प्रयागराज ब्यूरो ।दोनो की हैसियत में जमीन आसमान का फर्क था। रसूख में भी बेहद लम्बा फासला था। अतीक की भाषा में राजू जैसे लोग उसके कारिंदे ही हो सकते थे। अतीक के रसूख से लडऩे के लिए राजू पाल के पास हौसला था। इस हौसले के दम पर राजू ने विधानसभा उप चुनाव में अशरफ को हराकर अतीक के वजूद को चोट पहुंचायी तो अतीक ने राजू की हत्या करवाकर इस खानदान को आगे बढ़ाने वाले का नामोनिशान ही मिटा दिया। लेकिन, इस हत्याकांड के बाद राजू अतीक के काल चक्र में राहू बनकर बैठ गये। यही वह एक प्रकरण था जिसके चलते अतीक का न सिर्फ पूरा अम्पायर दरक गया बल्कि उसका भी खानदान बिखर गया।
अशरफ में भाई के नाम का गुरूर, राजू ने कर दिया चैलेंज
अतीक अहमद और राजू पाल को लेकर कई तरह की चर्चा रही। यह तथ्य भी सामने आया कि राजू कभी अतीक का ही गुर्गा हुआ करता था। लेकिन, इस तरह के आरोप को राजू की तत्कालीन पत्नी पूजा पाल पूरी तरह से खारिज करती हैं। पूजा का कहना है कि राजू पाल ने अतीक के सामने कभी सिर नहीं झुकाया। यहां तक कि अतीक के गुर्गों को राजू पाल ने सीधे चैलेंज करना शुरू कर दिया तो जेल में बंद अतीक ने राजू को बुलावा भेजा था। राजू ने यहां भी झुकने से साफ इंकार कर दिया था। वह उनसे मिलने गये ही नहीं। बताया जाता है कि राजू पाल और अतीक के बीच अदावत की शुरुआत सिविल लाइंस में हुए एक घटनाक्रम से हुई थी। सुभाष चौराहे पर स्थित एक बिल्डिंग को तक अशरफ अपने ऑफिस के रूप में इस्तेमाल करता था। यहां उसकी गाडिय़ां खड़ी होती थीं। मनबढ़ स्वभाव के राजू का एक बार यहीं अशरफ से सामना हो गया। राजू ने अशरफ की गाड़ी के सामने अपनी गाड़ी अड़ा दी तो बात का बतंगड़ बन गया था। माना जाता है कि इसी दिन दोनो के बीच दुश्मनी की नींव पड़ी थी।
बल्ली से पंगा ने गाढ़ा किया दुश्मनी का रंग
राजू पाल के खिलाफ भी मारे जाने से पहले कई मुकदमे दर्ज किये गये थे। इसमें एक हत्या का भी मामला है। बताया जाता है कि तमाम लोग राजू को पिता की हत्या को लेकर ताना मारा करते थे। इस बात को राजू पाल ने दिल पर ले लिया था। उसने इस चक्कर में संदिग्ध आरोपित को पकड़कर बुरी तरह से पीटकर अधमरा कर दिया था। इसके अलावा उसका नाम एक मर्डर केस में भी सामने आया था। बताते हैं कि एक बार राजू पाल ने अतीक गैंग के सदस्य बल्ली पंडित पर हाथ छोड़ दिया था। यह घटनाक्रम 2002 का है। राजू पाल उस वक्त इतने गुस्से में था कि उसने बल्ली इससे इतर एक फैक्ट यह भी है कि जिस दिन राजू पाल का मर्डर हुआ उस दिन तक उसके खिलाफ कोई भी केस साबित नहीं हुआ था। मर्डर के बाद उनका नाम सभी केस से हट गया।
उमेश-पूजा ने नहीं छोड़ा साथ
बताते हैं कि राजू पाल की मौत को उमेश पाल ने सामने से देखा था। गोली लगने के बाद अस्पताल ले जाये जाने के समय उमेश पाल साथ थे। दोस्ती के इस रिश्ते को उमेश पाल ने अपने जीवन काल में पूरी तरह से निभाया। वह इकलौते थे जो राजू पाल की पत्नी पूजा पाल के साथ हर कदम पर खड़े थे। चश्मदीद गवाह के रूप में उमेश पाल का नाम दर्ज था। उमेश पाल राजू पाल हत्याकांड में गवाही न दें इसका पूरा इंतेजाम अतीक एंड कंपनी ने किया था। इस चक्कर में उमेश पाल का अपहरण भी हुआ और कई बार धमकी भी मिली। इसके बाद भी उमेश पाल ने