प्रयागराज ब्यूरो ।उत्तर प्रदेश को क्षय रोग से मुक्त करने के लिए शनिवार को उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय में क्षय रोगियों को गोद लेने हेतु विशेष अभियान चलाया गया। कुलपति प्रोफेसर सीमा सिंह की पहल पर विश्वविद्यालय ने 50 क्षय रोगियों को गोद लिया। इस अवसर पर यमुना परिसर स्थित त्रिवेणी सामुदायिक केंद्र में आयोजित इस प्रदेशव्यापी अभियान में शिक्षकों के सहयोग से क्षय रोगियों के स्वास्थ्यवर्धन के लिए पौष्टिक आहार वितरित किया गया।
छह महीने के भीतर स्वस्थ होने की कामना
कुलपति प्रोफेसर सीमा सिंह ने दो क्षय रोगियों को गोद लेते हुए कहा कि हमें यह सौभाग्य प्राप्त हुआ कि हम शैक्षिक व्यवस्था के साथ-साथ सामाजिक सरोकारों से संबंधित गतिविधियों में भी अपना योगदान कर पा रहे हैं। उन्होंने क्षय रोगियों के 6 माह के अंदर स्वस्थ होने की कामना करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने यह अवसर प्रदान किया है। प्रोफेसर सिंह ने क्षय रोग से बचाव के लिए जागरुक करते हुए कहा कि यह रोग वायु के माध्यम से संक्रमित लोगों के संपर्क में आने से फैलता है। इसके लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता को उचित पोषण युक्त खान-पान, व्यायाम तथा योग के माध्यम से बढ़ाकर शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं। प्रोफेसर सिंह ने कहा कि मुस्कुराते हुए व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता स्वत: बढ़ जाती है। विशिष्ट अतिथि डॉ शैलेश द्विवेदी, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, राजकीय क्षय रोग चिकित्सालय, तेलियरगंज, प्रयागराज ने कहा कि क्षय रोग अब लाइलाज नहीं रहा। यह रोग माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस से संक्रमित होता है। अत: समय-समय पर पौष्टिक आहार एवं दवा के नियमित 6 महीने के सेवन से स्वस्थ हुआ जा सकता है।
जीवाश्म तक में मिलते हैं बैक्टिरिया
विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डीपी सिंह ने बताया कि टीबी के बैक्टीरिया जीवाश्म तक में पाए जाते हैं। यह एक वायुजनित संक्रमित बैक्टीरिया से फैलता है। इसके उपचार हेतु उन्होंने योग एवं दवा के नियमित सेवन हेतु यह रोगियों को अभिप्रेरित किया। समन्वयक डॉ मीरा पाल ने विषय प्रवर्तन तथा आयोजन सचिव डॉ दिनेश सिंह ने अतिथियों का वाचिक स्वागत किया। संचालन डॉ जीके द्विवेदी एवं धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव कर्नल विनय कुमार ने किया। इस अवसर पर जिले के विभिन्न स्थानों से आए 50 क्षय रोगियों को विश्वविद्यालय के शिक्षकों की तरफ से पौष्टिक आहार में उन्हें पर्याप्त मात्रा में भुना चना, सत्तू, तिल, मूंगफली, गुड़, हॉर्लिक्स आदि वितरित किया गया।