प्रयागराज ब्यूरो, हाल ही में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने इन मदरसों का सर्वे किया था। जिसके आधार पर पाया गया कि कोविड संक्रमण के बाद कई मदरसे मुफलिसी के शिकार हो गए हैं। इनमें से कुछ चिट फंड सोसायटी से संबद्ध हैं तो कुछ नही। अधिकतर मदरसों में दीनी शिक्षा ही दी जा रही है। इनमें हिब्ज भी पढ़ाया जाता है। गिनती के मदरसे ऐसे हैं जो आधुनिक शिक्षा यानी भूगोल या विज्ञान पढ़ाते हैं। सर्वे के दौरान एक मदरसे में केवल चार बच्चे ही मिले। अधिकतर मदरसों के संचालकों ने बताया कि जो बच्चे फीस नही दे पाते वह अपने घरों से अनाज लाकर देते हैं।
जकात है फंडिंग का बड़ा जरिया
अधिकारी बताते हैं कि इन मदरसों को जकात से भी फंड हासिल होता है। जो स्थानीय लोग अरब कंट्रीज में नौकरी कर रहे हैं वह अपनी कमाई का ढाई फीसदी जकात के रूप में ऐसे मदरसों को दीनी शिक्षा देने के लिए करते हैं। इससे मदरसों को काफी सहायता मिलती है। हालांकि इसका आफिशियली कोई रिकार्ड नही है। धर्म-कर्म के नाम पर लोग चंदा देने से पीछे नही हटते हैं।
छह मदरसों ने वापस कर दी मान्यता
सर्वे की माने तो आधा दर्जन मान्यता प्राप्त ऐसे मदरसे हैं जिन्होंने अपनी मान्यता फंडिंग की कमी के चलते वापस कर दी। इसका कारण है कि इनमें से केवल 43 मदरसे ही सरकार से अनुदानित हैं जिनको सरकार से आर्थिक सहायता मिलती है। बाकी के पास केवल मान्यता है। इनमें आधुनिक विषय पढ़ाने वाले टीचर्स को सैलरी नही दी जाती बल्कि राज्यांश दिया जाता है। जिसके चलते इनकी हालत भी ठीक नही है।
अपने 90 फीसदी के पास अपने भवन, देते हैं पार्ट टाइम शिक्षा
सर्वे में यह भी सामने आया कि सभी मदरसे पक्के भवनों में चल रहे है ंऔर इनमें से केवल दस फीसदी ही किराए के मकानों में हैं। हालांकि इनका किराया काफी कम है। 90 फीसदी मदरसे निजी भवनों में संचालित हो रहे हैं जो आश्चर्य का विषय है। मान्यता प्राप्त 40 फीसदी मदरसे अपने धर्म और दीनी शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए पार्ट टाइम क्लासेज चलाते हैं। जिनके जरिए यह ऐसे बच्चों को पढ़ाते हैं जो दिन में कहीं कामकाज में व्यस्त हैं या प्राइमरी स्कूलों में आधुनिक शिक्षा ग्रहण रहे हैं।
वर्जनकोविड के बाद बच्चों की संख्या कम होने पर भी मदरसे संचालित हो रहे हैं, यह अच्छी बात है। सर्वे में हमें कुछ भी अजीब नही मिला। अधिकतर मदरसों में दीनी शिक्षा दी जा रही है। आर्थिक स्थिति सुधरने की आस में यह मदरसे हैं।
कृष्ण मुरारी, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी प्रयागराज