प्रयागराज (ब्‍यूरो)। शहर की सड़कों पर बेधड़क स्कूल की बसें दौड़ रही हैं। इन स्कूल बसों बच्चे कितना सुरक्षित हैं इसका भगवान ही मालिक है। हाल ये है कि बसों में में कितने मानक का पालन हो रहा है, इसकी परवाह किसी को नहीं है। गार्जियन स्कूल बस का किराया देकर फुर्सत पा जाते हैं। स्कूल प्रबंधन खुद ही व्यस्त रहता है और आरटीओ के अफसर शासन का पत्र जारी होने के बाद सड़क पर जांच अभियान शुरू कर देते हैं वरना अपने कार्यालयों में कुर्सी तोड़ते वक्त काटते रहते हैं। जिसका नतीजा है कि स्कूल बसों से घर आने जाने वाले बच्चों की जिंदगी पर खतरा रहता है, मगर कोई परवाह करने वाला नहीं है।

स्कूली बसों के लिए तय मानक
बस में फस्र्ट एड बॉक्स होना चाहिए।
स्कूल बस में खिड़की में जाली होनी चाहिए।
स्कूल बस में सीसीटीवी कैमरा होना चाहिए।
बस की सीट पर बेल्ट लगी होनी चाहिए।
आपातकालीन खिड़की होनी चाहिए।
स्कूल बस पीले रंग की होनी चाहिए।
बस में संबंधित स्कूल का नाम होना चाहिए।
बस में अग्निशमन यंत्र लगा होना चाहिए।
बसों के प्रवेश द्वार पर हैंडरोल लगा होना चाहिए।
बस के अंदर हैंगर होना चाहिए, जिसे बच्चे पकड़ सकें।
ड्राइवर को खाकी वर्दी में होना चाहिए।
वर्ष में एक बार चालक का नेत्र परीक्षण होना चाहिए।
छात्र का विवरण चालक, परिचालक के पास होना चाहिए।
स्पीड 40 किलोमीटर प्रतिघंटा से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

इतने नियम पर चल पाना मुश्किल
शहर में स्कूल बसों की जो हालत है, उसमें सारे मानक का पालन हो पाना तो बेहद ही मुश्किल काम है। जैसे बसें तो पीले रंग की हैं पर इसके अलावा अन्य नियम फॉलो नहीं हो पा रहा है। पुरानी बसों में सीट बेल्ट नहीं लगी है। यहां तक की बस के अंदर छत पर पाइप भी नहीं लगी है और न ही हैंगर लगाया गया है। जिससे बच्चों को बस के अंदर आने जाने में रॉड या हैंगर पकड़ कर चलने में आसानी हो। यहां तक की शायद ही किसी बस में सीसीटीवी कैमरा लगा हो। बसों में फस्र्ट एड बॉक्स तो बनाया गया है, मगर उसमें दवाएं नहीं रहती हैं। और अब आसानी से समझा जा सकता है कि अन्य नियमों का पालन कितनी मुस्तैदी से किया जा रहा है।

जिम्मेदारी स्कूल की, जांच आरटीओ को
स्कूल बसों में मानक पूरा हो रहा है या नहीं, इसकी जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधन की है। जबकि शायद ही किसी स्कूल बस में मानक पूरा किया जा रहा हो। जबकि जांच की जिम्मेदारी आरटीओ कार्यालय के अफसरों को है। मगर जांच के नाम पर केवल कागजी कोरम ही पूरा किया जा रहा है। अब जुलाई का महीना शुरू हो गया है। ऐसे में आरटीओ कार्यालय के अफसर सड़क पर अभियान का डंका बजाए हुए हैं, मगर अभियान का कहीं कोई फर्क दिख नहीं रहा है।

लेटर जारी किया गया
एआरटीओ प्रवर्तन जीएन मिश्रा ने बताया कि स्कूल बसों में मानक को लेकर बीएसए और डीआईओएस को पत्र जारी किया गया है। बसों की फिटनेस के लिए आठ जुलाई से 22 जुलाई तक शिविर का आयोजन किया गया है। इस दौरान फिटनेस नहीं कराने पर बस संचालकों पर कार्रवाई की जाएगी।


505 बसों का चालान 2022-23 में।
244 बसों का चालान 2023-24 में।
1302 बसों का है रजिस्ट्रेशन
394 बसों का नहीं हुआ है फिटनेस

बसों की जांच की जा रही है। संचालकों को फिटनेस कराने के लिए कहा गया है। इसके लिए आरटीओ कार्यालय में 22 जुलाई तक शिविर लगाया गया है। इसके बाद फिटनेस नहीं होने पर सख्ती से चालान काटा जाएगा।
जीएन मिश्रा, एआरटीओ प्रवर्तन

फस्र्ट एड बाक्स तो किसी में नहीं मिला अग्निशमन यंत्र
स्कूली वाहनों के खिलाफ संभागीय परिवहन विभाग द्वारा अभियान चलाया जा रहा है। मंगलवार को 15 स्कूली वाहनों का चालान किया गया। इन सभी की फिटनेस की वैधता समाप्त हो चुकी थी। साथ ही तीन में फस्र्ट एड बाक्स नहीं था, जबकि पांच में अग्निशमन यंत्र ही गायब थे। तीन वाहनों का अगला टायर भी ठीक नहीं था। 30 प्रतिशत से अधिक यह घिस हुआ था। मंगलवार को आरआइ प्रतीक, पीटीओ जीएन मिश्रा, रामसागर व रणबीर ङ्क्षसह के नेतृत्व में धूमनगंज स्थित पीएसी मुख्य गेट के सामने, सीएमपी डाट पुल, नए यमुना पुल के पास स्कूली वाहनों की जांच की गई। 93 वाहनों की जांच हुई। एआरटीओ प्रशासन राजीव चतुर्वेदी ने बताया कि वाहनों में सभी ङ्क्षबदुओं को परखा जा रहा है। 22 जुलाई तक सिर्फ चालान करने का अभियान चलेगा। इसके बाद जिन अनफिट वाहनों को पकड़ा जाएगा, उसका पंजीयन निलंबित करते हुए सीज करने की कार्रवाई होगी।