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तरह के होते हैं नशेड़ी
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प्रकार से नशे की पड़ती है लत
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से 18 वर्ष तक ज्यादा रहते हैं चांस
- नशा से दिमाग के प्लेजर पाथ वे नामक पार्ट में होती है उत्तेजना से आनन्द महसूस करते हैं नशेड़ी
- नशे की वजह को लेकर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट द्वारा की गई पड़ताल में कई बातें आई सामने
PRAYAGRAJ: नशा चाहे शराब का हो या फिर कुछ और, सब के पीछे दिमाग में केमिकल लोचा बड़ी वजह है। दरअसल दिमाग में प्लेजर पाथ वे नामक एक पार्ट होता है। प्लेजर पाथ वे डोपामीन नामक न्यूरो ट्रांसमीटर के जरिए काम करता है। लोगों द्वारा किया जाने वाला शराब, गांजा, अफीम जैसे पदार्थो का नशा प्लेजर पाथ वे को उत्तेजित कर देता है। दिमाग के प्लेजर पाथ वे के उत्तेजित होने से नशेड़ी को आनन्द का अहसास होता है। लगातार नशा करते रहने से यह प्लेजर पाथ वे पार्ट को उसकी आदत पड़ जाती है। शराब से कई लोगों की मौत को देखते हुए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने नशे के पीछे लोगों के भागने की वजह जानने की कोशिश की। डॉक्टरों से की गई बातचीत में कई तरह के कारण बताए गए।
क्या है प्लेजर पाथ वे क्यों नशे के पीछे भागते हैं लोग
दिमाग में प्लेजर पाथ वे खुशी को संचालित करता है.लगातार नशा करते रहने से प्लेजर पाथ वे को उसकी आदत पड़ जाती है। इसके बाद जब व्यक्ति नशा नहीं करता तो प्लेजर पाथ वे पार्ट खिंचाव आने लगता है। इससे सम्बंधित व्यक्ति को उलझन, अनिद्रा, तनाव, अवसाद जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। इस स्थिति में पहुंचने वाले व्यक्ति को कुछ भी अच्छा नहीं लगता और वह इन सारी चीजों से बचने के लिए नशे की तलाश में लग जाता है। जैसे ही वह नशे का डोज लेता है प्लेजर पाथ वे फिर उत्तेजित हो जाता है और व्यक्ति को आनन्द की अनुभूति होने लगती है। प्लेजर पाथ वे के यही प्रक्रिया आम भाषा में नशेड़ी या नशे की लत अथवा आदत कहलाती है। इससे बचने के कई सरल व आसान रास्ते भी मेडिकल क्षेत्र में मौजूद हैं। बसर्ते इच्छा शक्ति के साथ नशा करने वाला व्यक्ति खुद इलाज में रुचि ले।
दो तरह के होते हैं नशेड़ी
मेडिकल जगत में आमतौर पर दो तरह के नशेड़ी बताए जाते हैं, दोनों के इलाज का तरीका भी अलग है
इनमें पहला साइको थेरेपी है, इस स्टेज के नशेड़ी को समझा बुझा कर नशा छुड़ाया जा सकता है
साइको थेरेपी में मरीज को यह निश्चित करना होगा कि वे बताई गई बातें मानेगा और नियमों का पालन करेगा
दूसरे फार्मेको थेरेपी, बताते हैं इसमें नशा करने वाले व्यक्ति को दवा देकर उसके माइंड के प्लेजर पाथ वे को कंट्रोल करते है
दवा देने के बाद मरीज नशा कर ही नहीं सकता क्योंकि वे जब भी कोई नशा करेगा उसे उल्टियां होने लगेंगी
इससे किया गया नशा बाहर आ जाएगा, कुछ दिन बाद उसके प्लेजर पाथ वे को बगैर नशे के रहने की आदत पड़ जाएगी
इन पर अभिभावक रखें खास नजर
डॉक्टर कहते हैं कि 11 से 18 वर्ष के युवकों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है। क्योंकि यही वह उम्र है जब युवाओं के कदम नशे की तरफ तेजी से भागते हैं। क्योंकि इस उम्र में नशे के लिए इन पर नशा करने वाले साथियों का दबाव पड़ता है। वह टेस्ट करवाने के नाम पर नशा न करने वाले के ऊपर दबाव बनाते हैं। दूसरा यह कि सौदागरों द्वारा आसानी से उन तक नशे को पहुंचाया जाता है।
दरअसल नशा की लत पड़ने की कुछ खास वजह हैं। सारा खेल दिमाग के प्लेजर पाथ वे नामक पार्ट का होता है। साधारण भाषा में इसे हम दिमाग का खुशी वाला हिस्सा भी कहते हैं।
डॉ। राकेश पासवान, मनोचिकित्सक