मिट्टी के बर्तन से यह हैं बेनेफिट्स
-अपच और गैस की समस्या दूर होती है।
-पौष्टिकता व खाने का स्वाद बढ़ता है।
-मौजूद पोषक तत्व नष्ट नहीं होते हैं।
-भोजन का पीएच वैल्यू मेंटेन रहता है।
-इससे कई बीमारियों से बचाव होता है।
यह है रेट
950 रुपए का कुकर
350 रुपए की सुराही
100 रुपए का तवा
300 रुपए तक केतली व वॉटर बॉटल
-एनसीजेडसीसी में लगे नेशनल क्राफ्ट फेयर में लगा है स्टॉल
-रेड पॉटरी से बने कुकर, हॉटपॉट, केतली, गिलास, कप-प्लेट, बॉटल की खूब है पूछ
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PRAYAGRAJ: वक्त बदलने के साथ लोग मिट्टी से दूर होते जा रहे हैं। लेकिन मिट्टी के प्रति लोगों का मोह अभी खत्म नहीं हुआ है। जीहां, एनसीजेडसीसी में लगे नेशनल क्राफ्ट फेयर में मिट्टी के बर्तनों की डिमांड तो यही बताती है। यहां पर मिट्टी के तवे, जग, गिलास, फ्राइ पैन से लेकर राइस कुकर तक अवेलेबल हैं।
खाने को गर्म भी रखते हैं
रेड पॉटरी से बने यह बर्तन पुराने दौर की याद दिलाते हैं, जब हर घर में सिर्फ मिट्टी के बर्तन यूज होते थे। मिरर, मिट्टी और स्टील के हैंडल्स के के चलते यह सेफ भी हैं। खाना पकाने, रखने और गर्म करने के लिए हांडी और कुकर के नीचे कश्मीरी सिगड़ी की तरह फायर फ्लेम भी लगा है। यही कारण है कि आजकल बड़ी पार्टियों से लेकर हाई क्लास रेस्टोरेंट में भी इन्हें यूज किया जाने लगा है।
सोंधी खुशबू से बढ़ जाता है स्वाद
पॉटरी मेकर और खुर्जा के रहने वाले मुसव्वर ने बताया कि मिट्टी के बर्तनों को होटल-रेस्टोरेंट्स के साथ-साथ एलीट क्लास के लोग भी खूब पसंद कर रहे हैं। मुसव्वर कहते हैं कि यह बर्तन साफ रहते हैं और हाइजीन प्रॉब्लम भी नहीं होती। मिट्टी से बने होने के चलते इन बर्तनों में रखे खाने में स्वाद और सोंधापन भी खूब रहती है। मिट्टी के बर्तन में कुकिंग के दौरान तेल मिट्टी के अंदर चला जाता है। इस तरह खाने में पौष्टिकता बढ़ जाती है। इन्हें साफ करने के लिए डिटर्जेट या साबुन की जरूरत नहीं होती। हाथ से साफ करने से इन बर्तनों में स्क्रैच नहीं आता और इसकी क्वॉलिटी मेंटेन रहती है।
कैंसर और हार्ट डिजीज में कारगर
चेस्ट फिजीशियन डॉ। आशुतोष गुप्ता ने बताया कि कैंसर और दिल से जुड़ी कई बीमारियां माइक्रोवेव के चलते बढ़ी हैं। इसके लिए जरूरत है कि लोग आयरन और मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाएं। मिट्टी से कैल्शियम, सल्फर, फॉस्फोरेस, आयरन, मैग्नीशियम आदि मिनरल्स बॉडी को मिल जाते हैं। इसमें खाना धीमी आंच पर खाना पकता है। इससे पौष्टिक तत्व बचे रहते हैं।
मिट्टी के बर्तनों को लोग काफी पसंद कर रहे हैं। पहले गांव के घरों में, झोपडि़यों में मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल होता था। अब बड़े-बड़े बंगले वाले, फ्लैट वाले मिट्टी के बर्तनों को ले जा रहे हैं और उसमें खाना खा रहे हैं।
-मुसव्वर, खुर्जा निवासी मिट्टी बर्तन बनाने वाले