प्रयागराज (ब्‍यूरो)। हे-पितृ देवताओं पूर्वजों हम आप की शरण में हैं। आप हमारी रक्षा करें। जाने अनजाने में हम सब से जो गलतियां हुई हों क्षमा करें। यथा शक्ति जो कुछ है हमारे पास है आप सब को समर्पित है। आप सब ग्रहण करें और हमें आशीर्वाद दें, परिवार पर कृपा बनाए रखें। कुछ इसी भाव व याचना के साथ पितृ पक्ष के आखिरी दिन अमावस्या पर बुधवार को सनातन धर्मावलंबियों ने पितरों का तर्पण और पिण्डदान किया। तीर्थ पुरोहितों के द्वारा उन भूले व बिसरे पितरों का भी तर्पण व पिण्डदान कराया गया, जिनके बारे में उनके परिजनों को कुछ पता ही नहीं है। भोर चार बजे से संगम व गंगा घाटों पर स्नान बाद शुरू हुआ यह कर्मकाण्ड देर शाम तक चलता रहा।

घर पर भी किया पूजन
पूरे संगम क्षेत्र में दस हजार से भी अधिक लोगों के द्वारा अलग-अलग स्थानों पर पिण्डदान और तर्पण किया गया। प्रयाग धर्म संघ के अध्यक्ष की मानें तो पितृ पक्ष के आखिरी दिन पितरों का तर्पण और पिण्डदान के लिए देश के कोने-कोने से संगम पहुंचे। दर्जनों विदेशी यजमानों के द्वारा भी अपने-अपने तीर्थ पुरोहितों के यहां पितृ देवताओं का तर्पण और पिण्डदान किया गया। बताते हैं कि संगम और गंगा घाटों पर पितृ देवताओं की पूजा व विदाई के लिए भोर चार बजे से ही जबरदस्त भीड़ लग गई थी। दिन भर यजमानों का घाटों पर तांता लगा रहा। भीड़ देर शाम तक लगी रही। यजमानों की संख्या व उनके दान एवं सेवा भाव को देखकर तीर्थ पुरोहित भी काफी खुश दिखाई दिए। ऐसे लोग जो किन्हीं कारणों से गंगा या संगम घाट नहीं पहुंच सके, वह घर पर ही विधि विधान से पितृ देवताओं का तर्पण और पिण्डदान किए। घरों में लजीज पकवान बनवाकर पितरों को अर्पित किए। इसके बाद खुद और पूरा परिवार प्रसाद के रूप में उस भोजन को ग्रहण किया।

घाट से शॉप तक व्यस्त रहे बार्बर
पितृ पक्ष के आखिरी दिन तर्पण और पिण्डदान से पूर्व गंगा स्नान और मुण्डन कराने की धार्मिक प्रथा है। ऐसी स्थिति में बुधवार को गंगा और संगम घाट से लेकर स्थाई शॉप तक बार्बर यानी नाई काफी व्यस्त रहे। हर किसी उन लोगों की दुकान पर भी लोगों की वेटिंग दिखाई दी, जिनके यहां आम दिनों में लोग जाने से कतराते हैं। रोड किनारे गुमटी दुकान चलाने वाले बर्बर के पास दोपहर तक जबरदस्त भीड़ दिखाई दी।

पितृ पक्ष के आखिरी दिन पितृ देवताओं का तर्पण और पिण्डदान करने के लिए लोगों की जबरदस्त भीड़ रही। संगम क्षेत्र के विभिन्न घाटों पर दस हजार से भी ज्यादा लोग विधि विधान से पूजा करके पितृ देवताओं को विदा किए।
राजेंद्र पालीवाल
प्रयाग धर्म संघ अध्यक्ष