प्रयागराज (ब्यूरो)। इसके पहले 2019 में एसी की सेल में बूम आया था। अगले दो साल कोरोना काल में बदल गए।
इस दौरान इलेक्ट्रानिक मार्केट सुस्त पड़ गई थी। इस साल अचानक तेज गर्मी हुई और पारा 45 डिग्री के पार चला गया।
ऐसे में अचानक एसी की डिमांड बढ़ गई है। मौजूदा सीजन में 25 से 30 हजार एसी बिकने बात सामने आ रही है।
लोग 5 हजार रुपए तक एसी के दाम बढऩे के बावजूद खरीदने से पीछे नही हट रहे हैं।
समय से नहीं हो रही डिलीवरी
अच्छी कंपनियों के हाई स्टार रेटिंग वाले एसी के लिए लोगों को इंतजार करना पड़ रहा है। इन एसी में बिजली की खपत कम होती है। व्यापारियों का कहना है कि देश में एसी का कम्प्रेसर बनाने वाली कंपनियां कम हैं। ऐसे में विदेश से कम्प्रेसर का आयात होता है। इतनी अधिक डिमांड होने की वजह से कंपनियां शत-प्रतिशत सप्लाई नही कर पा रही हैं। यही कारण है कि लोगों को वेट करना पड़ रहा है।
बिजली सप्लाई पर दिखने लगा असर
एक एसी लगाए जाने पर बिजली का लोड 2 किलोवाट तक बढ़ जाता है।
इसका असर सीधे आपूर्ति पर पड़ता है। मौजूदा सीजन में लोड बढ़ जाने से ट्रांसफारमर फुंकने के मामले अधिक सामने आ रहे हैं।
अधिकारियों का कहना है कि बिजली सप्लाई का लोड डेढ गुना बढ़ गया है।
जबकि कंज्यूमर पर बिजली के बिल का भार दोगुना हो गया है।
बावजूद इसके लोगों को एसी से प्रेम कम होने का नाम नही ले रहा है।
गरम हो रहा है वातावरण
एक्सपट्र्स बताते हैं कि एयर कंडीशनर से निकलने वाली गरम हवा से वातावरण अधिक हीट हो जाता है।
इसके अलावा एयर कंडीशनर में क्लोरो फ्लोरो कार्बन का यूज होता है।
ओजोन परत को यही गैस सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती है।
साथ ही कमरे को ठंडा करने वाला एसी बाहर के वातावरण को काफी गर्म कर देता है।
यही कारण है कि किसी आफिस या फैक्ट्री का वह स्थान जहां एसी का आउटडोर लगा है, वहां भट्टी जैसा महसूस होता है।
एसी में लगातार रहने के नुकसान
श्वसन तंत्र को नुकसान
हार्ट से जुड़ी प्राब्लम
रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना
एसी की अधिक हवा लगने से संबंधित अंग की मसल्स का कमजोर होना
बॉडी का माश्चर कम होने से दर्द महसूस होना
पिछले दो साल के मुकाबले एसी की डिमांड बढ़ी है। गर्मी अधिक पडऩा भी इसकी वजह है। यही कारण है कि एसी के दाम में भी फर्क दिखने लगा है।
वीरेंद्र कुमार बिट्टू भैया, केके सेल्स
डिमांड की वजह से शार्टेज भी बनी हुई है। इसका कारण हमारे देश में कम्प्रेसर अधिक नही बनना है। विदेश से आने की वजह से मांग के अनुरूप सप्लाई नही हो पा रही है।
यथार्थ मालवीय, आशा एंड कंपनी
मैंने अपने रूम से इस साल एसी खुद हटवा दिया। क्योंकि इससे इम्युनिटी का लॉस होता है। बॉडी को नेचुरल हवा नही मिलने से मसल्स लॉस होता है। फेफड़े और हार्ट को भी काफी नुकसान होता है।
डॉ। संजय त्रिपाठी, फिजीशियन
बिजली खपत गर्मियों में बढ़ जाती है। वर्तमान में डेढ़ गुना अधिक आपूर्ति हो रही है। लोड बढऩे से लाइन लॉस भी होता है। लोग से अनुरोध है कि जरूरत के मुताबिक ही एसी का उपयोग करें।
विनोद गंगवार, चीफ इंजीनियर, बिजली विभाग