इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पूछा सवाल, मांगी जल की गुणवत्ता रिपोर्ट
राज्य सरकार से पालीथीन बैन की अधिसूचना मांगी, सुनवाई 28 को
नगर आयुक्त से नालों की स्थिति पर व्यक्तिगत हलफनामा तलब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को प्रयागराज में माघ मेला क्षेत्र में तीन अलग स्थानों से गंगा-यमुना का जल लेकर जांच कराकर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। यह भी पूछा है कि गंगा का पानी पीने लायक है या नहीं। यदि नहीं तो जरूरी कदम उठाएं। साथ ही गंगा यमुना में लगातार पानी का बहाव बरकरार रखा जाए।
मेला क्षेत्र के दो किमी। में प्लास्टिक पर प्रतिबंध
कोर्ट ने राज्य सरकार से मेला क्षेत्र के दो किलोमीटर क्षेत्र में पालिथिन/प्लास्टिक प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने की जारी अधिसूचना पेश करने को कहा है। वहीं, जिलाधिकारी प्रयागराज से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थिति पर रिपोर्ट मांगी है। कहा है कि वे जल प्रवाह बनाये रखते हुए डाटा पेश करें। कोर्ट ने नगर आयुक्त से गंगा यमुना में सीधे गिरने वाले नालों की व्यक्तिगत हलफनामे के जरिए रिपोर्ट मांगी है। माघ मेले में पालीथिन प्रयोग पर भी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। याचिका की अगली सुनवाई 28 जनवरी को होगी।
नदी में सीधे गिर रहा नाले का पानी
यह आदेश जस्टिस एमके गुप्ता, जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार की पूर्णपीठ ने गंगा प्रदूषण मामले की सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव, सुनीता शर्मा, शैलेश सिंह, भारत सरकार के अधिवक्ता राजेश त्रिपाठी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वरिष्ठ अधिवक्ता एचएन सिंह, तृप्ति वर्मा, विभु राय, मनु घिल्डियाल आदि अधिवक्ताओं ने पक्ष रखा। कोर्ट में कहा गया कि गंगा यमुना मे गंदे नाले बिना शोधित गिर रहे हैं। जिससे पानी पीने को कौन कहे नहाने लायक भी नहीं है। गंगा के पानी में कालापन है। कल्पवासी व साधु संत गंगा स्नान करते व जल पीते हैं। उन्हें आरओ का पानी पीना पड़ रहा है।
एसटीपी पर भी उठाया गया सवाल
यह भी कहा गया कि एसटीपी ठीक से काम नहीं कर रही। बिना शोधित पानी गंगा यमुना में जा रहा है। साथ ही मेले में पालीथीन से फैल रहे प्रदूषण की तरफ कोर्ट का ध्यान खींचा गया। बताया गया कि 2010 में कोर्ट ने गंगा किनारे स्थित सभी शहरों में दो किलोमीटर तक पालीथीन उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है। जिसका अधिकारी पालन नहीं कर रहे हैं।