प्रयागराज (ब्यूरो)। अवसर पर सफदरजंग अस्पताल के डॉ। चिंतामणि ने डॉ। केएस नियोगी ओरेशन पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि जिन थायराइड रोगियों में आनुवांशिकता में थायराइड कैंसर हो तथा दवा से अधिक लाभ न हो पा रहा हो, उनके लिए आपरेशन का विकल्प ही बेहतर है। एमएलएन मेडिकल कॉलज के मेडिसिन विभाग की पूर्व एचओडी प्रो। सरिता बजाज ने कहा कि थायराइड के मरीजों में सभी जांचों के बाद उपचार पर निर्णय लेना चाहिए और उससे जुड़ी संभावित बीमारियों को नजर अंदाज नही करना चाहिए।

बाद में बढ़ जाते हैं लक्षण
बीएचयू इंडोक्राइनोलाजी विभाग के डॉ। रितेश यादव ने बताया कि हार्मोनल इम्बैलेंस की वजह से हड्डिया कमजोर हो जाती हैं, जिसके लिए वर्तमान में समय नई व सस्ती प्रभावी दवाएं उपलब्ध हैं। गाजियाबाद से आए डां। पंकज अग्रवाल ने कहा कि अधिकांश शुगर के ग्रसित गर्भवती महिलाओं में गर्भावस्था से पहले ही इसके लक्षण प्रारंभ हो चुके होते हैं। जो बाद में और बढ़ जाते हैं। इसलिए थायराइड और शुगर दोनों की नियमित जांच गर्भावस्था से पूर्व एवं गर्भावस्था के दौरान अवश्य होनी चाहिए। सेमिनार की अध्यक्षता एएमए अध्यक्ष डॉ। सुजीत सिंह ने की। आयोजन सचिव डॉ। अनुभा श्रीवास्तव और डॉ। अभिनव अग्रवाल थे। संचालन डॉ। विनीता मिश्रा, डॉ। पारुल माथुर, डॉ। पूजा सिंह और डॉ। पल्लवी निगम द्वारा किया गया। मुख्य अतिथि आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ। रवि वानखेड़कर थे। उदघाटन मां सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्जवलन और डॉ। स्मिता कामरा की सरस्वती वंदना के साथ हुआ। मौके पर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो। एसपी सिंह, सीएमओ डॉ। नानक सरन, सीएमओ वाराणसी डॉ। एस चौधरी, एएमए

सचिव डॉ। आशुतोष गुप्ता उपस्थित रहे.
एचबीआई आईएमए के सचिव बने डॉ। राजीव
रविवार को एएमए सभागार में हॉस्पिटल बोर्ड आफ इंडिया की बैठक हुई। जिसमें मुख्य अतिथि आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ। रवि वानखेड़कर और चेयरमैन डॉ। शरद अग्रवाल थे। इस दौरान डॉ। अभिलाषा चतुर्वेदी को एचबीआई प्रयागराज का चेयरमैन और डॉ। राजीव सिंह को एचबीआई सचिव प्रयागराज चुना गया। आईएमए की महिला विंग राष्ट्रीय चेयरपर्सन डॉ। मीना वानखेड़कर को कार्यक्रम में सम्मानित किया गया।