- सार्वजनिक स्थलों पर शौचालय नहीं होने से महिलाओं को होती है दिक्कत

- दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट के रियलिटी चेक में रोकना, शौचालयों की कमी, पानी कम पीने जैसी बाते आई सामने

PRAYAGRAJ:

बाजार में खरीदारी करने आई महिलाओं की खुशी तक काफूर हो जाती है जब उन्हें टॉयलेट के लिए मशक्कत करनी पड़ती है। शापिंग के दौरान इस तरह की समस्या से उन्हें तनाव हो जाता है। सोमवार को महिला दिवस पर दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट की टीम ने सिटी के पांच गुलजार मार्केट में टॉयलेट का रियलिटी चेक किया तो ज्यादातर बाजारों में टॉयलेट की व्यवस्था नहीं दिखी। जबकि यहां दिन भर आवागमन बना रहता है। कुछ जगहों पर टॉयलेट मिले तो कोसो दूर। अधिकांश महिलाओं का एक ही जवाब था शॉपिंग या काम पर निकलने से पहले पानी कम पीती हूं। बाजार में चाय नहीं पीती हूं। घर पहुंचते ही सबसे पहले टॉयलेट जाना पड़ता है। सभी की पीड़ा एक समान नजर आई।

रियलटी चेक- एक

शहर के व्यस्त बाजारों में से एक यहां का चौक मार्केट है। बाजार में टॉयलेट ही नहीं है। कोसों दूर मोहम्मद अली पार्क के पीछे एक टॉयलेट है। लेकिन साफ- सफाई न होने से इस्तेमाल के लायक नहीं है। टॉयलेट का एक हिस्सा निर्माणाधीन है। जबकि इस एरिया में 4000 से अधिक दुकानें है। हर दुकान पर पांच से दस मिनट में चार से पांच महिलाएं खरीदारी को पहुंचती हैं। दिन भर में डेढ से पौने लाख महिलाएं शॉपिंग के लिए आती हैैं। कुल मिलाकर महीने भर में 45 से 50 लाख महिलाएं खरीदारी को पहुंचती हैं। महिलाएं टॉयलेट के लिए अगल-बगल के रहने वाले घरों व दुकानदारों से हेल्प मांगती हैं।

व्यापारियों की माने यहां रोजाना महिलाओं द्वारा 60 लाख रुपये तक की खरीदारी हो जाती है।

सुलेम सराय

शहर पश्चिमी का बड़ा मार्केट है सुलेम सराय। यहां भी एक टॉयलेट नहीं है। सुलेम सराय पेट्रोल पंप से लेकर अमितदीप मोटर्स की दूरी डेढ किलोमीटर की है। इतनी दूरी में तकरीबन सात सौ अधिक दुकानें हैं।

ज्यादातर लोगों ने नीचे दुकान ऊपर रहने के लिए मकान बनवा रखा है। इन दुकानों में रोजाना साठ हजार से अधिक महिला शॉपिंग के लिए आती हैं। एक महीने में बीस लाख के करीब महिलाएं खरीदारी को पहुंचती हैं। व्यापारियों की माने तो महिलाओं की खरीदारी से रोजाना आठ से दस लाख रुपये की आमदनी होती है। एक महीने में ढाई करोड़ का कारोबार हो जाता है। महिलाओं को टॉयलेट के लिए दुकानदार मालिक से रिक्वेस्ट करना पड़ता है। उसके बाद ऊपर बने का टॉयलेट यूज करने की अनुमति मिलती है।

कटरा मार्केट

शहर के मशहूर मार्केटों में से एक कटरा बाजार में भी टॉयलेट की समस्या है। यहां जरूरत के सभी सामान मिल जाते हैं लेकिन महिलाओं को शौचालय के लिए मशक्कत करनी पड़ती है। वहीं इसी से कुछ दूरी पर नेतराम चौराहा महिलाओं के लिए वीआईपी मार्केट माना जाता है। एक किलोमीटर के दायरे में छोटी बड़ी एक हजार के करीब दुकानें हैं। इस एरिया में एक भी टॉयलेट नहीं है। इस एरिया का छोड़े पूरे कटरा एरिया में एक भी टॉयलेट नहीं है। महिलाओं को रिक्शा पकड़कर कचहरी या फिर मनमोहन पार्क के पास बने सार्वजनिक शौचालय तक जाना पड़ता है। इस एरिया में एक से सवा लाख के आसपास महिलाएं रोजाना शॉपिंग करने पहुंचती हैं। एक महीने में 40 लाख से अधिक महिलाएं खरीदारी को आती हैं। इस एक किलोमीटर के दायरे में बने दुकानदारों को महिलाओें के शॉपिंग से पचास लाख रुपये से अधिक आमदनी होती है। एक महीने में 12 से 14 करोड़ तक का कारोबार होता है।

