प्रयागराज ब्यूरो । कैंपस में एग्जाम के दौरान मनमानी और अनुशासनहीनता के आरोप में एमएलएन मेडिकल कॉलेज ने बड़ी कार्रवाई की है। जांच कमेटी ने पैरा मेडिकल के 52 छात्रों को दो माह के लिए एग्जाम से डिबार कर दिया है। साथ ही इसकी रिकमंडेशन स्टेट मेडिकल फैकल्टी को भेज दी गई है। अगर शासन से मुहर लगती है तो यह सभी स्टूडेंट मौजूदा सत्र में एग्जाम नहीं दे पाने से फेल हो जाएंगे। इन्हे एक साल अधिक अपने कोर्स को देना होगा। मामला पैरा मेडिकल छात्रों से जुड़ा है। बुधवार को एग्जाम के दौरान कुछ छात्र मोबाइल फोन लेकर बैठे थे। जब कक्ष निरीक्षक ने इसका विरोध किया तो उन्होंने इसके लिए जबरन दबाव बनाया। मना करने पर दोनों ओर से बहस होने लगी और प्रिंसिपल को मजबूरन पुलिस को बुलाना पड़ा।
सीसीटीवी फुटेज के साथ वीडियो मौजूद
बताया जाता है कि एग्जाम के दौरान कक्षा में कुल 54 स्टूडेंट मौजूद थे। इनमें से तीन के पास मौके पर मोबाइल निकला, जो कि नियमानुसार एग्जाम के दौरान एलाउ
नहीं है। कक्ष निरीक्षक ने शक होने पर इन तीनों को मोबाइल फोन बाहर रखने को कहा। इस पर दोनों ओर से बहस होने लगी और हंगामा होने लगा। छात्रों का तर्क था कि उनसे एसआरएन अस्पताल में अधिक ड्यूटी कराई जाती है जिससे वह पढ़ नही पाते हैं। इसलिए उन्हे मोबाइल लेकर एग्जाम देने दिया जाए। हंगामे के दौरान क्लास से दो स्टूडेंट को छोड़कर 52 स्टूडेंट
बाहर आकर छात्रों का पक्ष लेने लगे। प्रिंसिपल प्रो। वत्सला मिश्रा के समझाने पर भी छात्र नही माने। ऐसे में मौके पर पुलिस भी पहुंच गई। किसी तरह से माहौल को शांत कराया गया। इस पूरी घटना का वीडियो भी बनाया गया है। इसके अलावा सीसीटीवी फुटेज भी मौजूद है।

जांच करने के बाद सुनाया फैसला
इस घटना को घोर अनुशासन हीनता मानते हुए प्रिंसिपल ने गुरुवार को यूरोलाजी के एचओडी प्रो। दिलीप चौरसिया के नेतृत्व में एक जांच टीम का गठन किया था। साथ ही मामले की रिपोर्ट स्टेट मेडिकल फैकल्टी को भी भेज दी गई थी। शुक्रवार को जांच टीम ने पूरे मामले की जांच की। वीडियो फुटेज को भी देखा और इसके बाद विरोध दर्ज कराने के साथ हंगामा करने वाले 52 छात्रों को दो माह के लिए एग्जाम से डिबार कर दिया गया। साथ ही इसकी रिपोर्ट स्टेट मेडिकल फैकल्टी को भेज दी गई।

फैकल्टी के अंडर में आता है कोर्स
बता दें कि बुधवार को मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में रेडियोलॉजी विभाग के तीन टेक्निकल पदों सिटी स्कैन, एमआरआई व एक्सरे की परीक्षा चल रही थी। जानकारी के मुताबिक यह सभी कोर्स स्टेट मेडिकल फैकल्टी के अंतर्गत आते हैं। अगर मेडिकल कॉलेज के फैसले को फैकल्टी ने मान्य कर दिया तो फिर इन स्टूडेंट का एक साल खराब हो जाएगा। क्योंकि वर्तमान में इनका एग्जाम चल रहा है और प्रैक्टिकल भी होने वाले हैं। कुल मिलाकर अनुशासनहीनता के इस मामले को कॉलेज प्रशासन ने गंभीरता से लिया है।

कैंपस में इस तरह से अनुशासनहीनता और मनमानी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ये छात्र खुलेआम एग्जाम में मोबाइल फोन ले जाने की बात कर रहे थे। इस पर हंगामा इतना किया कि पुलिस को बुलाना पड़ा। ऐसा करने वाले 52 छात्रों को दो माह के लिए एग्जाम से डिबार करने के साथ इसकी रिकमंडेशन स्टेट मेडिकल फैकल्टी को दे दी गई है।
प्रो। दिलीप चौरसिया, प्रमुख जांच टीम व एचओडी यूरोलाजी विभाग एमएलएन मेडिकल कॉलेज प्रयागराज

15 दिन के भीतर दूसरी बड़ी कार्रवाई
इसके पहले 31 मई को एमएलएन मेडिकल कॉलेज में एंटी रैगिंग टीम ने चार छात्रों को छह माह के लिए हास्टल से बाहर कर दिया था। साथ ही इन पर दस दस हजार का जुर्माना भी लगाया गया था। इन सभी फाइनल ईयर के छात्रों पर जूनियर्स के साथ गाली गलौज व मारपीट करने का आरोप लगाया गया था। शिकायत मिलने पर एंटी रैगिंग कमेटी के प्रमुख प्रो। दिलीप चौरसिया के नेतृत्व में मामले की जांच कर चारों को हास्टल से निष्कासित कर दिया गया था।