विशेष पूजा होती है। आचार्य विद्याकांत पांडेय बताते हैं कि नाग पंचमी के दिन रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय मंत्र का जप, पंचाक्षर का जप कराना चाहिए। साथ ही किसी भी धातु से बने नाग-नागिन के जोड़ा का पूजन करके बहते हुए जल में प्रवाहित करना चाहिए। जिंदा सर्प को खरीदकर उसकी पूजा करके मुक्त कर दें। ऐसा करने से काल सर्पदोष से मुक्ति मिल जाती है।