प्रयागराज (ब्यूरो)। बदलते वक्त के साथ मोहब्बत की राह आसान नहीं रह जा रही है। पहले मुलाकात फिर बात इसके बाद मोहब्बत का रास्ता नजीर बनने के बजाए जिंदगी को तहस नहस कर दे रहा है। हाल फिलहाल, कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें लोगों ने साथ जीने मरने की कसमें खाई। मोहब्बत के लिए बदनाम हो गए। घर, परिवार, समाज का विरोध लिया। मगर लंबे समय तक साथ चल नहीं सके। मोहब्बत की राह पर चलते चलते न जाने ऐसा क्या हुआ कि लोग एक दूसरे की जान के दुश्मन हो गए। नतीजा या तो खुद को खत्म कर लिया या फिर अपने साथी को मार डाला। जहां एक ओर खुशनुमा जिंदगी की रंगीनियों की सजावट होनी चाहिए थी वहीं, ऐसी हरकतों के बाद जिंदगी बदरंग हो जा रही है।

एक

प्रेेमिका को मार दिया कर ली शादी

करछना के कुंजल गांव की घटना झकझोर देने वाली है। 2016 में कुंजल गांव की रहने वाली राजकेसर और मुंगारी गांव के आशीष की मुलाकात हुई। इस दौरान राजकेसर के पिता की सड़क हादसे में मौत हो गई थी। आशीष ने राजकेसर को सहारा दिया। परिवार में राजकेसर सबसे बड़ी थी। पिता की मौत के बाद परिवार की जिम्मेदारी उसके ऊपर आ गई। आशीष मददगार बनकर उसकी जिंदगी में आया। मेहनत मशक्कत कर राजकेसर ने अपनी तीन बहनों की शादी की। इस दौरान राजकेसर और आशीष के प्यार के चर्चे आम हो गए। मगर राजकेसर ने सारा विरोध बर्दाश्त कर लिया। राजकेसर ने करछना में जमीन खरीदी। वहां पर मकान बनवाने की जिम्मेदारी आशीष को दे दी। मगर आशीष के मन में बेवफाई आ गई। आशीष ने अपनी शादी तय कर ली। 28 मई को बारात जानी थी। ये बात राजकेसर को पता चल गई। उसने विरोध किया तो आशीष ने 24 मई को राजकेसर को निर्माणाधीन मकान पर बुलाया। वहां रात में उसने अपने एक साथी के साथ मिलकर राजकेसर को मार डाला। शव सेप्टिक टैंक में डालकर दोनों भाग निकले। इसके बाद 28 मई को शादी कर ली। शादी की जानकारी पुलिस को हुई। पुलिस ने शक के आधार पर आशीष को उठाया तो आठ जून की रात में आशीष ने राजकेसर का शव बरामद करा दिया।

दो

पति का मोबाइल पर बात करना पड़ा भारी

कानपुर के अर्पित और फतेहपुर की अनुराधा की प्रेम कहानी फेसबुक से शुरू हुई। करीब ढाई वर्ष पहले दोनों फेसबुक फ्रेंड बने। इसके बाद दोनों में दोस्ती गहराती चली गई। कई महीने बाद पता चला कि दोनों मोहब्बत की गिरफ्त में आ चुके हैं। बगैर बात किए दोनों से रहा न जाए। बातचीत शुरू होने के करीब एक साल बाद दोनों ने शादी कर ली। घरवालों के विरोध के बाद भी दोनों शादी के बंधन में बंध गए। मगर छह महीना भी नहीं बीता और अनुराधा को अर्पित पर शक होने लगा। अर्पित कोचिंग में पढ़ाता था। अक्सर अर्पित तमाम फोन अटेंड करता रहता था। जिससे अनुराधा को लगा कि अर्पित का चक्कर किसी और से चल रहा है। परेशान अर्पित पत्नी को भरोसा देने के लिए कानपुर छोड़कर प्रयाग चला आया। मगर अनुराधा के सिर पर शक का भूत सवार हो चुका था। अर्पित ने शिवकुटी के शंकरघाट मोहल्ले में किराए पर कमरा लिया। दोनों यहां रहने लगे मगर अनबन कम नहीं हुई। एक रोज अनुराधा ने फांसी लगा लिया। इसके पहले अनुराधा ने अपने हाथ और पांव में लिखा कि उसकी मौत के जिम्मेदार पति और उसके घरवाले हैं। अनुराधा तो चली गई मगर अर्पित को जिंगदी भर का दर्द दे गई।

तीन

डॉक्टर को लगानी पड़ी फांसी

मऊआइमा के रसूलपुर के रहने वाले डॉक्टर सुभाष यादव को पढ़ाई के दौरान करछना की चंद्रप्रभा से प्यार हो गया। सुभाष को लगा कि वह डॉक्टर बन जाएगा तो चंद्रप्रभा के साथ खूबसूरत दुनिया सजा लेगा। मगर ऐसा हुआ नहीं। कई साल दोनों प्यार के रिश्ते में रहे। फिर अचानक चंद्रप्रभा का स्वभाव बदलने लगा। वह तरह तरह की फरमाइश करने लगी। जैसे तैसे डॉक्टर सुभाष अपने प्यार को बचाने के लिए चंद्रप्रभा की हर बात मानने लगे। सुभाष ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि उसने बड़ी मशक्कत से नौ लाख रुपये का इंतजाम कर चंद्रप्रभा की नौकरी लगवाई। चंद्रप्रभा एसआरएन अस्पताल में नर्स है। इसके बाद भी उसका भाई शिवराज सुभाष को फोन कर रेप केस में फंसाने की धमकी देने लगा। जिस पर सुभाष ने जिंदगी खत्म करने की ठान ली। सुभाष ने अल्लापुर में अपने एक परिचित के कमरे पर फांसी लगा लिया। अब पुलिस चंद्रप्रभा और उसके भाई को तलाश रही है।

युवाओं का परिवार और समाज से रिश्ता कमजोर होता जा रहा है। इमीडिएट रियेक्शन देने की आदत युवाओं में होती जा रही है। जिसकी वजह से युवा एक दूसरे को समझने के बजाए, एक दूसरे से चिढ़कर आत्मघाती कदम उठा ले रहे हैं। जिससे प्यार के तमाम मामलों का दुखद अंत हो जा रहा है। युवाओं को एक दूसरे को समझने की आदत डालनी चाहिए। गुस्से में आकर आत्मघाती कदम नहीं उठाना चाहिए।

डा.कमलेश तिवारी, मनोवैज्ञानिक