शहर के वीआईपी मार्केट सिविल लाइंस का भी आलम कुछ ठीक नहीं है। यहां विवेकानंद चौराहा से लेकर सुभाष चौराहा तक में एक भी टॉयलेट नहीं है। जबकि इस एक किलोमीटर की दूरी में छह सौ से अधिक दुकानें है। एक बिल्डिंग में आठ से दस दुकानें है। इस एक किलोमीटर की दूरी वाले मार्केट में शॉपिंग करने के दौरान टॉयलेट आने पर महिलाओं को शॉपिंग काम्पलेक्स या मॉल जाना पड़ता है। कुछ दुकानों के अंदर बने हुए हैं। लेकिन संकोच के कारण महिलाएं नहीं जाती है। इन छह सौ से अधिक दुकानों में रोजाना एक लाख से अधिक महिलाएं व लड़कियां शॉपिंग करने आती हैं। व्यापारियों की माने तो इनके द्वारा शॉपिंग करने से तकरीबन एक करोड़ तक की आमदनी हो जाती है। एक महीने में 35 से 40 करोड़ का कारोबार होता है।

कोठापार्चा मेन मार्केट की शुरुआत से लेकर आधा किलोमीटर दूर तक में तीन से चार सौ तक की संख्या में दुकाने हैं। दिन भर में बीस हजार से अधिक महिलाओं का आना जाना होता है। इनके खरीदारी से 15 से 20 लाख रुपये तक आमदनी व्यापारियों को होती है। बावजूद यहां महिलाओं के लिए टॉयलेट नहीं है। कुछ दूरी पर जीवन ज्योति अस्पताल समीप एक सार्वजनिक शौचालय है।

पिंक टॉयलेट मिलना तो दूर जरूरत पर सार्वजनिक टॉयलेट नहीं दिखाई पड़ता है। आज के टाइम पर भी लेडी टॉयलेट की समस्या दूर नहीं हो पाई है। शॉपिंग करने से पहले कई बार सोचना पड़ता है।

सोनम जायसवाल

शहर के प्रमुख बाजारों में टॉयलेट की सुविधा नहीं है। पिंक टॉयलेट महिलाओं की सबसे बुनियादी जरूरत है। लेकिन अभी यह एक ख्वाब है। सिर्फ महिला सम्मान की बात होती है। जरूरत की चीजों पर कोई बात तक नहीं करता है। जो सबसे जरूरी है।

आयुषी सिंह

जरूरत पर टॉयलेट न मिलने पर अक्सर काम अधूरा छोड़कर घर भागना पड़ता है। बिना संकोच वाली महिलाएं तो जेंट्स तक टॉयलेट तक यूज कर लेती हैं। मगर हर कोई महिला एक जैसी नहीं होती है। पेट्रोल पंप पर टॉयलेट यूज करने पर ताला तक बंद मिलता है।

शिवांगी केशरवानी

बाजारों के बीचोंबीच एक भी जगह पिंक टॉयलेट नहीं है। खरीदारी के वक्त सबसे ज्यादा परेशानी होती है। पुरुष तो इमरजेंसी में कहीं भी यूज कर लेते हैं। ज्यादा देर तक यूरीन रोकने पर तमाम तरीके की बीमारियां पेट में पैदा होती है। महिलाओं के सिर से आखिर कब यह दर्द दूर होगा।

मधुलिका सिंह

शॉपिंग व काम पर निकलते वक्त ज्यादातर महिलाएं पानी कम पीती हैं। चाय तक पीने से बचती हैं। कंट्रोल करना पड़ता है। पता नहीं कब मुश्किल हो जाए। कहीं गलती से टॉयलेट दिख भी गया तो इतना गंदा होता है कि यूज करने की हिम्मत नहीं होती है। गंदे टॉयलेट यूज करने पर अक्सर इंफेक्शन का खतरा रहता है।

अनामिका दास

एक दिन तो पिंक टॉयलेट से पुरुष को निकलते हुये देखा तो हिम्मत नहीं हुई अंदर जाने की। कुछ इसी तरह के हालात रोडवेज बस स्टैंड के पास बने टॉयलेट का है। सार्वजनिक शौचालय में गंदगी से बीमारी का खतरा बना रहता है।

खुशनावेदा फारूकी

प्रेग्नेंसी टाइम पर मेरी परिचित दोस्त को टॉयलेट रोकने बड़ा भारी पड़ा था। चौक एरिया में मार्केट कर रही थी। काफी देर तक टॉयलेट ढूंढने पर भी नहीं मिलने पर रिक्शा करके घर जाना पड़ा। रिक्शा करके घर पहुंचने में भी आधा घंटे से ऊपर का टाइम लग गया। इस एरिया में इतना जाम होता है। डाक्टर को दिखाने पर किडनी पर प्रेशर पड़ने की बात बताया गया था।

नीलम श्रीवास्तव

टॉयलेट को ज्यादा देर तक रोकने पर पेट में दर्द उठना। इसके साथ ही किडनी पर सबसे ज्यादा असर डालता है। हर पंद्रह से बीस महिलाओं में एक के साथ ऐसा केस मिल ही जाता है। कम पानी- पीने से भी पेट की बीमारी हो सकती है।

वर्जन, डा। अरूण कुमार गुप्ता, त्वचा रोग विशेषज्ञ