प्रयागराज (ब्यूरो)। केंद्र सरकार ने 2025 तक शत प्रतिशत टीबी उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस बीमारी के इलाज में दवाओं के साथ पोषण बेहद मायने रखता है। सरकार की ओर से रोगियों को पोषण उपलब्ध कराया जा रहा है। लेकिन अब इसके साथ रोगियों को बेहतर खानपान उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी अधिकारियों, संगठनों और एनजीओ को दी जा रही है। इस तरह से कुल 86 लोगों पर 3410 टीबी मरीजों के पोषण आहार उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी गई है। इनमें से कुल 912 रोगियों को पोषण आहार उपलब्ध भी कराया जा चुका है।
ये हैं बड़े कर्णधार
विभाग गोद लिए मरीजों की संख्या
एनटीपीसी मेजा 100
एनटीपीसी बारा 100
इफको 100
लीड बैंक मैनेजर 400
पावर सेक्टर 200
पीडब्ल्यूडी 200
पीडीए 100
आईएमए 100
सिचाई विभाग 100
नगर निगम 100
जल निगम 100
नर्सिंग होम एसोसिएशन 100
इलाज में है पोषण का महत्व
टीबी के इलाज के साथ पोषण बेहद जरूरी है। मरीज को भरपेट भोजन की आवश्यकता होती है। इसमें सभी प्रकार के प्रोटीन, मिनरल्स और विटामिन की आवश्यकता होती है। जिससे उनका शरीर टीबी रोग से लडऩे लायक बनता है। सरकार चाहती हे कि सरकारी विभाग, संस्थाएं और एनजीओ आगे आकर इन रोगियों के पोषण आहार उपलब्ध कराएं। यही कारण है कि तमाम विभागों ने आकर मरीजों को गोद लिया है।
इन पदार्थों से मिलेगा पोषण
टीबी मरीजों को पोषण के लिए हरी सब्जियां, फल, दूध, पनीर आदि की आवश्यकता होती है। लेकिन बाजार में ये चीजें बेहद महंगी होती हैं। टीबी ऐसा रोग है जो कमजोर और कुपोषित शरीर को अपना निशाना बनाता है। ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को पोषण तत्व उपलबध कराने के लिए सक्षम विभागों को चुना गया है। साथ ही इनका लक्ष्य भी तय है। भविष्य मं इन मरीजों की प्रशासन और शासन स्तर पर मानीटरिंग भी की जानी है।
अलग अलग विभागों ने मरीजों को गोद लिया है। अब ये इनके पोषण का इंतजाम करेंगे। यह पूरी प्रक्रिया परोपकार पर आधारित है। कुल तीन हजार से अधिक मरीजों को गोद लिया गया है।
डॉ। एके तिवारी, जिला टीबी अधिकारी, प्रयागराज