प्रयागराज ब्यूरो । करबला में हक और बातिल की जंग को चौदह सौ साल गुजरने के बाद भी आज तक हुसैन ए मजलूम के चाहने वाले अश्क बहा कर मजलिस मातम और शहादत का बयान कर रहे हैं। मोहर्रम के चांद के दीदार से शुरु हुआ गम का सिलसिला आज माहे मोहर्रम की नवीं को भी शिद्दत से याद किया गया। चक ज़ीरो रोड स्थित इमामबाड़ा डिप्यूटी जाहिद हुसैन में नवीं मोहर्रम की मजलिस को मौलाना सैय्यद रजी हैदर रिजवी साहब किब्ला ने खिताब करते हुए इमाम हुसैन के फरजन्द हम शक्ले पैयम्बर हजरत अली अकबर और छै माह के हजरत मासूम अली असगऱ की शहादत का जिक्र किया तो हर तरफ से आहो बुका की सदाएं बुलन्द होने लगीं।

फूल चढ़ाने और बोसा लेने को बेताब रहे अजादार

मजलिस से पहले रजा इस्माईल सफवी व साथियों ने पुरदर्द मर्सिया पढ़ा। गुलाब व चमेली के फूलों से सजा ताबूत हजऱत अली अकबर व हजरत मासूम अली असगर का झूला जब निकाला गया तो अक़ीदतमन्दों का सैलाब जिय़ारत को उमड़ पड़ा.या अली या हुसैन की सदाओं के साथ मातमदारों ने जम कर मातम किया। अन्जुमन हुसैनिया क़दीम के बुज़ुर्ग नौहाख्वान शाह बहादुर ने करबला की दर्दअंगेज मंजरकशी करते हुए नौहा पढ़ा तो हर आंख अश्कों से सराबोर हो गई। दूसरा नौहा यूशा बहादुर व मोहम्मद अहमद गुड्डू व साथियों ने पढ़ा। छोटी चक इमामबाड़ा वज़ीर हैदर में अशरे की नवीं मजलिस को ज़ाकिरे अहलेबैत अशरफ अब्बास खां ने खिताब किया। अन्जुमन आबिदया के नौहाख्वान मिर्जा काजिम अली ने रवायती अन्दाज में कदीमी नौहा पढ़ा तो माहौल गमजदा हो गया। पान दरीबा इमामबाड़े की मजलिस को मौलाना जावेद खान किबला ने पढ़ा। घंटाघर स्थित इमामबाड़ा सय्यद मियां में जाकिरे अहलेबैत रजा अब्बास जैदी ने खिताब किया तो अन्जुमन हैदरिया के नौहाख्वान हसन रिज़वी व साथियों ने पुरदर्द नौहा पढ़ा।

मीरगंज से निकाला गया अलम

मीरगंज स्थित इमामबाड़ा स्व रजी अस्करी के अजाखाने से नवीं मोहर्रम का दुलदुल व अलम का जुलूस अक़ीदत व ऐहतेराम के साथ निकला। अन्जुमन मोहाफिजे अजा कदीम दरियाबाद व अन्जुमन अब्बासिया रानीमंडी ने मीरगंज से निकले जुलूस मे नौहा और मातम की सदा बुलन्द की। लोकनाथ चौराहा, कोतवाली, डॉ चड्ढा रोड से रानीमंडी होते हुए जुलूस इमामबारगाह आगा महमूद पर पहुंच कर सम्पन्न हुआ।

शर्बत व ठन्डे पानी की लगाई गई सबील

इमामबाड़ों व जुलूस के मार्ग पर विभिन्न सामाजिक संगठनों व अन्जुमनो की ओर से सबील ए इमाम हुसैन लगाई गई। चक ज़ीरो रोड पर अरशद नक़वी की ओर से तो चौक कोतवाली पर शाहरूख काजी व मोमनीन रानीमंडी की ओर से ठण्डे पानी दूध के शर्बत व रुह अफज़ा का शर्बत की स्टाल लगा कर लोगों की प्यास बुझाई गई लोग शर्बत व पानी पी कर उस हुसैन ए मज़लूम व नन्हे अली असगऱ के साथ शोहदाए करबला को याद करते रहे जिसको बेखता व बेजुर्म तीन दिन का भूखा व प्यासा शहीद कर दिया गया था।

आज बख्शी बाजार से निकलेगा तुर्बत का जुलूस

अन्जुमन ग़ुन्चा ए कासिमया के प्रवक्ता सैय्यद मोहम्मद अस्करी के अनुसार माहे मोहर्रम की दसवीं पर शनिवार को आशूरा के दिन सुबहा 7 बजे बख्शी बाजार मस्जिद काजी के सामने स्थित इमामबाड़ा नजीर हुसैन से 1928 में कायम किया गया तुर्बत का ऐतिहासिक जुलूस निकाला जाएगा। मौलाना आमिरुर रिजवी की तकरीर के बाद मशहूर ओ मारुफ सोजख्वान जैगम अब्बास द्वारा ग़मगीन मर्सिया व सोज के साथ तुर्बत का जुलूस दायरा शाह अजमल, कोलहनटोला, रानीमंडी से बच्चा जी धर्मशाला के सामने इमामबाड़ा मीर हुसैनी ले जाया जाएगा। इमामबाड़े में तुर्बत रख कर जाकिरे अहलेबैत रजा अब्बास जैदी मजलिस को खिताब करेंगे। अन्जुमन आबिदया नौहा और मातम करते हुए जुलूस को कोतवाली, नखास कोहना, खुल्दाबाद, घांस सट्टी, हिम्मतगंज होते हुए चकिया स्थित शिया करबला तक जाएगी। दूसरा कदीम दुलदुल जुलूस बशीर हुसैन की कयादत और अन्जुमन हैदरिया रानीमंडी के नेतृत्व में इमामबाड़ा मिर्जा नकी बेग से उठ कर चकिया करबला जायगा।

सड़कों, गलियों व घरों की बत्ती बुझाकर होगी मजलिस

दसवीं मोहर्रम को करबला में हुई नवासा ए रसूल की शहादत व शहादत के बाद बचे हुए लोगों के साथ यजीदी लश्कर द्वारा ढाए गए ज़ुल्म ओ सितम की याद में रानीमंडी खेत वाले मैदान से मशहूर काजमी लॉज में सड़कों गलियों व घरों की बत्ती गुल कर शामें गरीबां की मजलिस होगी। बाद मजलिस हाथों में खाली कूजे और जीन ढ़ले घोड़े की जिय़ारत के साथ लोग मातम करते हुए जुलूस निकालेंगे जो इमामबाड़ा आबिदया तक जाएगा। दरियाबाद व चक ज़ीरो रोड स्थित इमामबाड़ा डिप्यूटी ज़ाहिद हुसैन में भी शामें गरीबां की विशेष मजलिस होगी। दरियाबाद में मौलाना आमिरुर रिजवी के अजाखाने पर शामे गरीबां की मजलिस व नज्र रात्रि 9 बजे होगी।