प्रयागराज ब्यूरो । अगर आप सिटी बसों से रोजाना सफर करते है तो आपके लिए काम की खबर है। अगर आप रोजाना की तरह टाइम पर निकल कर सोचेंगे कि बस आपको तुरंत मिल जायेगी तो यह संभव नहीं है। क्योंकि सोमवार से 40 सिटी बसें ऑफ रोड हो हुई है। यह बसें फूलपुर, करछना, सोरांव, प्रतापपुर, लालगोपालगंज, शंकरगढ़ आदि मार्गों पर चलती है। इन मार्गों पर लोगों की राह मुश्किल नजर आ रही है। वहीं बची हुई अन्य बसों का संचालन भी मार्च में पूरी तरह से ठप हो सकता है। छह फरवरी से बंद होने वाली 40 बसों को आरटीओ से फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं मिला है।

संविदाकर्मी पर भी संकट

2009 में शुरू हुई 120 सिटी बसों का हाल आपको बताते है। आखिर मौजूदा समय में क्या कंडीशन है। इन बसों में से 20 बसें आगजनी का शिकार हो चुकी है। जिसके चलते कबाड़ होकर सेवा से बाहर है। यह बसें 27 रूटों पर चलती है। पिछले वर्ष 27 बसें फिटनेस सर्टिफिकेट न मिलने के कारण बंद हो गई हैं। अब आज से और 40 सिटी बसें ऑफ रोड हो गई है। ऐसे में अब कुल 87 बसों की कमी महसूस होगी। जानकारों की माने तो मार्च में 33 और बसों का फिटनेस खत्म होने जा रहा है। सिटी बसों के संचालन सेे 400 से अधिक संविदाकर्मी जुड़े हैं। बस बंद होने से यह भी बेरोजगार हो जाएंगे। ऐसे में इनकी नौकरी पर भी संकट मंडरा रहा है।

इलेक्ट्रिक बसों पर बढ़ेगा लोड

सिटी बसों की जगह शासन से सीएनजी बसें आनी थी, वह अभी तक नहीं आई हैं। 50 इलेक्ट्रिक बसें मिली हैं जो अब मात्र पांच रूटों पर ही चल रही हैं। सिटी बसों की संख्या कम होने से लोगों को काफी देर-देर पर बसें मिलेगी। जिसके चलते यात्रियों को अपने समय से पहले निकलना होगा। तब जाकर वह अपने गंतव्य तक पहुंच पाएंगे। सेंट्रल रीजनल वर्कशाप कर्मचारी संघ के महामंत्री प्रदीप तिवारी ने बताया कि इस समस्या के हल के लिए आरएम को वार्ता के लिए नोटिस भेजा है। शाखा अध्यक्ष संतोष पांडे व मंत्री जय सिंह यादव का कहना है कि बसों का संचालन बंद होने पर हम कहां जाएंगे? क्या खाएंगे? इसके बारे में कोई सोच नहीं रहा है।

बसें 12 साल से अधिक पुरानी हो चुकी हैं। उनकी फिटनेस के लिए आरटीओ से प्रयास किया जा रहा है। कोशिश है कि कुछ दिनों के लिए और संचालन की अनुमति मिल जाए।

मुकेश कुमार, सेवा प्रबंधक रोडवेज