-किराया तो बढ़ा दिया, फिर भी राइट टाइम नहीं चल रही ट्रेन

-पंक्चुअलिटी में सुधार हर क्लास के पैसेंजर्स की है डिमांड

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PRAYAGRAJ: रेल पैसेंजर्स की यूं तो बहुत सी शिकायतें हैं, लेकिन सबसे बड़ी शिकायत ट्रेनों की पंक्चुअलिटी को लेकर है। फॉग, रश पीरियड और फेस्टिवल सीजन तो छोडि़ए, जनरल सिचुएशन में भी ट्रेनें घंटों लेट हो जाती हैं। इससे पैसेंजर्स को डिस्टर्बेस तो होती ही है, कई बार उनके कई इंपॉर्टेट काम भी छूट जाते हैं। दिल्ली-हावड़ा रूट पर सैकड़ों ट्रेनें दौड़ रही हैं। इसके बावजूद ट्रेनों में सीट कम पड़ जाती है। इन सबके बीच पैसेंजर्स को उम्मीद है कि सरकार रेलवे के लिए भी अपना खजाना खोले।

यह हैं रेल पैसेंजर्स की डिमांड्स

-सभी ट्रेनें समय पर चलें और समय पर डेस्टिनेशन तक पहुंचें।

-रेलवे के खान-पान की क्वॉलिटी को इंप्रूव किया जाए।

-ट्रेनों और स्टेशन पर सीसीटीवी कैमरे लगवाए जाएं।

-स्टेशनों पर सफाई व्यवस्था में भी सुधार किया जाना चाहिए।

-तेजस जैसी ट्रेनों की संख्या अन्य रूटों पर भी बढ़ाई जाए।

बेंगलुरु, पुणे के लिए चले डायरेक्ट ट्रेन

इलाहाबाद जंक्शन से दिल्ली, मुंबई के साथ ही अन्य डेस्टिनेशंस के लिए डायरेक्ट ट्रेन अवेलेबल है। लेकिन यहां से बेंगलुरु और पुणे के लिए डायरेक्ट ट्रेन की डिमांड सबसे ज्यादा है। इस वजह से इन जगहों की यात्रा करने वाले पैसेंजर्स को काफी मुश्किल होती है।

कब चलेगी लखनऊ शताब्दी

इलाहाबाद से लखनऊ के लिए शताब्दी एक्सप्रेस चलाए जाने की मांग काफी दिनों से है। कुंभ मेला के दौरान इलाहाबाद-लखनऊ शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन चलाए जाने की संभावना जताई जा रही थी। लेकिन लखनऊ रूट का दोहरीकरण न होने के कारण शताब्दी एक्सप्रेस नहीं चलाई जा सकी।

करीबी स्टेशंस का भी हो डेवलपमेंट

सिटी से सटे स्टेशंस, बमरौली, मनौरी, सूबेदारगंज और झूंसी को और डेवलप करने की जरूरत है। सिटी अब काफी तेजी से एक्सपेंड कर रही है। वेस्ट साइड में सिटी का एरिया मनौरी तक बढ़ गया है। वहीं ईस्ट में झूंसी के आगे तक शहर की आबादी बढ़ गई है। इसलिए इन स्टेशनों पर अब ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। यही हाल फाफामऊ स्टेशन की तरफ भी है।

सूबेदारगंज पर हो ट्रेनों का स्टॉपेज

सूबेदारगंज स्टेशन से ट्रेनें चलाए जाने के साथ ही प्रयागराज, हमसफर, संगम एक्सप्रेस, नौचंदी के साथ ही अन्य महत्वपूर्ण ट्रेनों का स्टॉपेज बढ़ाए जाने की जरूरत है।

इनवर्ड ट्रैफिक कंजेशन हो खत्म

अलग-अलग डायरेक्शन से इलाहाबाद जंक्शन की तरफ आने वाली ट्रेनों के लिए कंजेशन सबसे बड़ी प्रॉब्लम है। ट्रेन चाहे प्रयाग से आ रही हो, छिवकी से या फिर पं। दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन से, इलाहाबाद जंक्शन तक पहुंचने में बहुत वक्त ले लेती हैं। जब तक इन रूट्स का कंजेशन खत्म नहीं होगा, प्रॉब्लम सॉल्व नहीं होगी।

कुंभ में चमके, पर अटके हैं कई काम

कुंभ की वजह से रेलवे में काफी काम हुआ है। प्रयागघाट और प्रयाग स्टेशन का कायाकल्प हो चुका है। सूबेदारगंज स्टेशन के साथ ही अन्य स्टेशनों को भी काफी डेवलप और मॉडिफाई किया गया है। लेकिन अभी भी कई काम अटके हुए हैं

