इलाहाबाद हाई कोर्ट में पेश हुई रिपोर्ट, 42 नालों का पानी सीधे पहुंच रहा गंगा-यमुना में

गंगा-यमुना में प्रदूषण की सुनवाई कर रही इलाहाबाद हाई कोर्ट की फुल बेंच के सामने रखे गए तथ्य चौंकाने वाले हैं। कोर्ट में जल निगम की गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के महाप्रबंधक, नगर आयुक्त, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व जिलाधिकारी प्रयागराज की तरफ से हलफनामा दाखिल करके बताया गया है 17 नाले गंगा व 25 नाले यमुना में गिर रहे हैं। गंगा जल पीने लायक नहीं है। लेकिन, नहाने लायक है। यह जानने के बाद कोर्ट ने राष्ट्रीय पर्यावरण अभियंत्रण शोध संस्थान को नोटिस जारी की है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या गंगा नदी बेसिन संरक्षण परियोजना पर काम कर रही आइआइटी कंसोíटयम ने कोई रिपोर्ट दी है? अगर दी है तो कोर्ट में दाखिल करें। यह भी बताएं कि गंगा-यमुना में न्यूनतम 50 प्रतिशत जल बहाव बनाये रखने के क्या कदम उठाये गए हैं? यदि परियोजना पर काम चल रहा हो तो पूरी जानकारी दी जाए।

अधिवक्ताओं की टीम देगी रिपोर्ट

मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता, सिद्धार्थ वर्मा और अजित कुमार की फुल बेंच ने प्रयागराज मे गंगा यमुना में सीधे गिर रहे नालों व सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थिति का मुआयना करके रिपोर्ट पेश करने के लिए अधिवक्ताओं की टीम गठित की है। डीएम व एसपी को उन्हें सहयोग देने का निर्देश दिया है। कोर्ट द्वारा गठित समिति में न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण कुमार गुप्त, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिवक्ता डा। एचएन त्रिपाठी, केंद्र सरकार के अधिवक्ता राजेश त्रिपाठी व राज्य सरकार के अधिवक्ता मनु घिल्डियाल शामिल हैं। इन्हें शहर के नालों व एसटीपी की अद्यतन स्थिति पर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।

नगर आयुक्त से मांगी एग्रीमेंट की कापी

कोर्ट ने नगर आयुक्त प्रयागराज को गंगा यमुना में सीधे गिर रहे नालों का बायो-रेमेडियेशन तकनीक के जरिये शोधन करने वाली प्राइवेट एजेंसियों के साथ हुए करार की प्रति व अब तक इन्हें दिये गये धन का ब्योरा पेश करने का निर्देश दिया। याची अधिवक्ता ने कहा कि गंगा-यमुना में नाले का पानी सीधे गिर रहा है, उसका कोई शोधन नहीं किया जा रहा है। कोर्ट ने याची अधिवक्ता से इस पर विशेषज्ञों की रिपोर्ट पेश करने की छूट दी है।

कोर्ट ने राज्य सरकार से अपर सचिव रैंक के अधिकारी के हलफनामे के साथ यह बताने का निर्देश दिया है कि प्रयागराज में बचे 42 नालों को कितने समय में एसटीपी से जोड़ देंगे। कहा, यह भी बताये कि कितने एसटीपी सही काम कर रहे हैं और कितने नाले बिना शोधित सीधे गंगा-यमुना में गिर रहे हैं।

पॉलीथीन पर बैन का कैसे करा रहे पालन

कोर्ट ने नगर आयुक्त प्रयागराज व प्रभारी माघ मेला अधिकारी से पूछा है कि पालीथीन पर प्रतिबंध की राज्य सरकार की 15 जुलाई 2018 को जारी अधिसूचना का पालन कैसे कराया जा रहा है? इसके लिए क्या कदम उठाए गए हैं। अभी तक कितना जुर्माना वसूला गया और कितने के खिलाफ अभियोग चलाया गया। कोर्ट ने चार फरवरी को रिपोर्ट मांगी है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण कुमार गुप्त, वरिष्ठ अधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी, याची अधिवक्ता वीसी श्रीवास्तव, शैलेंद्र सिंह, नगर निगम अधिवक्ता एसडी कौटिल्य, रवि प्रकाश पांडेय, ओम प्रकाश यादव, डा। एचएन त्रिपाठी, सुधांशु श्रीवास्तव, मनोज कुमार सिंह ने पक्ष रखा।