-एनसीजेडसीसी में चल रहा है राष्ट्रीय शिल्प मेला, निर्गुण और भजन से श्रोता हुए मंत्रमुग्ध
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PRAYAGRAJ: एनसीजेडसीसी में चल रहे राष्ट्रीय शिल्प मेले के दूसरे दिन संगीत के सात सुरों से सजी शाम का आयोजन हुआ। इसमें श्रोताओं को निर्गुण और भजन का अनोखा संगम देखने को मिला। इस मौके पर श्रोतागण संगीत के सुरों में डुबते-उतराते नजर आए। श्रोताओं ने कलाकारों की मोहक प्रस्तुतियों पर खूब तालियां बजाकर उनका उत्साह बढ़ाया।
मुझे चढ़ गया भगवा रंग
राष्ट्रीय शिल्प मेले की दूसरी सांस्कृतिक संध्या की शुरुआत सिटी के निर्गुण गायक यज्ञ नारायण पटेल के भजनों से हुई। इसके बाद फेमस ओडिसी नर्तक पं। केलू चरण महापात्रा एवं रतिकांत महापात्रा की शिष्या पियाली घोष के ओडिसी नृत्य की प्रस्तुति ने मंदिरों के इस नृत्य के सौन्दर्य से उपस्थित दर्शकों को जोडे़ रखा। इसके बाद मध्य प्रदेश के जबलपुर की प्रसिद्ध भजन गायिका शहनाज अख्तर ने अपनी पेशकश दी। गणेश वंदना से अपने भजनों की शुरुआत करने वाली शहनाज ने 'मुझे चढ़ गया भगवा रंग, भोले हो गये टनाटन' जैसे भजन प्रस्तुत किए।
डांस में लोक कलाओं की झलक
सांस्कृतिक संध्या की बहुरंगी प्रस्तुतियां शिल्प मेले की सांस्कृतिक संध्या का एक महत्वपूर्ण आकर्षण रही। पूर्वोत्तर के लोकरंग, गुजरात के समुद्रतटीय इलाके का आदिवासी सिद्धि गोमा मुस्लिम समुदाय का जनजातीय नृत्य 'सिद्धी धमाल', राजस्थान की युवतियों का मांगलिक व खुशी के अवसरों पर होने वाला चरी व चकरी नृत्य, संतुलन का प्रतीक पूर्वोत्तर के मणिपुर का स्टिक डांस, वैष्णव धर्म के प्रति आस्था का प्रतीक पुंग चोलम, उप्र के गंगा-यमुना के दोआबा क्षेत्र का प्रसिद्ध पारम्परिक नृत्य ढेंढिया, असमी लोकजीवन की ओजस्वी रूप का दर्शन कराता 'बिहू नृत्य' लोगों के आकर्षण का मुख्य केन्द्र रहा। लोकनृत्य के साथ ही शास्त्रीयता का आभास कराता उड़ीसा का गोटीपुआ नृत्यों की प्रस्तुतियों ने भारी संख्या में उपस्थित दर्शकों को भारतीय संस्कृति के शुद्ध देशी लोकरंगों का दर्शन कराया।