1. आखिर कब शुरू होगा ग्रेड सेपरेटर का काम

इलाहाबाद मंडल में गे्रड सेपरेटर का काम सैंक्शन हुआ था। लेकिन आज तक उस पर काम शुरू नहीं हो सका है। इरादतगंज में फ्लाईओवर बनाकर इरादतगंज से करछना, इरादतगंज से नैनी, कुंआडीह स्टेशन की तरफ रेलवे लाइन गिराने की प्लानिंग थी। इस वजह से गुड्स ट्रेनों का मूवमेंट एनईआर की लाइन से मुंबई की तरफ अटका हुआ है।

2. इलाहाबाद-वाराणसी लाइन डबलिंग कब

इलाहाबाद-वाराणसी रेलवे लाइन के डबलिंग वर्क पिछले करीब एक साल से स्लो है। मनोज सिन्हाजब रेल राज्य मंत्री थे, तब काफी तेजी से वर्क हो रहा था। इस रूट पर कई महत्वपूर्ण ट्रेनें चलती हैं, जो सिंगल लाइन की वजह से अक्सर लेट हो जाती हैं। डबलिंग वर्क पूरा हो जाने पर इलाहाबाद से वाराणसी की दूरी केवल एक घंटे की ही रह जाएगी।

3. ओल्ड यमुना ब्रिज का हो ऑप्शन

ओल्ड यमुना ब्रिज 155 साल पुराना हो चुका है। इस ब्रिज से 200 से 250 ट्रेनें पर डे गुजरती हैं। लेकिन फ्यूचर में इसका सॉलिड ऑप्शन तैयार करना होगा।

4. कब बनेगी थर्ड लाइन

इलाहाबाद से मुगलसराय के बीच थर्ड लाइन बिछाने का काम भी सैंक्शन होकर अटका हुआ है।

मैं ज्यादातर एसी फ‌र्स्ट कोच में सफर करता हूं। इसमें अक्सर एसी खराब होने की शिकायत सामने आती है। इसकी वजह से ट्रेन रोकनी पड़ती है। प्रॉब्लम सॉल्व करने के बाद फिर ट्रेन चलाई जाती है। एसी कोच के टॉयलेट में बेहतर सफाई न होना भी आम बात है।

-दिनेश सिंह, सर्राफा व्यापारी

पीयूष गोयल को रेल मंत्री बने पांच साल हो गए। लेकिन आज भी ट्रेनों की लेटलतीफी पर कोई कंट्रोल नहीं है। फॉग सीजन में तो रेलवे के पास फिर भी बहाना होता है। लेकिन जब आम दिनों में भी ट्रेन लेट होती है तो यह बहुत अटपटा लगता है। पैसेंजर्स का शिड्यूल खराब हो जाता है।

-सलमान हसन, शिक्षाविद

रेलवे का माल भाड़ा कम होना चाहिए। यह रोड ट्रांसपोर्ट की अपेक्षा काफी महंगा है। दिल्ली से इलाहाबाद की बात करें तो रोड ट्रांसपोर्ट साढ़े तीन रुपए प्रति किलोग्राम है। वहीं रेलवे की बात करें तो माल भाड़ा 14-15 रुपए प्रति किलोग्राम है। इस पर सरकार को सोचना चाहिए।

-मनीष शुक्ला, रेलवे ट्रांसपोर्टर

ट्रेनों में कोच बढ़ाए जाने के साथ ही स्पीड भी बढ़ाए जाने की जरूरत है। समय बहुत ज्यादा लग रहा है। मुंबई रूट पर हाईस्पीड ट्रेन चलाई जाए। इसके लिए यह भी किया जा सकता है अननेसेसरी स्टॉपेज को हटाया जाए। इससे ट्रेनों की स्पीड अपने आप ही बढ़ जाएगी।

-प्रदीप केसरवानी, बिजनेसमैन

तमाम दावों के बावजूद ट्रेनों में खाने की गुणवत्ता में आज तक पूरी तरह से सुधार नहीं हो पाया है। आज भी पैसेंजर्स को घटिया क्वॉलिटी का खाना सप्लाई करने का मामला सामने आ ही जाता है। वहीं पैसेंजर्स को बिल भी नहीं दिया जाता है। वेंडर्स के पास बिलिंग मशीन भी नहीं रहती

-काजल त्रिपाठी, स्टूडेंट, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी