- प्रयागराज (ब्यूरो)। हर साल फरवरी और मार्च के महीने में बसंत ऋतु होने की वजह से लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। पेड़-पौधों में नए फूल आने, आम की बौर, फसलों की कटाई की वजह से इनके बारीक कण, परागकण आदि हवा में फैल जाते हैं। इस दौरान तापमान अधिक होने की वजह से हवा हल्की होने लगती हैं और तेज चलती है। जिसके जरिए यह सभी तत्व सांस नली के जरिए फेफड़ों केा प्रभावित करते हैं और लोगों को एलर्जी की शिकायत होने लगती है। कई बार सांस लेने में परेशानी के साथ तेज जुकाम भी होता है।
अचानक खराब होती है तबियत
एलर्जी के मामले में लोगों की अचानक तबियत खराब होती है। अचानक से खांसी, छीक आना, आंख लाल हो जाना और नजला की शिकायत होती है। अस्पतालों में ऐसे मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। खासकर अस्थमा के मरीजों को होशियार रहने की जरूरत है। उनमें अस्थमा अटैक का खतरा बना रहता है। साथ ही इस मौसम में गर्म और ठंडा मिक्स कर देने से डायरिया और फीवर की शिकायत भी हो जाती है। बार-बार लैट्रिन होना, जी मिचलाना, एसिडिटी, पेट दर्द आदि इस मौसम में होना आम बात है। इसके अलावा चर्म रोग के मरीजों की भी संख्या बढ़ जाती है। एलर्जी के चलते खुजली होने लगती है। धूल के कण खुले फलों और खानपान की चीजों में बैठ जाती है, जिससे डायरिया और अपच की शिकायत होने लगती है.
पराग कण से एलर्जी के लक्षण
- आंखें लाल हो जाना
- नाक बहना
- जुकाम होना
- नजला हो जाना
- खुजली होना
- शरीर में चकत्ते पडऩा
- अत्यधिक छींक आना
बचाव
- धूल से बचें
- पेड़ पौधों से दूर रहें
- धुएं से बचें
- झाड़ू लगाते समय मास्क पहनें
- धुले हुए सूती कपड़े पहनें
- त्वरित चिकित्सक की सलाह लें
इस समय अचानक से सांस के मरीज बढ़ जाते हैं। परागकणों की वजह से लोगों को सांस लेने में दिक्कत होती है और खांसी और छीक आने लगती है। अस्थमा के मरीजों को इस सीजन में बचकर चलना चाहिए।
डॉ। एलएस ओझा, ओझा अस्पताल टैगोर टाउन
अस्पताल में एलर्जी, अपच, डायरिया और फीवर के मरीज आने लगे हैं। धूल के साथ गंदगी और परागकण तमाम तरह की समस्याओं में इजाफा कर रहे हैं। इसलिए लोगों को अपना ख्याल रखना होगा।
डॉ। राजीव सिंह, नारायण स्वरूप अस्पताल धूमनगंज
मौसम के बदलाव के समय ऐसी दिक्कतें आती हैं। तापमान भी तेजी से बढ़ रहा है जिससे हवा हल्की हो गई। इसके साथ धूल उड़कर खानपान की चीजों में जा ही है जिससे तमाम बीमारियों का जन्म हो रहा है।
डॉ। विनीता विश्वकर्मा, विनीता अस्पताल, फाफामऊ
बच्चों के लिए भी यह मौसम खतरनाक हो सकता है। इसलिए उन्हें अधिक बगीचे या फूलों के आसपास मत लेकर जाएं। क्योंकि परागकणों की वजह से उनको भी एलर्जी हो सकती है। ऐसे में बच्चे लंबे समय जुकाम जैसी समस्या से जूझते हैं।
डॉ। संजय त्रिपाठी, चाइल्ड स्पेशलिस्ट