सात लोगों के प्राप्त बिसरा रिपोर्ट में पाई गई है मिथाइल अल्कोहलल की मात्रा

हंडिया में दम तोड़ने वाले 16वें व्यक्ति का भी बिसरा हुआ प्रिजर्व

PRAYAGRAJ: फूलपुर शराब कांड में मरने वाले सात लोगों की मौत का कारण बेनकाब हो चुका है। जिस शराब का सेवन मरने वाले सात लोगों ने किया था वह जहरीली थी। बिसरा जांच रिपोर्ट में मिथाईल अल्कोहल की बात सामने आई है। यह घटना 21 नवंबर 2020 को हुई हुई थी। इसके बाद इस वर्ष प्रतापगढ़ से शुरू हुई शराब से मौत का सिलसिला प्रयागराज के हंडिया और चित्रकूट राजापुर तक जा पहुंचा। हंडिया में शराब के सेवन से बीमार पड़ने के बाद 16 लोगों की मौत हो चुकी है। 16वें व्यक्ति की मौत मंगलवार रात हुई। पोस्टमार्टम बाद इसका भी बिसरा प्रिजर्व किया गया है। सूत्रों की मानें तो उसकी बॉडी में पस बन गया था।

शराब पीने से हुई थी सात की मौत

पिछले वर्ष नवंबर महीने में फूलपुर में घटना हुई थी। यहां शराब पीने के बाद एक-एक कर सात लोगों ने दम तोड़ दिया था। पोस्टमार्टम बाद सभी के बिसरा प्रिजर्व किए गए थे। एडीजी जोन ने बताया कि फूलपुर कांड में मरने वालों की बिसरा रिपोर्ट करीब डेढ़ माह पूर्व सामने आई थी। इसमें मिथाइल अल्कोहल की मात्रा पाई गई है। मिथाइल एक जहरीला तत्व है। मतलब यह हुआ कि फूलपुर में मरने वाले व्यक्तियों द्वारा जो शराब लोग पिए थे वह जहरीली थी। यह बात दीगर है कि यहां से छानबीन बाद बरामद शराब के सैंपल में मिलावट या जहरीली होने की बात साबित नहीं हुई। खैर, हंडिया केस के बाद हरकत में आई पुलिस का एक्शन जारी है। जिले भर में शराब माफियाओं के खिलाफ पुलिस ने अभियान छेड़ दिया है।

जानें क्या है मेथेनॉल या मिथाइल

मेथेनॉल यानी मिथाई एक कार्बनिक यौगिक है।

जिसका अणुसूत्र सीएच-3 ओएच होता है।

इसे मेथिल अल्कोहल, काष्ठ अल्काहेल, काष्ट नैफ्था, मेथिल हाइड्रेट और काष्ठ स्प्रिट भी कहते हैं।

इसे काष्ठ अल्कोहल इसलिए कहते हैं, क्योंकि एक समय में यह प्राय: लकड़ी के भंजक आसवन से प्राप्त की जाती थी।

आजकल इसका उत्पादन एक उत्प्रेरकीय औद्योगिक प्रक्रम के द्वारा होता है, जिसे कार्बन मोनोआक्साइड, कार्बन डाईआक्साइड और हाइड्रोजन प्रयुक्त होते हैं।

मरने से पहले चली जाती है आंख

मेथेनॉल सबसे सरल अल्कोहल है। यह हल्का वाष्पशील, रंगहीन, ज्वलनशील द्रव है।

जिसकी गंध एथेनॉल यानी पेय अल्कोहल जैसी होती है। किन्तु मेथेनॉल अत्यंत विषैला होता है।

इसको पीने से व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। मृत्यु के पूर्व उसके आंख की रोशनी चली जाती है यानी धुंधला दिखाई देने लगता है।

सामान्य ताप पर यह द्रव अवस्था में होता है। इसका उपयोग एंटीफ्रीज, विलायक, ईधन आदि के रूप में होता है।

यह एथेनॉल के विकृतिकारक के रूप में भी प्रयुक्त होता है। यह बायोडीजल के उत्पादन में भी उपयोगी है।

कैसे बन जाती है शराब जहरीली

आबकारी विभाग के जानकार दबी जुबान बताते हैं कि शराब बनाने के लिए शीरे या सड़े हुए फलों का लहन तैयार किया जाता है।

इसमें खमीर उठता है। खमीर में दो तरह के बैक्टीरिया बनते हैं।

एक वैक्टीरिया लहन को इथाइल एल्कोहल में दूसरा उसे मिथाइल एल्कोहल में कनवर्ट करता है।

इसे गर्म करने पर दूसरे कंटेनर या बर्तन में गिरने वाला लिक्विड यानी कच्ची शराब में इथाइल के साथ मिथाइल एल्कोहल भी होता है।

डिस्टलरी में भी ऐसा ही होता है। मगर, वहां टेस्टिंग की सुविधा और तमाम सारे स्टूमेंट लगे होते हैं।

जिसकी मदद से मिथाइल अल्कोहल को अलग करके उसे अन्य प्रयोग के लिए बेचते हैं। इथाइल अल्कोहल को अलग कर देते हैं।

शराब माफियाओं द्वारा बनाई जाने वाली शराब की टेस्टिंग का इनके पास कोई सुविधा नहीं होती।

उन्हें इन बारीकियों के बारे में भी मालूम नहीं होता। ऐसी स्थिति में वह अनजाने इथाइल और मिथाइल एल्कोहल मिली शराब को और नशीला बनाने के लिए नौसादर, यूरिया जैसी चीजें मिला देते हैं।

जिससे शराब में नशा एक क्षमता से अधिक हो जाता है और वह जहरीली भी हो जाती है।

इसे वह खुद भी पीते हैं और बेचते भी हैं। जानकार कहते हैं कि मिथाइल एल्कोहल के सेवन से मनुष्य की तबियत बिगड़ती है।

इलाज में देर होने से उसकी मौत हो जाती है। अचेत होने पर पीडि़त व्यक्ति को बचा पाना संभव नहीं होता।

इसे पीने वाले को इलाज के समय पहले इथाइल एल्कोहल में लाना होता है, मगर बेहोस हो जाने पर यह संभव नहीं होता।

शराब पीने से फूलपुर में मरने वाले व्यक्तियों की बिसरा रिपोर्ट आ गई है। रिपोर्ट में मिथाइल एल्कोहल होने की बात कही गई। हंडिया में हुई घटना में मरने वालों का बिसरा प्रिजर्व है। रिपोर्ट आने के बाद ही डेथ के कारण स्पष्ट होंगे।

प्रेम प्रकाश

एडीजी जोन प्रयागराज