प्रयागराज (ब्यूरो)। अभी तक व्यापारी को खरीदे माल पर आईटीसी यानि इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ जीएसटीआर 2 बी के आधार पर मिलता था। यदि किसी सप्लायर (विक्रेता) ने अपना जीएसटीआर 1 दाखिल ना किया हो तो जीएसटीआर 2 बी में दिखने वाली आईटीसी के 5 फीसदी को प्रोविजनल आईटीसी के रूप में वह ले सकता था। बदलाव में अब केवल जीएसटी 2 बी में दिखने वाली आईटीसी का लाभ ही मिलेगा। यदि किसी सप्लायर ने अपना बिल अपलोड नहीं किया है तो उस बिल के टैक्स का इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलेगा, यह इनपुट टैक्स क्रेडिट तभी मिलेगा जब सप्लायर अपना बिल पोर्टल पर अपलोड कर देता है।
व्यापारियों ने जताया विरोध
व्यापारियों ने इस बदलाव को अस्वीकार किया है। उनका कहना है कि यह न्याय के नैसर्गिक सिद्धांत के विरुद्ध है। यदि कोई सप्लायर अपना बिल पोर्टल पर अपलोड ना करे तो उसका दंड खरीददार को दिया जाना एकदम गलत है। विभाग के पास हर व्यापारी के बैंक आदि की डिटेल है तो फिर खरीददार को दंड देना एकदम गलत है। जब व्यापारी विभाग को ऐसे खरीद का टैक्स जमा कर देगा और अगले माह सप्लायर ने बिल पोर्टल पर अपलोड कर दिया तो क्या विभाग उस टैक्स को क्रेडिट लेजर से समायोजित करने की जगह व्यापारी के बैंक खाते में हस्तांतरित करेगा।
लगातार पहुंचाया नुकसान
बता दें कि शुरुआत से आईटीसी के मामले में व्यापारियों का घाटा होता आया है। जब यह नियम आया था तब 20 फीसदी प्रोविशनल इनपुट टैक्स लेने को कहा गया था। बाद में इसे 10 फीसदी और फिर पांच फीसदी दिया गया।
शुरुआत में जब टैक्स की दर कम की गई थी तब हमने हर सरकारी और गैर सरकारी मंचों पर विरोध किया था और कहा था कि आने वाले समय में सरकार इस प्रोविजनल इनपुट टैक्स क्रेडिट को समाप्त कर देगी। और अब वही हो रहा है।
महेंद्र गोयल, प्रदेश अध्यक्ष, कन्फेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स