प्रयागराज (ब्यूरो)।बैंक एकाउंट में केवाईसी अपडेट करने के नाम पर आप ऑन लाइन ठगी के शिकार हो सकते हैं। शातिर साइबर अपराधी पलक झपकते ही आपके एकाउंट से पैसा ट्रांसफर करा सकते हैं। साइबर सेल ने एक ऐसे ही गैंग का खुलासा किया है। जो लंबे समय से केवाईसी अपडेट करने के नाम पर एकाउंट से पैसे उड़ा रहा था। पकड़ा गया आरोपी कोलकाता का रहने वाला है। पुलिस गैंग के अन्य सदस्यों की तलाश कर रही है। गैंग के सदस्य पश्चिम बंगाल और झारखंड के रहने वाले हैं।
एकाउंट से उड़ा दिए साढ़े तीन लाख
आईआईसीआई बैंक में नीलम सिंह का एकाउंट है। नीलम सिंह को फोन आया। फोन करने वाले ने नीलम सिंह से एकाउंट में केवाईसी अपडेट करने के लिए डिटेल पूछी। डिटेल देने के कुछ देर बाद नीलम सिंह के पास मैसेज आया। जिससे उन्हें तीन लाख 41 हजार रुपये ट्रांसफर होने की जानकारी मिली। मैसेज देखते ही नीलम सिंह सन्न रह गईं। उन्होंने साइबर सेल में केस दर्ज कराया। इसके बाद पुलिस ने पड़ताल शुरू की।
कोलाकाता से किया गया खेल
साइबर सेल ने नीलम सिंह के एकाउंट की पड़ताल की तो पता चला कि उनके एकाउंट से कोलकाता के एक एकाउंट में पैसे ट्रांसफर किए गए हैं। एकाउंट की डिटेल मिलने पर साइबर पुलिस आरोपियों की तलाश में लग गई। पता चला कि कोलकाता के रिजेन्ट पार्क पुलिस स्टेशन के दक्खिन पारा के रहने वाले कामेश्वर मंडल के एकाउंट में पैसे ट्रांसफर हुए हैं। साइबर सेल ने कामेश्वर मंडल को गिरफ्तार किया तो पूरा राज खुला।
बैंक अधिकारी बताकर करते हैं फोन
कामेश्वर मंडल ने जो बताया वो बेहद चौंकाने वाला है
पुलिस के मुताबिक एकाउंट खाली करने वाले गैंग का तरीका बेहद शातिराना है
गैंग के सदस्य बैंक एकाउंट में केवाईसी अपडेट करने के लिए फोन करते हैं
खुद को बैंक का अफसर बताते हैं। सदस्यों द्वारा फोन कर बैंक एकाउंट की डिटेल पूछी जाती है
इस बीच एक ओटीपी भेजी जाती है। ओटीपी बताने पर एकाउंट से पैसे ट्रांसफर करा लिए जाते हैं
इधर, एकाउंट धारक के पास पैसे ट्रांसफर होने का मैसेज आता है तो उसके पास शिकायत करने के अलावा कोई उपाय नहीं रहता है।
मोबाइल बेचकर लेते हैं पैसा
पुलिस की पूछताछ में कामेश्वर मंडल ने बताया कि उसके गैंग के सदस्य एकाउंट में पैसा ट्रांसफर करा लेते हैं। उस पैसे से ऑन लाइन मोबाइल खरीदते हैं। नए मोबाइल को सेकेंड हैंड बताकर उसे दुकानों पर बेंच देते हैं। इसके बाद जो पैसा मिलता है उसे गैंग के सदस्य आपस में बांट लेते हैं।
पश्चिम बंगाल, झारखंड में फैला है जाल
साइबर अपराधियों का जाल पश्चिम बंगाल और झारखंड में फैला हुआ है। ये अपराधी फर्जी नाम, पते पर मोबाइल सिम खरीदते हैं। उस सिम का इस्तेमाल फोन करने के लिए किया जाता है। एक सिम से एक बार ही हेराफेरी की जाती है। इसके बाद नए सिम का इस्तेमाल किया जाता है। जो गैंग पकड़ा गया है उसका सेंटर कोलकाता है। पुलिस कोलकाता और झारखंड कनेक्शन की जांच कर रही है। पुलिस कामेश्वर से मिली जानकारी के आधार पर सदस्यों के बैंक एकाउंट फ्रीज करा रही है। कामेश्वर के पास से एक लैपटॉप, पांच मोबाइल, दो कम्प्यूटर हार्ड डिस्क, दो एटीएम कार्ड, एक सिम कार्ड बरामद किया है। गिरफ्तारी करने वाली टीम में सिपाही जयप्रकाश सिंह, पंकज कुमार, अतुल द्विवेदी, अनुराग यादव, प्रदीप कुमार यादव शामिल रहे।
गैंग के एक सदस्य को गिरफ्तार किया गया है। गैंग के अन्य सदस्यों के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। उनके एकाउंट को फ्रीज कराया जा रहा है।
मो.आलमगीर, प्रभारी साइबर सेल
साइबर अपराधियों के आगे पुलिस फेल
साइबर अपराधियों के आगे पुलिस फेल है। पिछले एक महीने के आंकड़ों पर गौर करें तो साइबर अपराधी अलग-अलग लोगों के एकाउंट से पंद्रह लाख रुपये के करीब उड़ा चुके हैं।
1. 24 जून को सुलेमसराय निवासी कृष्ण यादव के एकाउंट से 24 हजार रुपये ट्रांसफर हो गए।
2. 22 जून को राजरूपपुर निवासी संजय श्रीवास्तव के एकाउंट से 45 हजार रुपये गायब कर दिए गए।
पुलिस रिपोर्ट दर्ज करने में करती है आनाकानी
एक तो साइबर अपराधियों ने लोगों की नाक में दम कर रखा है वहीं, पुलिस ऐसे मामले में रिपोर्ट दर्ज करने में भी आनाकानी करती है। मामला 25 मार्च का है। सिविल लाइंस स्थित टाटा मोटर्स के कलेक्शन मैनेजर धीरज गुप्ता के पास एक फोन आया। इसके बाद उनके तीन क्रेडिट कार्ड से सवा दो लाख रुपये कट गए। जानकारी होने पर धीरज बैंक गए। वहां पर उनकी बात को सुना नहीं गया। धीरज की काफी दौड़ भाग के बाद 20 जून को सिविल लाइंस पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया।