- ग्रेटर नोयडा की फैमिली को सौंपी गई दो साल की बच्ची

- पाकर फूले नही समाए, नही थी कोई संतान

प्रयागराज- दो साल की आकांक्षा की किस्मत बदल गई। उसको मम्मी-पापा मिल गए। साथ ही संतानहीन इस दंपति को एक प्यारी सी बेटी मिल गई। प्रयागराज के जिला प्रोबेशन कार्यालय में बुधवार को बच्ची को ग्रेटर नोयडा की फैमिली को सौंपा गया। इन्होंने कुछ साल पहले बच्चा गोद लेने के लिए आवेदन किया था। जिसे कोर्ट और सरकार ने मंजूरी दे दी। अब यह बच्ची इस फैमिली के साथ रहेगी।

2007 से थे संतानहीन

ग्रेटर नोयडा के रहने वाले अविनाश और पूजा पांडे दोनों एक प्राइवेट कंपनी में साफ्टवेयर इंजीनियर हैं .2007 में इनकी शादी हुई थी लेकिन किसी कारण से पूजा बच्चा कैरी नही कर पा रही थी। दो बार अबार्शन होने और फिर आईवीएफ फेल हो जाने के बार इस दंपति ने बच्चा गोद लेने का फैसला किया। उनके इस प्रपोजल को लखनऊ स्थित अविनाश की फैमिली ने भी हरी झंडी दे दी।

सात दिन से संपर्क में है आकांक्षा

दोनों ने 2018 में बच्चा गोद लेने के लिए ऑनलाइन अप्लाई किया था। जिसे मंजूर कर लिया गया। अविनाश बताते हैं कि जब वेबसाइट पर आकांक्षा की पिक देखा तो हम मोहित हो गए। वह बेहद प्यारी और सुंदर दिख रही थी। 10 फरवरी को यह फैमिली वाराणसी में पहुंची थी। वहां पर अवंतिका एक होम एनजीओ में यह बच्ची दो साल से रह रही थी। इन सात दिनों में वह फैमिली से काफी घुल मिल गई। कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद बच्ची बुधवार को नोयडा रवाना हो गई।

दो साल पहले चाइल्ड ने था सौंपा

आकांक्षा को दो साल पहले चाइल्ड लाइन ने जिला प्रोबेशन विभाग को सौंपा था। प्रयागराज शेल्टर में जगह नही होने पर बच्ची को वाराणसी के एक एनजीओ को दिया गया था। बता देंकि प्रयागराज के पास प्रदेश के सात जिले के अनाथ बच्चों को रखने का अधिकार है जिसमें वाराणसी, मिर्जापुर, बांदा, चित्रकूट, कौशांबी, फतेहपुर शामिल हैं। यहां पर क्षमता से अधिक बच्चे होने पर आकांक्षा को वाराणसी भेजा गया था। दो साल में उसे लेने कोई नही आया।

वेटिंग में हैं तीन हजार

बच्चे गोद लेने वालों की लिस्ट में तीन हजार दंपति वेटिंग में चल रहे हैं। इन दंपतियों को ऑनलाइन आवेदन करना पड़ता है। कई मानकों को परखने के बाद एलिजिबल दंपतियों को बच्चे गोद लेने की छूट दी जाती है। आकांक्षा भी इनमें से एक हैं। जिसको गोद लेने वालों की लाइन में यह दंपति सबसे परफेक्ट साबित हुई।

दिया नया नाम, आकांक्षा बनी पूर्वी

अविनाश का कहना है अब आकांक्षा उनके परिवार का हिस्सा है इसलिए उसका नया नाम आकांक्षा की जगह पूर्वी होगा। जिसका अर्थ होता है पूर्व दिशा से आने वाली क्लासिकल धुन। चूंकि आकांक्षा उन्हें उप्र की पूरब दिशा से मिली है इसलिए यह नाम मुफीद रहेगा। इसके अलावा उसे पीहू दूसरानाम भी दिया गया है। मौके पर अविनाश के बड़े भाई भी मौजूद थे।

बच्ची को दंपति को सौंप दिया गया था। अभी उनको कोर्ट से सर्टिफिकेट भी प्रदान किया जाएगा। दोनों को आकांक्षा बेहद पसंद आई है। दो साल बाद आखिर बच्ची को नए मम्मी-पापा मिल गए जो खुशी की बात है।

पंकज मिश्रा, जिला प्रोबेशन अधिकारी प्रयागराज