-संतों ने धैर्य के साथ पेश की मिसाल
PRAYAGRAJ: कुंभ मेला के पहले शाही स्नान पर्व मकर संक्रांति पर अखाड़ों के शाही स्नान के क्रम में ऐसी परंपरा का पालन किया गया जिसकी कल्पना करना तब कठिन हो जाता है जब नागा संन्यासियों के सबसे बड़े श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के संत-महात्मा और नागा संन्यासियों को शाही स्नान के लिए जाते समय इंतजार करना पड़ा। जबकि 2001 के कुंभ मेला के दौरान दस मिनट का इंतजार करने की वजह से जूना अखाड़े के नागा संन्यासियों का समूह और श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के संन्यासी आमने-सामने आ गए थे। श्री शंभू पंच अग्नि अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद सरस्वती बताते हैं कि उस कुंभ मेला में मकर संक्रांति और मौनी अमावस्या शाही स्नान पर्व के दिन तय क्रम के अनुसार दस से पंद्रह मिनट का इंतजार करने पर बवाल की आशंका पैदा हो गई थी।
45 मिनट की देरी, संतों ने रखा धैर्य
पहले शाही स्नान पर्व मकर संक्त्रांति के लिए प्रयागराज मेला प्राधिकरण की ओर से सभी तेरह अखाड़ों का क्रम एक सप्ताह पहले ही निर्धारित कर दिया था। शाही स्नान के तय क्रम के अनुसार श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के आचार्य महामंडलेश्वर, महामंडलेश्वर और नागा संन्यासियों का काफिला शाही स्नान के लिए अपनी छावनी से सुबह 6.05 बजे निकलना शुरू हो गया। एक दर्जन से अधिक पालकी पर विराजमान होकर महामंडलेश्वर चल रहे थे। एक दर्जन रथ पर सवार होकर अखाड़े के श्रीमहंत चले। नागा संन्यासियों की संख्या भी सैकड़ों में थी। काफिले का आलम यह था कि करीब दो किमी वीवीआईपी मार्ग पर आधा दूरी तक अखाड़े के संत-महात्मा पहुंचे तो अंतिम छोर निरंजनी अखाड़े की छावनी से निकल रहा था। उस समय श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा, श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़ा के हजारों नागा संन्यासी निरंजनी अखाड़े की छावनी के सामने पहुंच गए थे। जूना व आवाहन अखाड़े के संत-महात्माओं ने धैर्य व संयम का परिचय दिया और सुबह 6.40 बजे तक इंतजार करते रहे।
अधिकारियों की बढ़ी धड़कन
कुंभ मेला के लिए सेक्टर सोलह में सभी तेरह अखाड़ों की छावनी एक क्रम में आमने-सामने बसायी गई है। सुबह छह बजे श्री पंच दशनाम जूना और आवाहन अखाड़े के हजारों नागा संन्यासी और आचार्य महामंडलेश्वर शाही स्नान के लिए अपनी-अपनी छावनी से निकलकर बाहर आ गए। दस मिनट के अंतराल पर दोनों अखाड़े के हजारों संत-महात्मा सड़क पर इंतजार कर रहे थे तो पुलिस अधिकारियों की धड़कनें तेज हो गई। यही वजह रही कि निरंजनी अखाड़े की छावनी के बाहर केन्द्रीय रिजर्व पुलिस के दर्जनों जवानों को मुस्तैद होकर खड़ा कर दिया गया।
वर्जन
वर्ष 2001 के कुंभ के बाद पहली बार अखाड़ों के शाही स्नान के क्त्रम में आचार्य महामंडलेश्वरों, श्रीमहंत व नागा संन्यासियों इंतजार करना पड़ा लेकिन यह देखकर बहुत अच्छा लगा कि जहां पांच मिनट के इंतजार पर नोकझोक व बहस हो जाती थी। वह चीज मकर संक्त्रांति शाही स्नान पर्व पर नहीं दिखाई दी।
-आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद जी महाराज, अग्नि अखाड़ा