प्रयागराज ब्यूरो । छात्र सनी सिंह की फांसी लगाने की कहानी काफी सनसनी खेज है। साकेतनगर के सनी शैल सिंह की जान बच जाती, अगर पुलिस उसके भाई और मां को थाने न ले जाती। धूमनगंज पुलिस थाने में मां बेटे से नुकसान की भरपाई कराने में पंचायत करती रही और इधर सनी ने फांसी लगा ली। नुकसान का हर्जाना 45 हजार तय हुआ। मगर पुलिस की पंचायत में इतनी देर हो गई कि छात्र ने आत्मघाती कदम उठा लिया। हैरत की बात है कि मामले में केस दर्ज नहीं हो सका है। छात्र के पिता का कहना है कि उसे आरोपी का नाम पता नहीं चल पा रहा है, वहीं पुलिस भी आरोपी का नाम छात्र के पिता को नहीं बता रही। तो फिर छात्र की मां से पैसे कौन लोग मांग रहे थे, इस पर सवाल खड़ा हो गया है।

दरवाजे से टकरा गई थी स्कार्पियो

अतर्रा बांदा के रहने वाले संतोष सिंह साकेतनगर में परिवार के साथ रहते हैं। शुक्रवार को छोटा बेटा सनी सिंह दोपहर बाद घर से अचानक निकल गया। वह स्कार्पियो लेकर जा रहा था। उसके घर के पास ही स्कार्पियो एक घर के दरवाजे से टकरा गई। कुछ देर में सनी की मां गुडिय़ा के पास फोन आया। बताया गया कि उसके बेटे ने स्कार्पियो से एक मकान के गेट में टक्कर मार दी है। गुडिय़ा ने बड़े बेटे बाबी को जानकारी दी। वह टयूशन पढ़ाने गया था। गुडिय़ा मौके पर पहुंची तो वहां सनी सिंह अधमरी हालत में पड़ा था। कुछ देर में बाबी भी आ गया। इस बीच पुलिस भी पहुंच गई। पुलिस मां गुडिय़ा, बाबी और सनी तीनों को थाने ले जाने लगी। लेकिन मां ने मिन्नत कर सनी को बेटे बाबी के साथ घर भेज दिया। इसके बाद बाबी घटना स्थल पर वापस लौटा। वह अपनी मां को लेकर थाने गया। आरोप है कि दरोगा संदीप यादव ने मां गुडिय़ा और बाबी को नुकसान की भरपाई के लिए 45 हजार रुपये देने को कहा। बाबी के अनुसार वहां पर दूसरे पक्ष के लोग भी थे। सभी मां बेटे को बहुत बड़ा मामला हो जाने की बात कहकर धमका रहे थे। बाबी के अनुसार वह 45 हजार रुपये का इंतजाम करने एटीएम चला गया।

और बेटा चला गया

मां गुडिय़ा ने थाने से ही मकान मालकिन को फोन कर बेटे सनी के पास जाने के लिए कहा। मकान मालकिन ने नीचे से आवाज लगाई। कोई सुगबुगाहट न होने पर मकान मालकिन ने दरवाजा खटखटाया। दरवाजा अंदर से बंद था। इसकी जानकारी होने पर मां गुडिय़ा थाने से अकेले ही घर पहुंच गईं। आसपास के लोग इकट्ठा हुए। धक्का देकर दरवाजा खोला गया तो अंदर सनी सिंह फांसी पर लटक रहा था। बेटे का ये हाल देख मां गुडिय़ा फफक पड़ीं। पिता संतोष सिंह गांव गए थे। सूचना पर वह भी रोते बिलखते घर पहंंचे।

घर पहुंच जाती मां तो बच जाता बेटा

सनी के भाई बाबी के मुताबिक थाने में दरोगा और कई लोग बार-बार उन दोनों पर ज्यादा पैसे देने के लिए दबाव बना रहे थे। मां गुडिय़ा पुलिस के सामने गिड़गिड़ाती रही कि अभी उसे जाने दें। वह नुकसान की भरपाई कर देगी। मगर पुलिस वाले तुरंत पैसे देने की बात पर अड़े थे। बगैर पैसे दिए पुलिस दोनों को छोडऩे पर राजी नहीं थी। बार बार पैसे की डिमांड बढ़ जा रही थी।

पुलिस का रूप देख हतप्रभ है परिवार

सेना से रिटायर संतोष सिंह का कहना है कि उन्होंने देश की सेवा की। बदले में पुलिस ने उनके साथ जो व्यवहार किया वह बेहद गैर जिम्मेदारी भरा है। पुलिस पैसे लेकर नुकसान की भरपाई करा देती। संतोष सिंह ने बताया कि वह यहां बच्चों को पढ़ाने के लिए किराए पर रहते हैं। उन्हें मोहल्ले के बारे में कोई जानकारी नहीं है। पुलिस पर आरोप लगाया कि उनका बेटा सनी घर में कराह रहा था। लेकिन पुलिस ने उनकी पत्नी और बड़े बेटे को थाने में पैसों के लिए बैठा रखा था।

इंजीनियर बनना चाहता था सनी

पिता संतोष सिंह ने बताया कि बेटा सनी आईआईटी की तैयारी कर रहा था। वह इंजीनियर बनना चाहता था। वह घर में बहुत रिजर्व रहता था। उसने कोचिंग कर रखी थी। पता नहीं क्या हुआ कि वह स्कार्पियो लेकर चला गया। जबकि वह कभी ऐसा नहीं करता था।