हौसला नहीं छोड़ा। उमेश पाल का मर्डर इसी हत्याकांड के बाद हुए केस में डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में सुनवाई पूरी होने के बाद घर लौटते समय 24 फरवरी 2023 को उसके घर के सामने ही गोली और बम मारकर कर दी गयी थी। उमेश के साथ उसके दो सरकारी गनर भी मारे गये थे। इस केस के बाद तो जैसे अतीक खानदान की उल्टी गिनती ही शुरू हो गयी। जिस मामले में उमेश पाल ने गवाही दी थी उसमें अतीक को सजा सुनाई गई। अतीक के पूरे जीवन काल में यह पहला केस था जिसमें उसे सजा हुई थी।
उमेश की हत्या से बिखरा अतीक का परिवार
राजू पाल हत्याकांड के चश्मदीद गवाह उमेश पाल की हत्या के बाद अतीक का पूरा परिवार ही बिखर गया। हत्याकांड में अतीक, अशरफ, अतीक की पत्नी शाइस्ता और बेटे असद का नाम सामने आया था। पहले खानदान का पहला विकेट उसके तीसरे नंबर के बेटे असद के रूप में गिरा था। उसे पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था। जिस दिन असद की बॉडी दफनायी गयी थी, उसी दिन रात में अतीक और अशरफ की भी गोली मारकर हत्या कर दी गयी। अतीक का सबसे बड़ा बेटा पहले से देवरिया जेल कांड में बंद है तो दूसरे नंबर का बेटा गुंडा टैक्स मांगने में पिता की हत्या के समय जेल में था। अतीक के दोनो छोटे बेटों को लम्बा समय बाल सुधार गृह में लावारिस की तरह काटना पड़ गया। फिलहाल वे अपनी बुआ के संरक्षण में हैं। अतीक की पत्नी शाइस्ता और अशरफ की पत्नी जैनब फरार घोषित हैं। इन दोनों की तलाश भी पुलिस शिद्दत से कर रही है।
अशरफ से सिविल लाइंस में सीधे टकराना बन गया अदावत का कारण
गुर्गों के रास्ते में आये अतीक ने जेल से भेजा था बुलावा, यहां भी झुके नहीं थे राजू
दोनो की हैसियत में जमीन आसमान का फर्क था। रसूख में भी बेहद लम्बा फासला था। अतीक की भाषा में राजू जैसे लोग उसके कारिंदे ही हो सकते थे। अतीक के रसूख से लडऩे के लिए राजू पाल के पास हौसला था। इस हौसले के दम पर राजू ने विधानसभा उप चुनाव में अशरफ को हराकर अतीक के वजूद को चोट पहुंचायी तो अतीक ने राजू की हत्या करवाकर इस खानदान को आगे बढ़ाने वाले का नामोनिशान ही मिटा दिया। लेकिन, इस हत्याकांड के बाद राजू अतीक के काल चक्र में राहू बनकर बैठ गये। यही वह एक प्रकरण था जिसके चलते अतीक का न सिर्फ पूरा अम्पायर दरक गया बल्कि उसका भी खानदान बिखर गया।
अशरफ में भाई के नाम का गुरूर, राजू ने कर दिया चैलेंज
अतीक अहमद और राजू पाल को लेकर कई तरह की चर्चा रही। यह तथ्य भी सामने आया कि राजू कभी अतीक का ही गुर्गा हुआ करता था। लेकिन, इस तरह के आरोप को राजू की तत्कालीन पत्नी पूजा पाल पूरी तरह से खारिज करती हैं। पूजा का कहना है कि राजू पाल ने अतीक के सामने कभी सिर नहीं झुकाया। यहां तक कि अतीक के गुर्गों को राजू पाल ने सीधे चैलेंज करना शुरू कर दिया तो जेल में बंद अतीक ने राजू को बुलावा भेजा था। राजू ने यहां भी झुकने से साफ इंकार कर दिया था। वह उनसे मिलने गये ही नहीं। बताया जाता है कि राजू पाल और अतीक के बीच अदावत की शुरुआत सिविल लाइंस में हुए एक घटनाक्रम से हुई थी। सुभाष चौराहे पर स्थित एक बिल्डिंग को तक अशरफ अपने ऑफिस के रूप में इस्तेमाल करता था। यहां उसकी गाडिय़ां खड़ी होती थीं। मनबढ़ स्वभाव के राजू का एक बार यहीं अशरफ से सामना हो गया। राजू ने अशरफ की गाड़ी के सामने अपनी गाड़ी अड़ा दी तो बात का बतंगड़ बन गया था। माना जाता है कि इसी दिन दोनो के बीच दुश्मनी की नींव पड़ी थी।
बल्ली से पंगा ने गाढ़ा किया दुश्मनी का रंग
राजू पाल के खिलाफ भी मारे जाने से पहले कई मुकदमे दर्ज किये गये थे। इसमें एक हत्या का भी मामला है। बताया जाता है कि तमाम लोग राजू को पिता की हत्या को लेकर ताना मारा करते थे। इस बात को राजू पाल ने दिल पर ले लिया था। उसने इस चक्कर में संदिग्ध आरोपित को पकड़कर बुरी तरह से पीटकर अधमरा कर दिया था। इसके अलावा उसका नाम एक मर्डर केस में भी सामने आया था। बताते हैं कि एक बार राजू पाल ने अतीक गैंग के सदस्य बल्ली पंडित पर हाथ छोड़ दिया था। यह घटनाक्रम 2002 का है। राजू पाल उस वक्त इतने गुस्से में था कि उसने बल्ली इससे इतर एक फैक्ट यह भी है कि जिस दिन राजू पाल का मर्डर हुआ उस दिन तक उसके खिलाफ कोई भी केस साबित नहीं हुआ था। मर्डर के बाद उनका नाम सभी केस से हट गया।
उमेश-पूजा ने नहीं छोड़ा साथ
बताते हैं कि राजू पाल की मौत को उमेश पाल ने सामने से देखा था। गोली लगने के बाद अस्पताल ले जाये जाने के समय उमेश पाल साथ थे। दोस्ती के इस रिश्ते को उमेश पाल ने अपने जीवन काल में पूरी तरह से निभाया। वह इकलौते थे जो राजू पाल की पत्नी पूजा पाल के साथ हर कदम पर खड़े थे। चश्मदीद गवाह के रूप में उमेश पाल का नाम दर्ज था। उमेश पाल राजू पाल हत्याकांड में गवाही न दें इसका पूरा इंतेजाम अतीक एंड कंपनी ने किया था। इस चक्कर में उमेश पाल का अपहरण भी हुआ और कई बार धमकी भी मिली। इसके बाद भी उमेश पाल ने हौसला नहीं छोड़ा। उमेश पाल का मर्डर इसी हत्याकांड के बाद हुए केस में डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में सुनवाई पूरी होने के बाद घर लौटते समय 24 फरवरी 2023 को उसके घर के सामने ही गोली और बम मारकर कर दी गयी थी। उमेश के साथ उसके दो सरकारी गनर भी मारे गये थे। इस केस के बाद तो जैसे अतीक खानदान की उल्टी गिनती ही शुरू हो गयी। जिस मामले में उमेश पाल ने गवाही दी थी उसमें अतीक को सजा सुनाई गई। अतीक के पूरे जीवन काल में यह पहला केस था जिसमें उसे सजा हुई थी।
उमेश की हत्या से बिखरा अतीक का परिवार
राजू पाल हत्याकांड के चश्मदीद गवाह उमेश पाल की हत्या के बाद अतीक का पूरा परिवार ही बिखर गया। हत्याकांड में अतीक, अशरफ, अतीक की पत्नी शाइस्ता और बेटे असद का नाम सामने आया था। पहले खानदान का पहला विकेट उसके तीसरे नंबर के बेटे असद के रूप में गिरा था। उसे पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था। जिस दिन असद की बॉडी दफनायी गयी थी, उसी दिन रात में अतीक और अशरफ की भी गोली मारकर हत्या कर दी गयी। अतीक का सबसे बड़ा बेटा पहले से देवरिया जेल कांड में बंद है तो दूसरे नंबर का बेटा गुंडा टैक्स मांगने में पिता की हत्या के समय जेल में था। अतीक के दोनो छोटे बेटों को लम्बा समय बाल सुधार गृह में लावारिस की तरह काटना पड़ गया। फिलहाल वे अपनी बुआ के संरक्षण में हैं। अतीक की पत्नी शाइस्ता और अशरफ की पत्नी जैनब फरार घोषित हैं। इन दोनों की तलाश भी पुलिस शिद्दत से कर रही है।