241
मुकदमे लड़कियों को बहला-फुसलाकर भगाने के हुए दर्ज
481
लोग धारा 363, 366 के तहत बनाए गए आरोपित
115
के करीब भगायी गई लड़कियां पुलिस ने की बरामद
45
आरोपित पुलिस को चकमा देकर कोर्ट में हुए हाजिर
100
से अधिक आरोपित पुलिस द्वारा जिले भर में हुए गिरफ्तार
96
आरोपित के नाम दौरान विवेचना मुकदमे में मिले गलत
363
व 366 की धारा के तहत दर्ज किए गए हैं यह मुकदमे
-प्यार के नाम पर बहला-फुसलाकर लड़कियों को भगाने वाले युवकों के भविष्य पर संकट
-96 आरोपित पुलिस की जांच में पाए गए बेगुनाह, विवेचकों ने लगाई रिपोर्ट
केस-1
भदोही गोपीगंज का सुरेश केसरवानी यहां परिवार के साथ रहकर पढ़ाई करता था। एक युवती से उनकी आंखें चार हो गई। दोनों ने यहां से भागकर शादी कर ली। युवती के घर वालों ने बहला-फुसलाकर भगा ले जाने का केस दर्ज करवा दिए। बाद में लड़की अपने पिता के पक्ष में हो गई। मुकदमा अब तक चल रहा है। युवक ने कमाने के लिए सऊदी अरब जाने की सोची तो इस मुकदमे की वजह से पासपोर्ट नहीं बन रहा है।
केस-2
होलागढ़ एरिया के पश्चिम नारा निवासी मो। इश्तियाक के हाथ में आई हुई नौकरी चली गई। मो। इश्तियाक को नेवी में नौकरी मिलना करीब तय हो गया था। बताते हैं कि पुलिस वेरिफिकेशन में उसके खिलाफ लड़की को भगा ले जाने का दर्ज मुकदमा रोड़ा बन गया। तमाम कोशिशों के बावजूद बात नहीं बन सकी। थाने से वेरिफिकेशन में दर्ज मुकदमे की रिपोर्ट लगा दी गई। इस रिपोर्ट ने सारी मेहनत पर पानी फेर दी।
PRAYAGRAJ: प्यार के नाम पर बहला-फुसलाकर लड़कियों को भगाने वाले तमाम युवकों का कॅरियर चौपट होना तय है। लड़कियों के परिजनों द्वारा लिखाई गई रिपोर्ट का दंश उन्हें हर कदम पर भुगतना पड़ेगा। खासकर, अगर किसी स्टूडेंट ने ऐसा काम अंजाम दिया हो मामला और बिगड़ जाता है। मुकदमा फाइनल होने तक आरोपित तमाम सरकारी सुविधाओं से वंचित हो जाते हैं। फिर चाहे बात सरकारी नौकरी पाने की हो या फिर कुछ और। समाज में परिवार के साथ खुद को जो बदनामी मिलती है वह अलग।
सैकड़ों हैं मामले
जिले में सैकड़ों युवक ऐसे हैं जिनके खिलाफ लड़कियों को बहला-फुसलाकर भगा ले जाने की रिपोर्ट दर्ज है। पुलिस विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो अब तक 241 मुकदमे 363, 366 की धारा में लिखे गए हैं। इन मुकदमों में 481 लोग को लड़कियों के परिवार की तरफ से आरोपित बनाए गए हैं। इन आरोपितों में लड़कों के दोस्त व परिवार के लोग भी शामिल हैं। इनमें से अब तक 45 आरोपित अभी तक कोर्ट में हाजिर हो चुके हैं। जबकि 96 आरोपित पुलिस की विवेचना में ऐसे मिले जो बेदाग थे। घटना से जिनका दूर-दूर तक नाता नहीं रहा। लिहाजा विवेचक द्वारा इन्हें बेगुनाह साबित कर मुकदमे से नाम हटा दिया गया। आंकड़ों पर गौर करें तो करीब 115 लड़के व लड़कियों को पुलिस ने बरामद कर लिया है।
क्या है धारा 363 व 366
वरिष्ठ अधिवक्ताओं के मुताबिक धारा 363 भी एक तरह का अपहरण ही है
इसे कानून की भाषा में अपहरण कम व्यपहरण कहा जाता है
आरोप साबित होने पर आरोपित को कोर्ट सात साल तक की सजा सुना सकता है
कहते हैं कि शादी करने के आशय से लड़की भगाने को धारा 366 कहते हैं
धारा 366 का आरोप साबित होने पर दस साल तक की सजा का प्राविधान है
इस तरह चौपट हो जाता है भविष्य
अधिवक्ता बताते हैं कि इन धाराओं के आरोपित कई तरह के लाभ भी वंचित हो जाते हैं।
जिसके खिलाफ इस धारा में केस है उसका चरित्र प्रमाण पत्र विभाग से नहीं बन सकता।
बगैर चरित्र प्रमाण पत्र व अन्य कागजात के आरोपित पासपोर्ट जैसी सुविधा से भी वंचित हो जाता है।
दौरान मुकदमा आरोपित सरकारी नौकरी भी ज्वॉइन नहीं कर सकता, क्योंकि चरित्र प्रमाण नहीं बनेगा।
यदि कोर्ट द्वारा आरोपित बरी कर दिया तो बात ठीक, अगर सजा हो गई तो आजीवन सरकारी नौकरी से वंचित हो जाएगा।
मुकदमा 363 का हो या 366 का, सजा का प्राविधान दोनों में ही है। जब तक कोर्ट से आरोपित बरी नहीं होता तो वह आरोपित तो है। मुकदमें से आरोपित का चरित्र संदिग्ध हो जाता है। ऐसे में वह सरकारी नौकरी कैसे पा सकता है। हां, यदि कोर्ट से आरोपित बाइज्जत बनी है तो कहीं भी कोई दिक्कत नहीं है।
गुलाबचंद्र अग्रहरि, जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी