प्रयागराज (ब्यूरो)।बिजली विभाग के अफसर व्यवस्था चाट गए। है न हैरत की बात। जी। बिजली विभाग सात महीने से विद्युत व्यथा निवारण फोरम नहीं बना सका है। पत्र चल रहे हैं। मगर सरकारी टेबल पर रफ्तार नहीं पकड़ पा रहे हैं। एक टेबल के बाद दूसरे टेबल तक पहुंचने में फोरम के कागजों को पसीना आ जा रहा है। उपभोक्ता परेशान हैं। जब फोरम ही नहीं तो शिकायत कहां करें। उनकी सुनवाई ही नहीं हो रही है।
बिजली विभाग के मामले सुनता है फोरम
- लाइन फॉल्ट की शिकायत।
- मीटर खराब होने पर गलत कार्रवाई की शिकायत।
- बिजली बिल गलत आने पर शिकायत।
- बिजली कनेक्शन में गड़बड़ी होने पर सुनवाई।
- बिजली विभाग की लापरवाही से घर में नुकसान होने की शिकायत।
- अफसरों के आचरण व्यवहार से व्यथा की शिकायत।
- विद्युत अधिनियम 2005 के तहत तमाम प्रकरण हैं, जिसको लेकर उपभोक्ता फोरम में अपनी बात कह सकता है।
जुर्माने का है प्रावधान
विद्युत व्यथा निवारण फोरम को जुर्माना लगाने का भी अधिकार है। फोरम अधिकतम 25 हजार रुपये का जुर्माना और एक साल के कारावास की सजा सुना सकता है। ये जुर्माना और सजा का प्रावधान फोरम के आर्डर का कम्प्लायंस न करने पर दिया जाता है।
बाकी अन्य सभी मामलों में जुर्मानों का प्रावधान है। मामला उपभोक्ता के पक्ष में हुआ तो जुर्माने की रकम बिजली विभाग को अदा करनी पड़ती है।
दिसंबर में खत्म हो गया सदस्यों का कार्यकाल
पिछली बार जो फोरम बिजली मामलों की सुनवाई कर रहा था उसके सदस्यों का कार्यकाल 4 दिसंबर 2022 को खत्म हो गया। नियमानुसार फोरम के सदस्यों का कार्यकाल खत्म होने के पहले नए सदस्यों का चयन हो जाना चाहिए। मगर इस बार ऐसा नहीं हो सका है। जिसका नतीजा है कि बिजली के उपभोक्ता परेशान हाल घूम रहे हैं। उनकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही है।
बिजली विभाग की मनमानी देखिए
दिसंबर में फोरम के सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो रहा था।
इसका रिमाइंडर शासन के ऊर्जा विभाग ने 21 जुलाई 2022 को ही पावर कारपोरेशन को भेज दिया था।
मगर पावर कारपोरेशन के प्रबंधक निदेशक के यहां से 3 फरवरी 2023 को पत्र भेजा गया।
जिसका अनुपालन मई में हो पाया। इस आदेश के अनुपालन में एक कमेटी का गठन कर दिया गया।
इसके एक सदस्य को 23 मई को सूचना दी गई। जबकि दूसरी कमेटी का गठन भी मई में किया गया।
इसके एक सदस्य को सूचना 11 मई को दी गई।
फोरम में होती हैं तीन कमेेटियां
पहली कमेटी
इस कमेटी में अधिशाषी अभियंता अध्यक्ष होते हैं। इस कमेटी के पास पचास हजार तक के मामलों की सुनवाई का अधिकार होता है। अध्यक्ष के अलावा दो उपभोक्ता, एक प्रोज्यूमर और एक स्वतंत्र सदस्य होते हैं।
दूसरी कमेटी
इस कमेटी में अध्यक्ष अधीक्षण अभियंता होते हैं। इनके अलावा दो उपभोक्ता, एक प्रोज्यूमर और एक स्वतंत्र सदस्य होते हैं। इस कमेटी के पास पचास हजार से लेकर एक लाख तक के मामले सुनने का अधिकार होता है।
तीसरी कमेटी
इस कमेटी में लोअर कोर्ट के रिटायर जज, रिटायर चीफ इंजीनियर और एक सिटिंग अधिशाषी अभियंता सदस्य होते थे। दिसंबर में जारी पत्र के मुताबिक अब रिटायर जज के अलावा, सिटिंग चीफ इंजीनियर, सिटिंग अधिशाषी अभियंता और दो उपभोक्ता को सदस्य बनाने का निर्देश जारी हुआ है।
तीन जिला कवर करता है फोरम
विद्युत व्यथा निवारण फोरम तीन जिला कवर करता है। प्रयागराज के अलावा यहां पर कौशाम्बी और फतेहापुर के उपभोक्ता भी अपनी शिकायत दर्ज कराते हैं। इन उपभोक्ताओं को फोरम से बहुत राहत मिलती है।
हर महीने यहां दो से ढाई सौ शिकायतें रजिस्टर्ड होती हैं। इन शिकायतों पर फौरन सुनवाई होनी चाहिए। सात महीने से उपभोक्ता परेशान हैं। कई बार चीफ इंजीनियर विनोद कुमार गंगवार से मुलाकात कर फोरम के गठन की बात कही गई। मगर चीफ इंजीनियर अपनी मनमानी कर रहे हैं।
एमए अंसारी,
अध्यक्ष, जिला उपभोक्ता अधिवक्ता बार एसोसिएशन
नहीं उठा चीफ इंजीनियर का फोन
बिजली विभाग की एक और मनमानी देखिए। यहां के चीफ इंजीनियर विनोद कुमार गंगवार का मोबाइल नंबर 9450964444 है। रिपोर्टर ने विद्युत व्यथा निवारण फोरम के मामले में जानकारी के लिए इस नंबर पर शाम सात बजकर 44 मिनट पर सम्पर्क किया तो मोबाइल रीसिव नहीं हुआ। ऐसे में आसानी से समझा जा सकता है कि जब विभाग के चीफ इंजीनियर ही फोन नहीं उठाते तो फिर मातहत अफसरों का क्या कहना।