-आई स्पेशल
अफसरों की शह पर पार्किंग में चल रही थी दुकानें, बनी थीं अवैध बिल्डिंग
अपने कर्मो पर पर्दा डालने के लिए अब अफसर करा रहे हैं कार्रवाई
ALLAHABAD: एडीए ने मुख्य सचिव की चेतावनी और दौरे के बाद दस दिन में जबर्दस्त कार्रवाई करते हुए करीब दो दर्जन से अधिक बिल्डिंगों से पार्किंग खाली कराई। होटल, रेस्टोरेंट और शो रूम को सील किया। अवैध निर्माण को ढहाया। दुकानदारों और अवैध निर्माण करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर अपनी पीठ थपथपाई। लेकिन जिन अधिकारियों और कर्मचारियों की शह पर अवैध निर्माण हुए उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। एडीए ने पिछले दिनों जितनी भी कार्रवाई की, वे निर्माण एक-दो महीने में नहीं हुए थे, बल्कि उनका निर्माण 22 वर्ष, 20 वर्ष 10 वर्ष पहले हुआ था। पब्लिक के बीच से अब सवाल उठ रहा है कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई।
अवैध निर्माण रोकने की जिम्मेदारी
विकास प्राधिकरण एरिया में कहीं भी अवैध निर्माण न हो, अगर हो तो उसे रोकने और कार्रवाई करने की जिम्मेदारी एडीए के अधिकारियों को सौंपी गई है। इसके लिए बकायदा टीम लगाई गई है। इसके बाद भी अवैध निर्माण होते रहे और अधिकारी व कर्मचारी चुप बैठे रहे।
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केस-1
संगम पैलेस के फर्स्ट फ्लोर पर 300 वर्ग मीटर एरिया में बनी दस दुकानों पर 1994 से यानी करीब 22 वर्ष से अवैध कब्जा था। एडीए ने कभी कार्रवाई नहीं की, सांठ-गांठ से कब्जा बरकरार रहा। मुख्य सचिव ने सख्ती की तो दुकानें खाली करा ली गई।
केस-2
एल्गिन रोड पर हॉट स्टफ चौराहे के पास बने मॉडल शॉप और गैराज भी वर्षो से चल रहे थे। इनका निर्माण लगभग दस वर्ष पहले हुआ था। कुछ दिन पहले दुकान सील होने के बाद दुबारा खुली तो कमिश्नर की पूछताछ में दुकानदार ने कहा था कि एडीए अधिकारियों की सहमति पर दुकान खोली है। तब कमिश्नर के आदेश पर बिल्डिंग ढहाने की कार्रवाई की गई।
केस-3
कूपर रोड पर करीब 800 गज भूमि पर अवैध तरीके से पूरी बस्ती बस गई थी। यहां पशुओं का तबेला चल रहा था। एडीए की टीम अब तक क्या कर रही थी, बस्ती बसते समय ही क्यों नहीं रोकने की कार्रवाई की गई।
केस- 4
सिविल लाइंस स्थित टीबी सपू्र रोड पर नजूल की भूमि पर सीओ दंपत्ति ने कब्जा किया और 250 वर्ग मीटर की जमीन पर भवन निर्माण करा दिया। एडीए अधिकारियों की नजर नहीं पड़ी। भवन सील हुआ, फिर भी निर्माण चलता रहा। मुख्य सचिव से शिकायत हुई तब निर्माणाधीन भवन ढहाया गया।
केस- 5
एमजी रोड पर स्थित शिव महिमा काम्प्लेक्स के बेसमेंट में स्थित पार्किंग के स्थान पर कई वर्ष से दुकानें चल रही थीं। बकायदा निर्माण कराया गया था। मुख्य सचिव ने फटकारा तो पार्किंग खाली कराई गई और दुकानों को ध्वस्त कराया गया। जब बेसमेंट में दुकानें बन रही थीं तो एडीए के जिम्मेदार अधिकारियों कोई कार्रवाई नहीं की।
केस-6
सिविल लाइंस में ही एमजी रोड पर होटल रामकृष्ण की पार्किंग में कई वर्षो से चल रहा था रेस्टोरेंट। इसे एडीए के अधिकारियों ने दे रखा था अभयदान। शासन स्तर से सख्ती हुई तो रेस्टोरेंट सील किया गया।
केस-7
दो अगस्त को एडीए की टीम ने सिविल लाइंस एरिया में अभियान चलाकर बिल्डिंगों की जांच की थी। 23 बिल्डिंग ऐसी मिली थीं जहां पार्किंग स्थल पर कहीं टॉयलेट बना था तो कहीं स्टोर, कहीं गोडाउन तो कहीं दुकान चल रही थी। अब एक दिन में या फिर एक महीने में तो 23 बिल्डिंगों में निर्माण नहीं हो सकता। सवाल ये उठता है कि जब निर्माण हो रहा था और पार्किंग स्थल पर कब्जा किया जा रहा था तो एडीए ने कार्रवाई क्यों नहीं की।
फेसबुक कमेंट-
अवैध निर्माण और इन्क्रोचमेंट के लिए केवल पब्लिक ही दोषी नहीं है। जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। अतिक्रमण की समस्याओं से आम जनता को जूझना पड़ता है। अवैध अतिक्रमण से आए दिन दुर्घटनाएं होती हैं, आवागमन में भी असुविधा होती है। अतिक्रमण हटाया जाना हर व्यक्ति के लिए लाभकारी है।
मीतू
मामले में तो ज्यादातर पब्लिक ही दोषी है। भीड़-भाड़ वाले जगह पर बड़ी-बड़ी गाड़ी लेकर रोड पर पार्क कर देना। जगह-जगह फुटपाथ, रोड पर दुकान लगाना, ये सब कारण पब्लिक की वजह से ही हैं। प्रशासन इन पर ध्यान नहीं देता है। ये प्रशासन की लापरवाही है।
रिषी समीर
वीसी, अपर सचिव के पास जवाब नहीं
इस सम्बंध में एडीए वीसी देवेंद्र कुमार पांडेय से ह्वाटसएप पर मैसेज डाल कर जवाब मांगा गया। उन्होंने मैसेज पढ़ने के बाद भी जवाब नहीं दिया। अपर सचिव गुडाकेश शर्मा से पूछा गया तो उन्होंने भी जवाब नहीं दिया और कॉल भी रिसीव नहीं की।