1978 में प्रयागराज आए थे स्व। गुप्ता, निर्मल नगर में किराए के मकान में रहते थे
पूर्व सांसद श्यामा चरण गुप्त का व्यावसायिक सफर लगभग 43 साल पहले शहर में साइकिल से शुरू हुआ था। उनका यह सफर आज करीब पांच सौ करोड़ रुपये सालाना टर्नओवर तक पहुंच गया है। कारोबार और उद्यम के क्षेत्र में इतनी ऊंचाई हासिल करने के पीछे उनकी मेहनत, लगन, निष्ठा एवं ईमानदारी मानी जाती है।
पूर्व सांसद का व्यापारिक सफर बांदा जिले के मानिकपुर से वर्ष 1974 में शुरू हुआ था। पहले वह पिता के साथ कारोबार में हाथ बंटाते थे। लेकिन, उनकी उच्च महत्वाकांक्षा और व्यापारिक गतिविधियां बढ़ाने की लालसा ने उन्हें बांदा छोड़ने के लिए विवश किया। लिहाजा, चार साल बाद 1978 में वह बांदा से इलाहाबाद (अब प्रयागराज) आ गए। यहां कीडगंज के निर्मल नगर में किराए का मकान लेकर रहने लगे। खुद साइकिल से बीड़ी बेचने निकलते थे। बाद में श्याम बीड़ी वर्क्स नाम से यूनिट खोली, जो श्याम बीड़ी के नाम से मशहूर हुई। बीड़ी के कारोबार का विस्तार करने के बाद उन्होंने मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और झारखंड में भी फैलाव किया। व्यापारिक सफलता मिलने पर फर्म को पहले प्राइवेट लिमिटेड कंपनी और बाद में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में परिवर्तित किया।
हर हाथ लगाया सफलता ही मिली
स्व। गुप्ता नैनी क्षेत्र में रीवा रोड पर मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट (डेयरी), प्रयागराज-लखनऊ मार्ग पर नवाबगंज में श्याम एग्रो प्रोडक्ट फ्लोर मिल, कोल्ड स्टोरेज, सिविल लाइंस में चार सितारा कान्हा श्याम होटल, रीवा रोड पर श्याम रिसॉर्ट, श्याम प्लांटेशन, छतरपुर (मध्य प्रदेश) के राजनगर में पांच सितारा सुविधाओं वाला तेंदू लीफ जंगल रिसार्ट भी खोला है। कानपुर के इंदिरा नगर में कान्हा श्याम रेजीडेंसी नाम से ग्रुप हाउसिंग का निर्माण कराया। इंडियन ऑयल की सर्वो ब्रांड की डीलरशिप भी लीं। श्याम सेवा ट्रस्ट का भी संचालन हो रहा है। उन्होंने जिस भी कारोबार को शुरू किया, उसमें उपलब्धियां हासिल कीं।
25000 परिवारों को दिया रोजगार
श्याम ग्रुप के महाप्रबंधक मनोज अग्रवाल का कहना है कि पूर्व सांसद अपनी मेहनत, लगन, निष्ठा एवं ईमानदारी की वजह से इस आयाम तक पहुंचे। उनके द्वारा करीब 25 हजार परिवारों को रोजी-रोटी मुहैया कराई जा रही है। सालाना टर्नओवर करीब पांच सौ करोड़ रुपये का है। करोड़ों रुपये का आयकर और जीएसटी जमा किया जाता है। कारोबार में बेटे विदुप अग्रहरि, विभव और बेटी बीनू भी सहयोग करते हैं।