इंडिया हाईपरटेंशिव कंटा्रेल इनीशिएटिव में सामने आई हकीकत
तेजी से बढ़ रहे हैं हाई बीपी के मरीज, कैसे होगा बीमारी का इलाज
हाई ब्लड प्रेशर के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। इसका खुलासा स्वास्थ्य विभाग के इंडिया हाइपरटेंशिव कंट्रोल इनीशिएटिव कार्यक्रम के तहत हुआ है। इस अभियान के तहत जांच के बाद 50 फीसदी लोगों में हाई बीपी की प्राब्लम पाई गई है। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि जिले के 17 फीसदी युवा इस बीमारी से ग्रसित हैं। यह जांच अलग-अलग सेंटर्स में की गई है। यह रेशियो बहुत अधिक है। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि यह बीमारी साइलेंट किलर है और इसका रहते जांच कराकर इलाज कराना जरूरी है।
350 में से 173 निकले मरीज
16 जुलाई को अभियान की शुरुआत की गई थी। इस समय धनुपुर, जसरा, सोरांव, कौडि़हार सहित शहर के केंद्रों पर लोगों की जांच की जा रही है।
जिनका ब्लड प्रेशर नार्मल से अधिक आता है उनका पंजीकरण कर दवा दी जाती है।
डॉक्टर्स कहते हैं कि यह दवा जीवन पर्यत चल सकती है।
क्योंकि ब्लड प्रेशर का समय रहते इलाज नही किया गया तो यह बॉडी के दूसरे अंगों हार्ट, किडनी, ब्रेन और रक्त धमनियों को भी नुकसान पहुंचा सकता है।
कोरोना में ज्यादा खतरनाक है हाईबीपी
हाई बीपी पीडि़तों के लिए कोरोना ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है।
आंकड़े बताते हैं कि कोरोना संक्रमण से मरे लोगों में एक तिहाई हाइपरटेंशन से पीडि़त थे।
उच्च रक्तचाप के मरीजों में संक्रमण का खतरा उन लोगों की तुलना में अधिक होता है, जिन्हें हाई बीपी नहीं है।
क्या है अभियान का लक्ष्य
इस अभियान का लक्ष्य 2025 तक काíडयोवास्कुलर डिजीज से होने वाली मौतों पर 25 फीसदी तक कमी करना है। साथ ही हाई बीपी के मरीजों को 25 फीसदी तक कंट्रोल करने का लक्ष्य है। डब्ल्यूएचओ के डॉ। अभिनव कडि़या बताते हैं कि हाई बीपी से जीवनभर रहने वाली विकलांगता या मौत भी हो सकती है। इसको नियंत्रित नहीं किया गया तो हाई बी पी के कारण हार्ट अटैक या स्ट्रोक हो सकता है।
जानते भी नहीं हाई बीपी के लक्षण
भारत में प्रति चार व्यक्ति में से एक को हाइपरटेंशन है
इनमें से आधे को पता है कि वह हाई बीपी से ग्रसित हैं।
रक्त प्रवाह की वजह से नसों पर पड़ने वाला दबाव ब्लड प्रेशर या रक्तचाप कहलाता है।
इसका घटना-बढ़ना हृदय की गति और नसों/धमनियों अवरोधों पर निर्भर करता है।
अब 30 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों का स्वास्थ्य केन्द्र पर बी पी की जांच कराना अनिवार्य है।
बीपी 140/90 से ऊपर आने पर मरीज को पंजीकृत किया जायेगा और उन्हें एक माह की दवाएं दी जाएगी। निशुल्क दवा भी मिलेगी।
कैसे करें अपना बचाव
भोजन में नमक और वसा वाले पदार्थो की मात्रा कम रखें, हरी-सब्जी और फलों का सेवन करें।
धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें, साथ ही खुद को शारीरिक तौर पर सक्रिय बनाए रखें।
साल में दो बार बीपी और दो बार शुगर की जांच कराना चाहिए।
फूलपुर में अभियान का उदघाटन
इसी क्रम में शुक्रवार को सीएचसी फूलपुर में अभियान का उदघाटन किया गया। लोगों की जांच में हाई बीपी मिलने पर उनका पंजीकरण कर एक साल की दवा दी गई। उद्घाटन जिला एनसीडी सेल के नोडल डॉ। वीके मिश्रा ने किया। उन्होंने मरीज को बी पी पासपोर्ट कार्ड दिये। सीवीएचओ डॉ। ललिता सिसोदिया ने बताया कि यूपी के चार जिले में कार्यक््रम चल रहा है। जिनमें प्रयागराज, वाराणसी, झांसी और ललितपुर है। सीएचसी प्रभारी डॉ। सुनील पांडेय, डब्ल्यूएचओ से डॉ। अभिनव कडि़या और आईसीएमआर प्रोजेकट टेक्निकल असिस्टेंट राजेश कुमार ने भी संबोधित किया।