प्रयागराज (ब्‍यूरो)। तीन दिन पूर्व एसटीएफ की टीम द्वारा ऑनलाइन सट्टा चलाने वाले छह सरगना सहित छह गुर्गे गिरफ्तार किए गए थे। एसटीएफ के हाथ चढऩे के बाद नैनी के शुभेंद्र प्रताप ने पूछताछ में कई राज उगले थे। दबी जुबान विभागीय लोग बताते हैं कि इसी के बाद एसटीएफ टैगोर टाउन में दबिश दी थी। सटोरियों को संरक्षण देने का मामला प्रकाश में आने के बाद एसएसपी का पारा चढ़ गया था। प्याज के परत की तरह एक-एक बात उधड़ कर सामने आई तो चौकी प्रभारी टैगोर टाउन मनीष जायसवाल सहित चार जवान सस्पेंड कर दिए गए थे। सस्पेंड किए गए जवानों में एसओजी का मुख्य आरक्षी आलोक मिश्रा भी शामिल था। विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो इसी के बाद एडीजी के पास भी कुछ पुलिस कर्मियों का काला चिट्ठा पहुंच गया। बातें मालूम चलीं तो सख्त रुख वाले एडीजी का माथा ठनक गया। बगैर देर किए एडीजी ने साइबर थाने के सिपाही रविसेन ङ्क्षसह, अतुल ङ्क्षसह, एसओजी यमुनापार के धर्मेंद्र यादव, अनिल ङ्क्षसह, एसओजी उत्तरी के रमेश पटेल, एसओजी गंगापार के रविदेव ङ्क्षसह यादव, याकूब, चुनाव कार्यालय में तैनात दीपक ङ्क्षसह, अवनीश, हंडिया थाने के जवान शक्ति ङ्क्षसह, एसओजी के जियाउद्दीन, पुलिस लाइन में रहे अभय ङ्क्षसह व एसओजी पश्चिमी से निलंबित सिपाही आलोक मिश्रा को प्रतापगढ़ एसपी के साथ विशेष ड्यूटी से संबद्ध कर दिया। एडीजी की इस कार्रवाई को लेकर विभाग में रविवार को पूरे दिन हड़कंप और चर्चा का विषय बना रहा। चर्चाओं पर गौर करें तो एडीजी द्वारा की गई इस कार्रवाई के पीछे सटोरियों से साठगांठ की शिकायत है। हालांकि इस कार्रवाई की बाबत खुलकर कुछ बोलने से विभाग के लोग कतराते रहे। कार्रवाई के सम्बंध में जानकारी के लिए एडीजी प्रेम प्रकाश को फोन लगाया गया तो उनके पीआरओ ने रिसीव किया। पूछने पर कॉल करने की वजह बताई गई तो पीआरओ ने मैसेज छोडऩे की सलाह दी। एडीजी को मैसेज भेजने के बाद भी उनका कोई जवाब नहीं आया।

वायरल वीडियो का आखिर राज क्या
एडीजी द्वारा 13 जवानों को प्रतापगढ़ से सम्बंध किए जाने के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है। इस वीडियो में एक दरोगा सटोरिए के साथ डींगे हांकता हुआ दिखाई दे रहा है। चर्चाओं पर गौर करें तो वीडियो में सटोरिए के साथ दिखाई देने वाला दरोगा एडीजी कार्यालय में तैनात है। प्रतापगढ़ जिले से सिपाहियों को सम्बद्ध किए जाने के बाद वायरल इस वीडियो के पीछे साजिश मानी जा रही है। विभाग के कुछ लोग दबी जुबान कहते हैं कि यह वीडियो सम्बद्ध किए गए कुछ जवानों के जरिए जानबूझ कर वायरल करवाया गया है। चर्चाओं पर गौर करें तो वीडियो को वायरल कराने वालों ने शहर में एक्टिव वायरल गैंग का सहारा लिया है। जिन जवानों ने वीडियो को वायरल कराया है, उनकी नाराजगी के पीछे एडीजी द्वारा की गई कार्रवाई की वजह वह उस दरोगा को ही मान रहे हैं।