प्रयागराज ब्यूरो । शहर के अंदर सैकड़ों नाला पर हुए कब्जे की ओर देर से ही सही नगर निगम ने ध्यान देना शुरू कर दिया है। नाला पर कब्जे के कारण उसके सफाई का कार्य पूर्ण रूप से नहीं हो सका। यही वजह है कि बारिश के दिनों में जगह-जगह सड़कों पर जल भराव हो जाता है। अगस्त महीने के अंत तक नाले पर कब्जा करने वालों को नगर निगम नोटिस देगा। नोटिस देने के पूर्व नाला पर कब्जा करने वाले स्थायी व अस्थाई दुकानदारों एवं मकान मालिकों को नोटिस देगा। इसके पूर्व नाला पर कब्जा करने वालों को सूची बद्ध किया जाएगा। नोटिस के बावजूद यदि लोग नाला खाली नहीं किए तो कार्रवाई पर आने वाला खर्च भी उन्हें अदा करना होगा। नगर निगम ने बनाए गए इस प्लान पर यदि बगैर दबाव व लागलपेट के अमल किया तो कब्जे के शिकार नाले आजाद हो जाएंगे।

कब्जे कारण नहीं हो पाती है सफाई
बारिश पूर्व सफाई के लिए नालों को नगर निगम के द्वारा सूचीबद्ध किया गया था। इस रेकार्ड पर गौर करें तो 547 छोटे नाले शहर के अंदर हैं। इनकी चौड़ाई करीब एक मीटर से बताई गई थी। इतना ही नहीं, पाया गया था कि 92 नाला ऐसे हैं जिनकी चौड़ाई एक मीटर के करीब है। इन नालों की सफाई के लिए नगर निगम द्वारा टेंडर निकाला गया था। यह टेंडर जिले के बाहर की कार्यदायी संस्थाओं को मिला था। नाला सफाई के लिए करीब चार करोड़ के आसपास का बजट निर्धारित था। टेंडर लेने के बाद नाला सफाई के कार्य को शुरू कराया गया। मंशा थी कि छोटे व बड़े हर प्रकार के नालों की शुरू से अंत तक बीच-बीच में पानी रोककर साफ किया जाएगा। मगर, कागज पर तो सारे नाले अच्छी तरह से साफ हुए। लेकिन हकीकत में नाला सफाई का काम ठीक से नहीं हुआ। यही वजह रही कि बारिश शुरू हुई तो पानी निकल पाना मुश्किल हो गया। आज परिणाम यह है कि हल्की सी भी बारिश में सड़कों पर व तमाम मोहल्लों में जगह-जगह जल भराव की स्थिति बन जाती है। कई मोहल्लों की सड़कों पर तो गांठ भर पानी भर जाता है। सूत्र बताते हैं कि इस स्थिति के पीछे नगर निगम द्वारा नालों पर कब्जे को बड़ा कारण मान रहा है। यही वजह है कि नाले को कब्जा मुक्त कराने की कवायद अभी से ही नगर निगम ने शुरू कर दी है। छोटे ही नहीं कई एरिया में बड़े नालों पर भी कब्जा है। विभागीय लोग दबी जुबान बताते हैं कि सबसे नालों पर कब्जा राजापुर, बेली, उचवागढ़ी, बघाड़ा, नेवादा, सिविल लाइंस, टैगोर टाउन, तेलियरगंज, टैगोर टाउन, जार्जटाउन, सुलेमसराय, चकिया, मिनहाजपुर, गंगानगर, कटरा, करेली, अटाला, जैसे इलाकों में छोटे और बड़े नालों पर जबदस्त कब्जा है। छोटे नालों पर सबसे ज्यादा कब्जा स्थायी व अस्थायी दुकानदारों का है। इनके जरिए नाला ही नहीं रोड की पटरी तक पर कब्जा कर लिए गए हैं। माना जा रहा है कब्जे के कारण ही छोटे नालों की सफाई ठीक से नहीं हो पाती। जिसके चलते बारिश में मोहल्लों व सड़कों का पानी नहीं निकल पाता। यही वजह है कि नगर निगम अब नाला पर कब्जा करने वालों को नोटिस देने के व कार्रवाई करने के मूड में है।

कुछ संगठन व राजनीतिज्ञ हैं जिम्मेदार
मोहल्लों में नाला और रोड की पटरियों पर कब्जे के पीछे कुछ संगठन व चंद राजनीतिज्ञ बड़ी वजह बता जा रहे हैं। कुछ लोगों की मानें तो यही वजह लोग हैं जो कार्रवाई के वक्त रोड़ा बन जाते हैं। नाला और पटरियों पर कब्जा हटाते के विरोध में वह हर फन आजमाने लगते हैं। विरोध प्रदर्शन से लेकर राजनीतिज्ञों का दबाव तक बनाना शुरू कर देते हैं। यही वजह है कि अधिकारी भी खामोश होकर बैठ जाते हैं।

नालों पर कब्जा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के वक्त दबाव मानने का सवाल ही नहीं उठता। सैकड़ों लोगों ऐसे हैं जो नाला पर कब्जा कर रखे हैं। इन सभी को सूचीबद्ध करके जल्द ही नोटिस जारी की जाएगी। इसके बाद भी यदि वे नहीं मानें तो कार्रवाई के वक्त आने वाला खर्च भी उन्हीं से वसूल किया जाएगा।
सतीश कुमार, चीफ इंजीनियर,नगर निगम