उत्थान सड़क से झलवा चौराहे तक पतली हो चुकी है रोड की हालत

लोगों का चलना हुआ मुश्किल, बड़़े गड्ढों में रोजाना पलटते हैं वाहन

शहर के सड़कों की हालत खराब होती जा रही है। इन पर वाहन से छोडि़ए पैदल चलना मुश्किल हो रहा है। ऊपर से बारिश के मौसम ने इन दुश्वारियों को बढाने का काम किया है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने गुरुवार को उत्थान सड़क से झलवा चौराहे तक 500 मीटर रोड का जायजा लिया तो हकीकत सामने आ गई। इतनी दूरी में हमें 50 से अधिक गड्ढे मिले। लोगों का कहना था कि रोजाना इन गड्ढों में जलभराव होने से कोई न कोई गिरकर चोटिल हो जाता है फिर भी अधिकारियों के जूं रही रेंगती है।

एक साल से परेशान हैं लोग

शहर से कौशांबी जाने वालों के लिए झलवा होकर मुफीद रास्ता है। लेकिन पिछले एक साल से इस सड़क पर चलना दूभर होता जा रहा है। झलवा चौराहे से उत्थान सड़क तक बमुश्किल 500 मीटर का रास्ता है और इस बीच 50 से अधिक गड्ढे हैं। बारिश के सीजन में इन गड्ढों में जलभराव हो गया है। ऐसे में लोगों को पता नही चलता कि किधर गहराई अधिक है और वह गिरकर चोटिल हो जाते हैं। स्थानीय लोग भी इस जर्जर रास्ते से आजिज आ चुके हैं।

अपने पैसे से डलवा रहे मलबा

सड़क की खस्ता हालत के चलते आसपास की मार्केट का नुकसान हो रहा है। लोग यहां रुकना पसंद नही करते हैं। ऐसे में दुकानदार अपने पैसों से यहां पर मलबा डलवाते हैं। जिससे ग्राहक दुकानों पर आना शुरू करें। दुकानदारों का कहना है कि सड़क सही नही होने से हमारा काफी नुकसान हो रहा है। कई बार प्रशासनिक अधिकारियों से शिकायत दर्ज कराई लेकिन सुनवाई भी नही हो रही है।

अंधेरे में अधिक होते हैं हादसे

इस रोड पर स्ट्रीट लाइट की भी व्यवस्था नही है। लोगों का कहना है कि रात में जबरदस्त अंधेरा हो जाता है। ऐसे में इन गड्ढों में अधिक हादसे होते हैं। कई लेाग तो इन हादसों में अधिक चोट खा जाते हैं। अगर कोई इन गड्ढों को पाटने की कोशिश करे तो बारिश के बाद फिर से वही हालत हो जाती है। लोगों का कहना है कि बिना देरी किए प्रशासन को इन सड़कों को ठीक कराने का काम करना चाहिए।

जब से रोड खराब हुई है हमलोग की दुकानदारी चौपट हो गई है। कोई यहां नही रुकता है। लोग बचते बचाते निकल जाते हैं। एक साल से अधिक हो गए हैं लेकिन जो अधिकारी इधर से गुजरते हैं वही आंख मूंद लेते हैं।

सोमेश पाल

हमलोग तो यही रहने वाले हैं। रोजाना कोई न कोई गिरकर यहां चोटिल होता है। गड्ढों में पानी भरे होने लोगों को पता ही चलता कि गहराई कितनी है। हमलोग भी कई बार गिरते हुए बचे हैं।

लल्लू सिंह

हमारी तो यही दुकान है। सुबह से शाम तक ग्राहक का इंतजार करते रहते हैं। आसपास रहने वाले भी यहां रुकना पसंद नही करते हैं। रोड की हालत बहुत खस्ता है। अगर जरा सा चूक गए तो अधिक चोटिल होने का खतरा बना रहता है।

फूलचंद

हमने अपने पैसे से मलबा डलवाया है। बारिश में यह बह जाता है। हर बार यही होता है। हमलोग का काफी नुकसान हो रहा है। रात में स्ट्रीट लाइट नही जलने से स्थिति अधिक खतरनाक हो जाती है। हमारी मांग है कि सड़कों की हालत दुरुस्त की जाए।

कबीर मिश्रा

इधर से आए दिन जन प्रतिनिधि और अधिकारी अपने वाहन से गुजरते हैं लेकिन कभी रुक कर रोड का जायजा नही लेते हैं। उन्हें भी सोचना चाहिए कि इतनी जर्जर रोड को ठीक करा दिया जाए। किसी दिन बड़ा हादसा हो गया तो इसका जिम्मेदार कौना होगा।

निर्भय ठाकुर