प्रयागराज (ब्यूरो)। सबसे बड़ी बात यह है कि 50 हजार के इनामी अली को पकडऩे के लिए एसटीएस व पुलिस टीम लाखों रुपये खर्च कर चुकी है। इसके बाद भी उसका कोई सुराग नहीं है। सिर्फ खुल्दाबाद पुलिस की बात करें तो एक लाख रुपये से अधिक का रकम खर्च कर चुकी है। सूत्रों की माने तो कुछ दिन पहले हमजा के पकड़े जाने के दूसरे सिम के इस्तेमाल के आधार पर लोकेशन मिली है।
रंगदारी मांगने का केस
खुल्दाबाद के चकिया मोहल्ला के रहने वाले अली पर करेली थाने में प्रापर्टी डीलर से पांच करोड़ की रंगदारी मांगने के आरोप में बीते साल मुकदमा दर्ज हुआ था। काफी कोशिश के बाद वह पकड़ में नहीं आया तो पुलिस ने पब्लिक से सूचना हासिल करने के लिए इनाम घोषित करना शुरू कर दिया। फिलहाल यह राशि 50 हजार रुपये पहुंच चुकी है। इसके बाद भी उसका कोई सुराग पुलिस के हाथ नहीं है। कुछ दिन पहले देवरिया जेल कांड में अभियुक्त हमजा को सीबीआई लखनऊ की टीम ने करेली से पकड़ा था। सूत्र बताते हैं कि हमजा ने अहमदाबाद जेल में बंद अतीक को वह सिम उपलब्ध कराया था जिससे वह अपना अम्पायर चला रहा था। इस सिम का डिटेल क्रैक करने से पुलिस को अतीक के बेटे में बारे में भी सुराग मिलने के संकेत हैं।
लोकेशन ट्रैकिंग आ रही काम
सीबीआई ने हमजा से अतीक के बड़े बेटे उमर के बारे में भी पूछताछ की थी। सूत्र बताते हैं कि हमजा ने इस पर अपनी जुबान नहीं खोली थी। इसके बाद सीबीआई ने एसटीएफ के अधिकारियों से संपर्क साधा। इसके बाद एसटीएफ की टीम ने नंबर के डिटेल को स्कैन करना शुरू कर दिया। इसी से सुराग मिला है कि पंजाब दिल्ली के बॉर्डर में कहीं पनाह मिली हुई है। उसके पास भी एक ऐसा सिम है। जिसको हमजा ने एक्टिवेट करके दे रखा है। फर्जी तरीके से पकड़े गए हमजा ने दो सिम एक्टिवेट किया था। एक पिता तो दूसरा बेटा के पास होने की संभावना जताई जा रही है।
चाचा ने भी लिया था शरण
अली इन दिनों जिस इलाके व ठिकाने पर छिपा हुआ है, वह काफी सुरक्षित माना जाता है। इसे राजनीतिक संरक्षण भी है। इस इनपुट को एसटीएफ ने और खंगाला तो यह तथ्य प्रकाश में आया कि पंजाब से पहले अली हाथरस में एक रिश्तेदार के यहां काफी समय तक ठहरा भी था। पुलिस ने जब उसके भाई और साथियों के खिलाफ छापेमारी तेज की तो वह दिल्ली फिर उसके बाद पंजाब भाग निकला। एक प्रभावशाली शख्स के कहने पर उसने अपना नया ठिकाना बदला है। सूत्रों के मुताबिक अली से पहले उसके एक लाख के इनामी रहे चाचा खालिद अजीम उर्फ अशरफ को भी शरण मिली थी।
दो टीमों ने डाला डेरा
एसटीएफ की दो टीमों ने दो जगहों पर डेरा डाल रखा है। एक दिल्ली तो दूसरा पंजाब बॉर्डर। सूत्रों की माने तो हमजा के पकड़े जाने के बाद दूसरा सिम उसी दिन से बंद कर दिया गया है। ऐसे में शक है कि उस सिम को कोई और नहीं बल्कि छोटा बेटा ही इस्तेमाल कर रहा है। ट्रिक और डिटेल काम कर गयी तो संभव है कि अली जल्द ही पुलिस की गिरफ्त में हो।